Vaibhav Laxmi Vrat: शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी का व्रत करने का महत्व क्या है, व्रत के नियम भी जानें
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Vaibhav Laxmi Vrat: शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी का व्रत करने का महत्व क्या है, व्रत के नियम भी जानें

जीवन में आर्थिक समस्याएं हों, बार-बार प्रयास करने के बाद भी सफलता न मिल रही हो तो शुक्रवार के दिन मां वैभव लक्ष्मी का व्रत अवश्य करना चाहिए. इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और नियमों के बारे में यहां पढ़ें.

शुक्रवार को करें वैभव लक्ष्मी का व्रत

नई दिल्ली: हर कोई यही चाहता है कि उसके जीवन में पैसों की कोई कमी ना हो. लेकिन कई बार मेहनत करने के बाद भी आपको उचित फल नहीं मिल पाता और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जो पहला सवाल हमारे मन में आता है वो ये है कि क्या लक्ष्मी जी मुझ से रूठ गई हैं? अगर ऐसा है तो लक्ष्मी जी (Goddess Lakshmi) को फिर से प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है वैभव लक्ष्मी (Vaibhav Laxmi Vrat) का व्रत जिसे शुक्रवार के दिन किया जाता है. शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी, दुर्गा मां और संतोषी माता का दिन माना जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है.

  1. शुक्रवार को करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला वैभव लक्ष्मी व्रत
  2. पैसों की समस्या होगी दूर, घर में आएगी सुख-समृद्धि
  3. वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से पूरी होती है हर मनोकामना

वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व

ऐसी मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी का व्रत और पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है. धन संबंधी तंगी दूर होती है, घर में लक्ष्मी का वास होता है और नौकरी-व्यापार में मुनाफा भी होता है. मां वैभव लक्ष्मी की आराधना करने वाले व्यक्ति को सेहत संबंधी कोई समस्या भी नहीं होती. अगर लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों और कड़ी मेहनत के बाद भी कोई काम नहीं बन पा रहा हो तो व्यक्ति को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार 11 या 21 शुक्रवार तक मां वैभव लक्ष्मी का व्रत जरूर करना चाहिए. इसके अलावा शुक्रवार (Friday) को मां वैभव लक्ष्मी पूजन के साथ ही श्रीयंत्र (Shri Yantra) की भी पूजा की जाती है और लक्ष्मी जी के विशेष मंत्रों का उच्चारण करने से मां ज़ल्दी ही प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ाती हैं.  

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कब किया जाता है वैभव लक्ष्मी का व्रत

इस व्रत को स्त्री और पुरुष, दोनों ही कर सकते हैं. लेकिन सुहागिन स्त्रियों के लिए इस व्रत को अधिक शुभदायी माना गया है. व्रत शुरू करने से पहले अपनी उस मन्नत का उल्लेख अवश्य कर दें जिसको पूरी करने के लिए आप व्रत का संकल्प ले रहे हैं. यह व्रत शुक्रवार को ही किया जाता है इसलिए यदि किसी कारणवश 11 या 21 शुक्रवार के व्रत के बीच आप किसी शुक्रवार को व्रत नहीं कर पाएं तो मां लक्ष्मी से माफी मांग कर उस व्रत को अगले शुक्रवार को रख लें. 

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वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम

वैभव लक्ष्मी की पूजा शाम के समय की जाती है. इसलिए सुबह उठकर घर की साफ-सफाई के बाद स्नान आदि करके मां वैभव लक्ष्मी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. व्रत के दौरान पूरे दिन फलाहार करें और व्रत पूरा होने के बाद शाम में ही अन्न ग्रहण करें. शुक्रवार को शाम में पूजा से पहले फिर से स्नान करें. इसके बाद पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां वैभव लक्ष्‍मी की तस्‍वीर या मूर्ति रखें और बगल में श्रीयंत्र. माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए वैभव लक्ष्मी की पूजा में लाल फूल, लाल चंदन, लाल वस्त्र आदि अवश्य रखें. साथ ही पूजा में सोने या चांदी का कोई आभूषण भी रखें. प्रसाद में चावल की खीर बनाएं. वैभव लक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें, पूजा के बाद लक्ष्‍मी स्‍तवन का पाठ करें और मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करें-
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
या मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

वैभव लक्ष्मी की पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के इन 8 स्वरूपों का भी ध्यान करना चाहिए- श्री धनलक्ष्मी या वैभव लक्ष्मी, श्री गजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयालक्ष्मी, श्री ऐश्‍वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी और श्री संतानलक्ष्मी. 

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