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बीजिंग: क्या आप जानते हैं कोरोना वायरस (Coronavirus) पहली बार साल 2019 में नहीं फैला था, चीन में कोरोना पहले भी लोगों को बीमार कर चुका है. लेकिन उसने ये जानकारी दुनिया से छुपाई. जान लें कि ये बात है साल 2016-17 के बीच की है. उस वक्त चीन में 25 हजार सुअर के बच्चे मारे गए थे और इसी वजह से बाद में चमगादड़ों (Bats) में कोरोना निकला था.
बता दें कि कोरोना वायरस हॉर्सशू नाम की प्रजाति के चमगादड़ों (Horseshoe Bat) की देन है. हॉर्सशू चमगादड़ों की वजह से ही साल 2002 में सार्स (Severe Acute Respiratory Syndrome) बीमारी फैली थी.
चीन में साल 2016-17 में 25 हजार से ज्यादा सुअर के बच्चे मर गए थे क्योंकि उनमें SADS-CoV था. हालांकि उस वक्त SADS-CoV से इंसानों को कोई खतरा नहीं हुआ था. लेकिन इसकी वजह से सार्स (SARS) की याद आ गई थी, जब 8 हजार लोग बीमार हो गए थे और 774 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
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गौरतलब है कि चीन (China) में 2004 के बाद सार्स (SARS) के केस नहीं आए. लेकिन उसके गुआंगडोंग स्टेट के 4 सुअर फॉर्म (Pig Farm) में SADS-CoV के केस आते रहे. इसकी पहचान ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) और इकोहेल्थ एलायंस ने मिलकर की थी. इनकी रिसर्च साइंस जर्नल नेचर (Science Journal Nature) में छपी थी.
तब भी साइंटिस्ट्स ने कहा था कि जानवरों में वायरस खोजना और जानकारी हासिल करना जरूरी है. ये इंसानों पर कभी भी हमला कर सकते हैं. लेकिन चीन के बड़े-बड़े दावों की पोल साल 2019 में तब खुल गई जब वुहान से नया कोरोना वायरस निकला. आज इसके बहुत सारे स्ट्रेन दुनियाभर में घूम रहे हैं.
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बता दें कि अक्टूबर, 2016 में गुआंगडोंग प्रांत में एक फार्म में SADS-CoV की वजह से सुअर मरने लगे थे. पहले बायोलॉजिस्ट को लगा कि ऐसा पीईडीवी (Porcine Epidemic Diarrhea Virus) की वजह से हो रहा है. PEDV सुअरों में पाया जाने वाला नॉर्मल कोरोना वायरस है. फिर साल 2017 के जनवरी महीने में सुअरों में PEDV की शिकायत आना बंद हो गई. लेकिन सुअरों की मौत होना नहीं रुकी.
इसके बाद वैज्ञानिकों ने जांच दोबारा शुरू की. फिर मई, 2017 में पता लगा कि सुअर कोरोना वायरस के नए रूप SADS-CoV से संक्रमित हुए. इसकी वजह से ही ये मारे गए. रिसर्चर्स ने मृत सुअरों की आंत से चमगादड़ों (Bats) में मिलने वाले कोरोना वायरस (Coronavirus) को खोजा था.
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