पृथ्वी पर उतरा रूसी अंतरिक्ष यान, 6 महीने पहले भरा था उड़ान
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पृथ्वी पर उतरा रूसी अंतरिक्ष यान, 6 महीने पहले भरा था उड़ान

Space Station: एक मानव रहित रूसी अंतरिक्ष यान, जो पिछले साल दिसंबर में एक प्रमुख शीतलक रिसाव (कूलैंट लीक) का शिकार हुआ था, सफलतापूर्वक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) रोस्कोस्मोस से पृथ्वी पर उतरा है.

पृथ्वी पर उतरा रूसी अंतरिक्ष यान, 6 महीने पहले भरा था उड़ान

Russian Space Agency: एक मानव रहित रूसी अंतरिक्ष यान, जो पिछले साल दिसंबर में एक प्रमुख शीतलक रिसाव (कूलैंट लीक) का शिकार हुआ था, सफलतापूर्वक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) रोस्कोस्मोस से पृथ्वी पर उतरा है. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. रोस्कोस्मोस ने टेलीग्राम पर लिखा, इसकी डी-ऑर्बिटिंग और पृथ्वी पर उतरने की प्रक्रिया सुचारु रूप से चली. 

रिसावग्रस्त सोयुज एमएस-22 अंतरिक्ष यान आईएसएस के रूसी-निर्मित रासवेट मॉड्यूल पर अपने डॉकिंग बंदरगाह से बिना किसी अंतरिक्ष यात्री के सुबह 5:57 बजे ईडीटी (3:27 अपराह्न् आईएसटी) पर रवाना हुआ. एजेंसी ने यह भी नोट किया कि सोयुज ने आईएसएस से 218 किलो कार्गो वितरित किया, जिसमें विश्लेषण या पुन: उपयोग के लिए वैज्ञानिक प्रयोगों और स्टेशन उपकरण के परिणाम शामिल हैं. 

सोयुज टर-22 मानवयुक्त अंतरिक्ष यान ने 21 सितंबर, 2022 को कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से उड़ान भरी थी, जिसमें सर्गेई प्रोकोपयेव, दिमित्री पेटेलिन और नासा के एक अंतरिक्ष यात्री को छह महीने के लिए ऑर्बिट में रहने के लिए आईएसएस ले जाया गया था. पिछले साल दिसंबर में आईएसएस पर सवार चालक दल ने सोयुज एमएस-22 के उपकरण-असेंबली डिब्बे की बाहरी त्वचा को क्षतिग्रस्त पाया. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने रोस्कोस्मोस के एक बयान का हवाला देते हुए बताया कि अंतरिक्ष यान के डायग्नोस्टिक सिस्टम का चेतावनी उपकरण बंद हो गया, जो शीतलन प्रणाली में दबाव की गिरावट का संकेत देता है.

रूसी कॉस्मोनॉट अन्ना किकिना ने नाउका बहुक्रियाशील प्रयोगशाला मॉड्यूल पर लगे एक मैनिपुलेटर पर एक कैमरे का उपयोग करते हुए सोयुज एमएस-22 की बाहरी सतह की तस्वीर खींची और अध्ययन के लिए पृथ्वी पर डेटा वापस भेज दिया. रोस्कोस्मोस के अधिकारियों ने कहा कि अंतरिक्ष यान का अब यह समझने के लिए अध्ययन किया जाएगा कि इसका शीतलक रिसाव कैसे हुआ. साथ ही शीतलक के बिना यान की लैंडिंग के उदाहरण से भविष्य के मिशनों में मदद मिलने की संभावना है.

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