Delhi Earthquake Today: आखिर क्यों आते हैं हर साल तबाही मचाने वाले भूकंप, क्या है इसके पीछे का विज्ञान?
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Delhi Earthquake Today: आखिर क्यों आते हैं हर साल तबाही मचाने वाले भूकंप, क्या है इसके पीछे का विज्ञान?

Earthquake: नेपाल और दिल्‍ली-NCR में 9 नवंबर को रात करीब 2 बजे भूकंप के झटके महसूस हुए. क्‍या आपने कभी सोचा है कि हमारी जिदंगी में ये तबाही मचाने वाले भूकंप क्‍यों आते हैं? यहां जान लीजिए. 

फाइल फोटो

Earthquake Explained: नेपाल में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र नेपाल और मणिपुर था. इसके अलावा दिल्‍ली-NCR में भी लोगों को इसके झटके महसूस हुए. इसकी तीव्रता रिक्‍टर पैमाने पर 3.6 नापी गई है. आपने कभी सोचा है कि हर साल  भूकंप क्‍यों आते रहते हैं? इसकी क्‍या वजह होती है? पृथ्वी में ऐसी क्‍या हलचल मचती है जिससे हमें झटके महसूस होते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 20 हजार से भी ज्यादा भूकंप के झटके दर्ज होते हैं. वहीं ऐसा भी माना जाता है कि ये भूकंप के झटके हजारों नहीं बल्कि लाखों की संख्या में रहते हैं. ये झटके इसलिए महसूस नहीं किए जाते हैं क्‍योंकि इनमें से ज्यादातर बहुत हल्के रहते हैं जो सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नहीं हो पाते हैं. अगर आप भूकंप आने की वजह नहीं जानते हैं तो यहां जान लीजिए.  

क्यों आते हैं हर साल भूकंप?

धरती चार परतों से बनी हुई है. ये चार परत इनर कोर, आउटर कोर, मैन्‍टल और क्रस्ट है. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई भागों में बंटी हुई होती है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स भी कहते हैं. पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स होती है, जो घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा जोर से हिल जाती हैं, तो हमें भूकंप के झटके महसूस होने लगते हैं.  

कैसे पता करते हैं भूकंप की तीव्रता

आपको बता दें कि भूकंप की जांच रिक्टर स्केल के आधार पर मापी जाती है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं. भूकंप को रिक्टर स्केल पर 1 से 9 के आधार पर मापा जाता है. इसे भूकंप के केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है. जब भूकंप आता है तो उस समय धरती के अंदर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता से ही इसे मापा जाता है. इस तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का पता लगाया जाता है. 

भूकंप के केंद्र और तीव्रता का मतलब क्‍या होता है?

भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहा जाता है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल की वजह से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. इसी स्थान पर भूकंप का कंपन सबसे ज्यादा होता है. इस कंपन की आवृत्ति जितनी दूर होती है, इसका प्रभाव उतना ही कम होता चला जाता है. रिक्टर स्केल पर 7 या इससे ज्‍यादा की तीव्रता होती है तो भूकंप के 40 किमी के दायरे में झटके तेज लगते हैं.  

(ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)

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