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नई दिल्ली: श्री कृष्ण के जन्मदिन को देशभर में जन्माष्टमी के तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है और श्री कृष्ण की प्यारी मैया यशोदा के जन्मदिन को यशोदा जयंती (Yashoda Jayanti) के रूप में मनाने की परंपरा है. हिंदू पंचांग (Panchang) के मुताबिक फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हर साल यशोदा जयंती मनायी जाती है. इस बार यह दिन 4 मार्च 2021 गुरुवार को है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की मां यशोदा का जन्म हुआ था. इस दिन भक्तजन यशोदा मैया (Maiyya Yashoda) के साथ ही भगवान कृष्ण की भी विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं. इस दिन बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी संतान की कुशलता की कामना के लिए व्रत भी रखती हैं.
यशोदा जयंती- गुरुवार 4 मार्च 2021 को
षष्ठी तिथि प्रारंभ- 4 मार्च 2021 को रात 12:21 बजे से
षष्ठी तिथि समाप्त-4 मार्च 2021 को रात 9.58 बजे
चूंकि ज्यादातर व्रत त्योहार उदया तिथि से माने जाते हैं इसलिए यशोदा जयंती गुरुवार 4 मार्च को मनायी जाएगी.
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ये बात तो हम सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण को माता देवकी (Devki) ने जन्म दिया था लेकिन उनका पालन-पोषण मां यशोदा ने किया था. कृष्ण के पिता वासुदेव (Vasudev) ने उनके पैदा होते ही उन्हें मामा कंस (Kans) से बचाने के लिए गोकुल में नंद बाबा (Nand baba) के पास छोड़ दिया था. नंद की पत्नी यशोदा थीं और उन्होंने ही श्रीकृष्ण को पाला था. इसलिए माता यशोदा का जन्मदिन मां और संतान के प्रेम को दर्शाने का दिन है. पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और कुशलता की कामना के लिए व्रत करती हैं. इस दिन श्रीकृष्ण को गोद में लेकर बैठी हुई यशोदा मां की तस्वीर की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा करने से संतान से संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और संतान प्राप्ति की भी इच्छा पूरी होती है.
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गोकुल में विशेष रूप से यशोदा जयंती पूरे उत्साह के साथ मनायी जाती है. यशोदा जयंती के दिन प्रातः काल स्नान आदि करने के बाद माता यशोदा का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. माता यशोदा की भगवान कृष्ण को गोद में लिए हुए तस्वीर की पूजा करें. अगर ऐसी पूजा घर में हो तो माता यशोदा का ध्यान करते हुए श्री कृष्ण के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें, अगरबत्ती, फूल, तुलसी के पत्ते, रोली, चावल से पूजन करें, मिष्ठान और मक्खन का भोग लगाएं. इसके बाद माता यशोदा और भगवान कृष्ण की आरती करें.