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नई दिल्ली: आपने भी इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि हिंदू धर्म में सिर्फ देवताओं की ही नहीं बल्कि प्रकृति से जुड़ी हर चीज की भी पूजा करने का महत्व है (Nature is worshipped). फिर चाहे वह सूर्य, चांद और तारों की पूजा करना हो या फिर पेड़ पौधों की. पीपल के पेड़ (Peepal tree) से लेकर बरगद के पेड़ तक और केले के पेड़ से लेकर शमी के पौधे और तुलसी के पौधे (Tulsi plant) तक- हर पेड़ पौधा किसी खास देवता से जुड़ा होता है और उसकी पूजा का अपना अलग महत्व होता है. आज गुरुवार के दिन बात करते हैं केले के पेड़ की पूजा की.
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के साथ ही ग्रहों में सबसे महत्वपूर्ण देव गुरु बृहस्पति (Brihaspati grah) का दिन माना जाता है. इस दिन श्रीहरि नारायण के साथ ही बृहस्पति देव की भी पूजा की जाती है और इसके साथ ही केले के पेड़ को भी पूजा जाता है (Banana tree is worshipped). बहुत से लोग तो केले के पेड़ के पास ही बैठकर गुरुवार व्रत की कथा (Guruvar vrat katha) पढ़ते हैं और केले के पेड़ को जल अर्पित कर घी का दीपक जलाकर उसकी आरती करते हैं और दीपक वहीं पेड़ के पास रख देते हैं. तो आखिर केले के पेड़ की पूजा का इतना महत्व क्यों है, यहां जानें.
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पुराणों और शास्त्रों के साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है (Lord vishnu lives in banana tree), इसीलिए गुरुवार को श्रीहरि नारायण की पूजा के बाद केले के पेड़ की पूजा की जाती है. ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जातक पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. साथ ही मान्यता है कि गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, परिवार में सुख-शांति और खुशियां आती हैं. इसके अलावा गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने से बृहस्पति ग्रह भी मजबूत होते हैं और अगर शादी विवाह में कोई रुकावट आ रही हो तो वो भी दूर हो जाती है.
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- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पूजा की तैयारी करें. कहा जाता है कि अगर ये सारा काम आप मौन रहकर करें तो ज्यादा फायदा होगा.
- इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और फिर केले के पेड़ की पूजा करें.
- इस बात का ध्यान रखें कि घर के आंगन में अगर केले का वृक्ष लगा हो, तो उस पर जल न चढ़ाएं बल्कि घर के बाहर केले के वृक्ष में जल चढ़ाएं और पूजा करें.
- सबसे पहले केले के पेड़ को प्रणाम करें, फिर जल चढ़ाएं, फिर हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें.
- अक्षत और पुष्प चढ़ाकर केले के पेड़ की परिक्रमा करें.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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