हिन्दू धर्म में उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2020) का बहुत महत्व है. पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. इस दिन जो मनुष्य व्रत रखता है, उसको सारे पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
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नई दिल्ली. 10 दिसंबर यानी आज उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2020) मनाई जा रही है. हर साल मार्गशीर्ष (Margshirsha) मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. व्रतों में सर्वाधिक महत्व उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का ही होता है. मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन ही एकादशी देवी का जन्म हुआ था.
हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का बहुत महत्व है. इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए आपको बताते हैं उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.
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जानें उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त
10 दिसंबर, 2020, बृहस्पतिवार
एकादशी तिथि आरंभ- 10 दिसंबर 2020, दोपहर 12 बजकर 52 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 11 दिसंबर 2020, सुबह 10 बजकर 03 मिनट पर
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उत्पन्ना एकादशी का महत्व
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की उपासना की जाती है. देवी एकादशी (Devi Ekadashi) को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है. पुराणों के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. इस दिन जो मनुष्य व्रत रखता है, उसको सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
उत्पन्ना एकादशी व्रत और पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह उठाकर स्नान करें और व्रत रखें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें. इस दिन शाम को भी भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. उत्पन्ना एकादशी के दिन शाम में मां लक्ष्मी की पूजा करके घर के मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाना चाहिए. इस दिन दान देने का विशेष महत्व होता है.