कितने बजे से बरसेगा शरद पूर्णिमा का अमृत? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और खीर रखने का समय
Advertisement
trendingNow12474379

कितने बजे से बरसेगा शरद पूर्णिमा का अमृत? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और खीर रखने का समय

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा आज 16 अक्‍टूबर 2024, बुधवार को मनाई जा रही है. चूंकि अश्विन पूर्णिमा 2 दिन पड़ रही है, ऐसे में व्रत की पूर्णिमा और पूजा मुहूर्त जरूर जान लें. 

कितने बजे से बरसेगा शरद पूर्णिमा का अमृत? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और खीर रखने का समय

Kojagiri Purnima 2024: शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है और इसकी रोशनी अमृत बरसाती है. साथ ही शरद पूर्णिमा का व्रत भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा दिलाता है. इस साल पंचांग भेद और तिथि के घटने और बढ़ने के कारण अश्विन माह की पूर्णिमा अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दो दिनों तक रहने वाली है. ऐसे में शरद पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा और शरद पूर्णिमा कब मनाई जाएगी, इसे लेकर लोगों में असमंजस है. 

यह भी पढ़ें: शरद पूर्णिमा की रात से रोशन होगा इन राशि वालों का भाग्‍य, घर में प्रवेश करेंगी मां लक्ष्‍मी, सूर्य-चंद्रमा लुटाएंगे धन

शरद पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के मुताबिक 16 अक्‍टूबर की रात करीब 8 बजे से पूर्णिमा शुरू होगी जो 17 अक्‍टूबर की शाम करीब 5 बजे तक रहेगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा 2 दिन व्‍याप्‍त रहेगी लेकिन शरद पूर्णिमा का त्योहार रात को ही मनाया जाता है इसलिए इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्‍टूबर 2024 की रात को मनाना ही उचित रहेगा. वहीं आज 16 अक्‍टूबर को शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय 05:05 बजे होगा. 

शरद पूर्णिमा पर निशिता काल पूजा का मुहूर्त रात 11:42 से मध्‍यरात्रि 12:32 बजे तक करीब 50 मिनट का रहेगा. 

शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्‍मी को करें प्रसन्‍न 

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से मां लक्ष्‍मी शरद पूर्णिमा की रात को ही प्रकट हुई थीं. इसलिए यह पूर्णिमा मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए विशेष होती है. साथ ही शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का बड़ा महत्‍व है. शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों को अमृत तुल्य माना गया है, कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है, जिसमें औषधीय गुण मौजूद होते हैं. साथ ही इस रात चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है. फिर चंद्र देव को अर्घ्‍य दिया जाता है. पूजा की जाती है. मां लक्ष्‍मी को इस खीर का भोग लगाया जाता है और प्रसाद स्‍वरूप इसे स्‍वयं ग्रहण करें. इससे कई बीमारियां दूर होती हैं और मन प्रसन्न होता है. 

मां लक्ष्‍मी करती हैं भ्रमण 

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु संग पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और पूजा में रत भक्‍तों को सुख-समृद्धि से नवाजती हैं. साथ ही एक अन्य मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा पर  भगवान श्रीकृष्ण गोपियों संग वृंदावन में रात को महारास रचाया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news