Vaikuntha Chaturdashi: व्रत के बाद जरूर पढ़ें ये कथा, बैकुंठ धाम के खुलेंगे द्वार
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Vaikuntha Chaturdashi: व्रत के बाद जरूर पढ़ें ये कथा, बैकुंठ धाम के खुलेंगे द्वार

बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2020) के दिन जो मनुष्य व्रत रखकर सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. कोई भी व्रत उसकी कथा (Vrat Katha) के बिना अधूरा माना जाता है. यहां जानें बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा (Vaikuntha Chaturdashi Katha) और शुभ मुहूर्त.

बैकुंठ चतुर्दशी

नई दिल्ली. 28 नवंबर यानी शनिवार को बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2020) मनाई जाएगी. हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi) मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना की जाती है. पुराणों के अनुसार, जो मनुष्य इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उसको सभी पापों से मुक्ति मिलती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में बैकुंठ धाम की बहुत मान्यता है.

  1. आज मनाई जाएगी बैकुंठ चतुर्दशी
  2. व्रत रखकर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है
  3. बैकुंठ चतुर्दशी की कथा के बिना अधूरा माना जाता है व्रत

पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक निद्रावस्था में चले जाते हैं. इन दौरान भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं. भगवान विष्णु चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को निद्रावस्था से बाहर आते हैं. इस खुशी में सभी देवी-देवता देव दीपावली मनाते हैं. बैकुंठ चतुर्दशी ((Vaikuntha Chaturdashi 2020) के दिन भगवान शिव दोबारा भगवान विष्णु को सृष्टि का कार्यभार सौंपते हैं.

मान्यताओं के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव एक ही रूप में रहते हैं. इस दिन जो मनुष्य व्रत रखकर सच्चे मन से पूजा करता है, उसपर हमेशा प्रभु की कृपा बनी रहती है. लेकिन कोई भी व्रत उसकी कथा के बिना अधूरा माना जाता है. आइए जानते हैं इस व्रत की कथा (Vaikuntha Chaturdashi Katha) और शुभ मुहूर्त.

बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने भगवान शिव के लिए यज्ञ किया. इस यज्ञ में भगवान विष्णु ने भगवान शिव को 1,000 स्वर्ण कमल अर्पित करने का वचन लिया. भगवान शिव ने भगवान विष्णु की परीक्षा लेने के लिए एक पुष्प गायब कर दिया. इस पर भगवान विष्णु ने अपनी आंखें निकालकर अर्पित कर दीं. भगवान विष्णु की भक्ति और श्रद्धा से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए.

भगवान शिव ने भगवान विष्णु को वरदान दिया कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जानी जाएगी और इस दिन जो कोई मनुष्य विधि-विधान के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करेगा, उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी.

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बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

बैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर 2020 यानी शनिवार को है.
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि की शुरुआत: 28 नवंबर को रात 10 बजकर 22 मिनट
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि समाप्ति: 29 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक
बैकुंठ चतुर्दशी का निशीथ काल: रात  को 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

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