इन सभी शुभ योगों में मां की आराधना करना विशेष फलदायी रहेगा. हस्तनक्षत्र योग सन् 1949 के 70 साल बाद अब पड़ रहा है.
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नई दिल्लीः मां दुर्गा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत आज से हो चुकी है. इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी. भक्तों की आस्था है कि बार किसी तिथि की हानि नहीं है. लिहाजा नवरात्र 9 दिन के होंगे. 29 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, 1 अक्टूबर को रवि योग, 2 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, 3 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, 4 और 5 अक्टूबर को रवि योग, 6 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और 7 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा.
इन सभी शुभ योगों में मां की आराधना करना विशेष फलदायी रहेगा. हस्तनक्षत्र योग सन् 1949 के 70 साल बाद अब पड़ रहा है. इस दौरान सवार्थसिद्धि के साथ अमृतसिद्धि योग भी बनेगा. 8 अक्टूबर को विजयदशमी यानि दशहरा के अलावा दुर्गा विसर्जन मनाया जाएगा.
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की तिथि
29 सितंबर- पहला दिन घट कलश स्थापना- शैलपुत्री
30 सितंबर- दूसरा दिन -ब्रह्मचारिणी पूजा
1 अक्टूबर- तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा
2 अक्टूबर- चौथा दिन- कूष्मांडा पूजा
3 अक्टूबर- पांचवां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा
4 अक्टूबर- छठा दिन- कात्यायनी पूजा
5 अक्टूबर- सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
6 अक्टूबर- आठवां दिन-महागौरी, दुर्गाष्टमी, नवमी पूजन
7 अक्टूबर- नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण
8 अक्टूबर- दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
विद्वान बताते हैं कि नवरात्र में सालों बाद दो सोमवार आ रहे हैं. इस दिन गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्यादि उपचारों से शक्ति का पूजन करने से मनवांछित फल मिलते हैं. शास्त्रों में घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ समय द्विस्वभाव लग्न में सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 45 मिनट तक बताया गया है.
इसके अलावा अभिजित मुहूर्त में दोपहर 11.54 मिनट से 12.41 मिनट तक भी घट स्थापना की जा सकती है. चौघड़ियों के हिसाब से घट स्थापना करने वाले भक्त सुबह 7.51 मिनट से दोपहर 12.17 मिनट तक चर, लाभ, अमृत के चौघड़यों में भी घट स्थापना कर सकते हैं. नौ दिन तक छोटीकाशी माता के जयकारों से गुंजायमान रहेगी. जगह जगह माता के पंडाल सज गए हैं. आमेर स्थित शिलामाता मंदिर सहित अन्य मंदिरों और घर-घर में घटस्थापना की जाएगी.
-- सतेंद्र यादव, न्यूज डेस्क