Shakuni Pasa Mysteries: महाभारत के युद्ध में जिन लोगों की अहम भूमिका रही, उनमें शकुनि भी थे. उनके बिना महाभारत की कहानी भी अधूरी है. उनके द्वारा फेंके गए पासों से पांडवों को सबकुछ हारना पड़ा था, जिसके बाद ही युद्ध की शुरुआत हुई थी. आइए जानते हैं कौन हैं शकुनि और क्या है उनके पासों के रहस्य की कहानी.
Trending Photos
Shakuni Pasa Mysteries Story: गांधार देश के राजा सुबल के 100 पुत्र और एक पुत्री थी. सबसे छोटे पुत्र का नाम शकुनि और पुत्री का नाम गांधारी था. शकुनि की पत्नी का नाम आरशी था. दोनों के 3 पुत्र उलूक, वृकासुर और विप्रचित्ती थे. जब गांधारी का विवाह होने वाला था, उस समय ज्योतिषियों ने बताया कि उनकी जन्म कुंडली में पहले पति की मृत्यु का योग है. इसके उपाय के लिए गांधारी की शादी एक बकरे से करने की सलाह दी गई. इसके बाद ही गांधारी की शादी धृतराष्ट्र से हुई.
धृतराष्ट्र को पसंद नहीं करते थे शकुनि
बताया जाता है कि धृतराष्ट्र के रिश्ते से शकुनि जरा भी खुश नहीं थे. उनका सोचना था कि धृतराष्ट्र जन्मांध है और उनका सारा राजपाट तो भाई पांडु ही देखते हैं. विवाह के बाद धृतराष्ट्र और पांडु को गांधारी की कुंडली और बकरे के साथ हुई शादी का पता चल गया. दोनों का बहुत गुस्सा आया और गांधारी के पिता समेत 100 भाइयों को पकड़कर जेल में डाल दिया.
पिता के हड्डियों का पासा
युद्ध बंदियों को मारा नहीं जा सकता. ऐसे में गांधारी के परिवार को भूखा रखकर मारने की योजना बनाई गई. बंदियों को रोजाना महज एक मुट्ठी अनाज दिया जाता था. सभी समझ गए कि उनको भूखा रखकर मारने की योजना है. ऐसे में सभी ने वह अनाज शकुनि को खिलाने की सोची. उन्हें लगा कि कम से कम परिवार के एक शख्स की जान तो बचेगी. शकुनि के पिता ने मरने से पहले उससे कहा कि मेरे मरने के बाद हड्डियों से पासा बनाना. ये पासे हमेशा तुम्हारी आज्ञा मानेंगे, तुमको जुए में कोई हरा नहीं सकेगा.
पासों से बनाई बदले की योजना
परिवार के मौत के बाद शकुनि के मन में धृतराष्ट्र के प्रति गहरी बदले की भावना थी. हालांकि, शकुनि अपने व्यवहार और चालाकी से बाद में जेल से छूट गया और दुर्योधन का प्रिय मामा बन गया. शकुनि ने इन्हीं पासों का इस्तेमाल कर बदला लेने की योजना बनाई थी.
हाथी दांत के बने थे पासे?
बहुत से विद्वानों का मत है कि शकुनि के पासे हाथीदांत के बने हुए थे, लेकिन शकुनि मायाजाल और सम्मोहन में महारथी था. पासे फेंकने के बाद कई बार वह पांडवों के पक्ष में होते थे, लेकिन शकुनि की मायाजाल से उन्हें लगता था कि वो हार गये हैं. बता दें कि महाभारत युद्ध के आखिरी 18वें दिन शकुनि मामा का वध हुआ था. सहदेव ने शकुनि का वध किया और उनके जुड़वा भाई नकुल ने शकुनि के पुत्र उलूक को मौत के घाट उतारा था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
ये खबर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर