डायनासोर के पेट से निकला था पत्थर, दर्द में चला 1000 KM तक; वैज्ञानिक भी हुए हैरान
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डायनासोर के पेट से निकला था पत्थर, दर्द में चला 1000 KM तक; वैज्ञानिक भी हुए हैरान

Dinosaur Gastroliths: आज से करोड़ों साल पहले डायनासोर के पेट में भी स्टोन्स मिलते थे. इतना ही नहीं, जब डायनासोर दर्द में होते थे तब वह एक बार में 1000 किलोमीटर तक चले जाते थे.

Dinosaur Gastroliths

नई दिल्ली: अब तक अपने इंसानों के शरीर में पत्थर (Stone) का होना सुना होगा. जैसे किडनी और गॉल ब्लैडर में स्टोन्स यानी पत्थर पाए जाते हैं. बिल्कुल वैसे ही आज से करोड़ों साल पहले डायनासोर (Dinosaur) के पेट में भी स्टोन्स मिलते थे. इतना ही नहीं, जब डायनासोर दर्द में होते थे तब वह एक बार में 1000 किलोमीटर तक चले जाते थे.

  1. डायनासोर के पेट में भी स्टोन्स मिलते थे
  2. डायनासोर दर्द में होते थे तब वह एक बार में 1000 किलोमीटर तक चले जाते थे
  3. जिरकॉन के जरिए इन पत्थरों की उम्र का पता किया जाता है

डायनासोर का अजीबोगरीब इलाज 

इस तरह से सबसे ज्यादा लंबी गर्दन वाले शाकाहारी डायनासोरों ने किया था. दरअसल ये उनका एक तरह का इलाज था. पेट में स्टोन हो जाने पर ये दर्द में जरूरत से ज्यादा चलते थे. इसके बाद वो जहां भी जाते थे वहां अपने मल या उल्टी के साथ पेट का स्टोन निकाल देते थे. अब इतने सालों बाद वैज्ञानिकों को ये पत्थर मिले हैं.

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गुलाबी भूरी रंगत का पत्थर 

वैज्ञानिकों को मिले पत्थर का रंग गुलाबी भूरी रंगत का है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा कि ये अमेरिका के विस्कॉन्सिन से 1000 किलोमीटर दूर स्थित व्योमिंग में ये पत्थर मिले. माना जा रहा है कि डायनासोर विस्कॉन्सिन से व्योमिंग तक गए थे. वहां दोनों जगहों के रास्ते में इनके पैरों के निशान और जुरासिक काल से संबंधित प्रमाण भी मिले हैं.

गैस्ट्रोलिथ्स

न्यूयॉर्क स्थित आडेल्फी यूनिवर्सिटी (Adelphi University, New York) के बायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर माइकल डेमिक के अनुसार, डायनासोर के पेट के पत्थरों को गैस्ट्रोलिथ्स (Gastroliths) कहते हैं. कई बार डायनासोर पत्थरों को खाकर अपने पेट में मौजूद खाने को पचाते थे. ये पत्थर पेट में जाकर ग्राइंडर का काम करते थे. 

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जुरासिक काल के पत्थर 

जिस तरह के पत्थर अभी मिले हैं, बिल्कुल वैसे ही पत्थर उत्तर अमेरिका, इडाहो, मोंटाना, न्यू मेक्सिको और विस्कॉन्सिन में काफी मात्रा में मिलते हैं. इससे यह साफ हो गया है कि जिरकॉन के जरिए इन पत्थरों की उम्र का पता किया जाता है. इन पत्थरों की उम्र करीब 180 करोड़ साल है. यानी जुरासिक काल के शुरुआती दिनों के. 

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