Wedding Card Tips: गणेश जी को ही क्यों दिया जाता है शादी का पहला निमंत्रण, इन देवताओं को भी दे सकते हैं कार्ड
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Wedding Card Tips: गणेश जी को ही क्यों दिया जाता है शादी का पहला निमंत्रण, इन देवताओं को भी दे सकते हैं कार्ड

Wedding Invitation Ritual: हिंदू धर्म में विवाह से पहले शादी का सबसे पहला निमंत्रण किन्हीं खास देवी देवता या फिर कुलदेवी को दिया जाता है. ऐसा क्यों किया जाता है और इसके पीछे का खास महत्व और नियम क्या है. इन सभी बातों के बारे में विस्तार में जानेंगे.

 

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First wedding card: हिंदू धर्म शास्त्रों में शादी-विवाह को लेकर कई तरह के रीति-रिवाज माने जाते हैं. इन्हीं में एक परंपरा शादी के कार्ड के पहले निमंत्रण को लेकर भी है. अक्सर हम सभी ने देखा या किया होगा कि शादी का पहला कार्ड गणेश जी को दिया जाता है या गणेश जी के मंदिर में रखा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है. वहीं, हिंदू धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही किया जाता है. शास्त्रो में गणेश जी को प्रथम पूजनीय भी माना गया है. इसलिए विवाह का पहला निमंत्रण भी भगवान गणेश को दिया जाता है ताकि विवाह का कार्य बिना किसी विघ्न के पूरा हो सके. 

निमंत्रण के समय करें ये काम

ज्योतिषियों के अनुसार शादी का सबसे पहला निमंत्रण रिद्धि और सिद्धि के कारक भगवान गणेश को देते हैं. दरअसल ऐसा करने से भगवान गणेश अवश्य ही विवाह में अदृश्य रूप में शामिल होते हैं. जिससे कि उनकी कृपा से विवाह में कोई बाधा नहीं आती है. भ्गावान गणेश को निमंत्रण देने समय इस मंत्र का जाप अवश्य करें.

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ .
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

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भगवान विष्णु या शिव को भी दे सकते हैं विवाह का निमंत्रण

ज्योतिषियों के अनुसार यदि नजदिक में भगवान गणेश का मंदिर ना हो तो विवाह का पहला कार्ड भगवान विष्णु या फिर शिव को भी दिया जा सकता है. यह व्यक्ति की सुविधा पर निर्भर करता है. भगवान विष्णु को शादी का निमंत्रण देने समय इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करें.

मङ्गलम् भगवान विष्णुःए मङ्गलम् गरुणध्वजः.
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षःए मङ्गलाय तनो हरिः॥

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जानें किन्हें देना चाहिए विवाह का निमंत्रण

ज्योतिषियों का मानना है कि विवाह का निमंत्रण वर वधू को देना चाहिए. यदि उनकी अनुपस्थिति हो तो वर वधू के माता पिता भी भगवान को निमंत्रण दे सकते हैं. इस दौरान विधि विधान से पूजा करना चाहिए. जिसके बाद विवाह के सफलतापूर्वक संपन्न होने की कामना करें और फिर शादी का कार्ड भगवान को सौंप दें. 

बता दें कि कई जगहों पर कुल देवी देवताओं को शादी का कार्ड सबसे पहले निमंत्रण के तौर पर दिया जाता है जिसके बाद ही देवी देवताओं को शादी का कार्ड देते हैं. एक और खास बात कि देवी देवताओं को विवाह का निमंत्रण देने के बाद पितरों को भी विवाह का आमंत्रण अवश्य दें.  
 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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