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Importance Vrindavan Parikrama: भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थल पर लाखों की संख्या में दर्शन करने को आते हैं. जिस दौरान भक्त वृंदावन की परिक्रमा भी करते हैं. वैसे तो हिंदू धर्म में परिक्रमा का बहुत बड़ा महत्व है. मंदिर, पेड़ या फिर जीव जंतुओं की परिक्रमा करने से पूजा को पूर्ण माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार परिक्रमा करने से व्यक्ति को उसके कष्टों से मुक्ति मिलती है.
बता दें कि परिक्रमा का फल तभी प्राप्त हो सकता है जब इसके नियम और महत्व की सही जानकारी हो. जी हां, दरअसल वृंदावन परिक्रमा करने का एक खास नियम है जिसके बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है, तभी ही व्यक्ति को उसकी परिक्रमा करने का फल जल्द प्राप्त होगा. आइए विस्तार में वृंदावन की परिक्रमा के नियम के बारे में विस्तार में जानें.
जानें वृंदावन की परिक्रमा का महत्व
बता दें कि पहले के समय में वृंदावन में सिर्फ तुलसी ही मौजूद थी. दरअसल यहां पर केवल तुलसी का ही वन था ना कोई घर था ना कोई गांव. यही कारण है कि इस जगह का नाम वृंदावन पड़ा. मान्यता है कि यहां पर परिक्रमा करने से ना केवल भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि तुलसी माता का भी आशीर्वाद मिलता है. यहां पर भक्त के परिक्रमा करने से उसकी आर्थिक तंगी तो दूर होती ही है साथ ही घर में मां लक्ष्मी का वास हमेशा के लिए बना रहता है.
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जानें वृंदावन में परिक्रमा करने के सही नियम
वृंदावन की परिक्रमा 15 किलोमीटर की होती है. यह परिक्रमा परिधि से कहीं से भी शुरू कर सकते हैं. जहां से भी इसे शुरू करें उसी जगह इसे समाप्त भी करना होता है. ध्यान रखें कि परिक्रमा के समय पैरों में जुते चप्पल नहीं होने चाहिए. इस परिक्रमा को बिना वाहन के पैदल पूरा किया जाता है. परिक्रमा के लिए वैसे तो कोई दिन या समय निर्धारित नहीं किया गया है.
मगर भक्त यदि जल्दी फल की प्राप्ति चाहते हैं तो एकादशी के दिन इस परिक्रमा को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहता है. परिक्रमा के दौरान बाहर का खाना ना खाए. अगर भूख लगे भी तो फल का सेवन कर सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)