Ramayan Story: शिव जी को यज्ञ के लिए ससुर दक्ष ने नहीं भेजा था बुलावा! जानिए क्‍या थी वजह
Advertisement
trendingNow11247777

Ramayan Story: शिव जी को यज्ञ के लिए ससुर दक्ष ने नहीं भेजा था बुलावा! जानिए क्‍या थी वजह

Ramayan Story in Hindi: दक्ष ने प्रजापति का अधिकार मिलने पर एक बहुत बड़ा यज्ञ आयोजित किया. इस यज्ञ में सभी देवताओं, किन्नरों, गंधर्वों आदि को पत्नियों सहित बुलाया किंतु अपने ही दामाद शिव जी और पुत्री को नहीं बुलाया. जानकारी मिलने पर सती जी ने भी वहां जाने का आग्रह किया तो शिव जी ने बहुत समझाया किंतु वह नहीं मानीं. तब उन्‍होंने अपने गणों के साथ उन्‍हें भेज दिया. यज्ञ स्थल में शिव जी के लिए स्थान न देखकर सती जी को बहुत पीड़ा हुई. 

फाइल फोटो

Ramayan Story of Sati ji Suffered from not seeing place for Shiv Ji: लगभग 87 हजार वर्ष बीतने के बाद शिव जी ने श्री राम का नाम लेते हुए समाधि खोली तो सती जी ने जाना कि जगत के स्वामी जाग गए हैं. उन्होंने सती जी को सामने बैठने के लिए आसन दिया और श्रीहरि के बारे में बताने लगे. इधर प्रजापति का अधिकार पाकर दक्ष को भी घमंड हो गया. दक्ष ने एक यज्ञ आयोजित किया जिसमें शिव जी को छोड़कर अन्य सभी देवताओं, किन्नर, नाग, सिद्ध, गंधर्व आदि को पत्नियों सहित भाग लेने का निमंत्रण भेजा. आकाश मार्ग से देवताओं को जाते देख सती जी ने महादेव से पूछा तो उन्होंने कारण बताया दिया कि दक्ष प्रजापति यज्ञ कर रहे हैं जिसमें भाग लेने के लिए सभी जा रहे हैं. इस पर सती जी ने भी जाने की इच्छा व्यक्त की तो शिव जी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने न्योता नहीं भेजा है जबकि दक्ष ने अपनी बाकी सभी लड़कियों को बुलाया है. लेकिन मुझसे बैर होने के कारण उन्होंने तुमको भी भुला दिया है.

इसलिए शिव जी से नाखुश थे दक्ष 

सती जी के पूछने पर शिव जी ने बताया कि एक बार ब्रह्मा जी की सभा में वे हमसे अप्रसन्न हो गए थे, बस तभी से वे हम से बैर मानते हैं. किंतु हे भवानी यदि तुम बिना बुलाए जाओगी तो न ही शील-स्नेह रहेगा और न ही मान-मर्यादा रहेगी. उन्होंने आगे कहा कि यद्यपि इसमें संदेह नहीं है कि मित्र, स्वामी, पिता और गुरु के घर बिना बुलाए जाना चाहिए लेकिन यदि उन घरों में कोई बैर मानता हो, तो वहां जाने से कल्याण नहीं होता है. 

इस तरह शिव जी ने सती जी को कई तरह से समझाने का प्रयास किया किंतु पिता के प्रति प्रेम और सम्मान के चलते वे नहीं मानीं. सती जी की तरफ से बार-बार यज्ञ में जाने का आग्रह होता देखकर शिव जी ने फिर से कहा कि यदि बिना बुलाए जाओगी तो हमारी समझ से यह अच्छी बात नहीं होगी. तब भी जब वह शिव जी की बात को सुनने और मानने के लिए राजी ही नहीं हुईं तो शिव जी ने अपने कुछ मुख्य गणों के साथ उन्हें भेज दिया.

शिव जी के लिए स्थान न देख दुखी हुईं सती 

गणों के साथ माता सती अपने पिता दक्ष जी के घर पहुंचीं तो दक्ष के डर के कारण किसी ने भी उनका स्वागत नहीं किया और न ही कोई कुछ बोला. केवल उनकी माता ने ही स्नेह प्रदर्शित किया, बहनें भी मुस्कुराते हुए उनसे मिलीं. दक्ष प्रजापति ने तो उनकी कुशलक्षेम तक नहीं पूछी. सती जी को देख कर क्रोध में उनके सारे अंग जलने लगे. तब सती जी सीधे यज्ञ स्थल पहुंचीं तो वहां पर देखा कि शिव जी को छोड़कर अन्य सभी देवता, किन्नर, गंधर्व आदि अपने अपने आसन पर अपनी पत्नियों के साथ विराजमान हैं किंतु शिव जी के लिए वहां उन्‍हें कहीं कोई स्थान नहीं दिखाई पड़ा. इससे उनके हृदय में गहरी पीड़ा हुई. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

 

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

 

Trending news