Hubble Space Telescope: नासा के वैज्ञानिकों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के जरिए NGC 346 नाम के तारा मंडल के बीच कई नए तारे को देखा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च के बाद ब्रह्मांड के बनने के प्रोसस को समझने में आसानी होगी.
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Formation Of Milky Way: जमीन से आसमान जितना खूबसूरत दिखता है ये उतना ही रहस्यमयी भी है और आकाश के इसी रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक लगातार रिसर्च करते रहते है. रिसर्च का काम आगे बढ़ता रहे इसके लिए कई स्पेस सेटेलाइट लॉन्च किए गए जो टेलीस्कोप का काम करती है. ये स्पेस टेलीस्कोप हर वक्त स्पेस में घूमते रहते हैं और वहां से लगातार तस्वीरें भेजने का काम करते हैं. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और हबल स्पेस टेलीस्कोप ये दुनिया के सबसे पावरफुल टेलीस्कोप हैं इनमें से जेम्स वेब का कारनामा तो हमने कई बार देखा है. जेम्स वेब वही टेलीस्कोप है जिसने हाल ही में एक एक्सोप्लैनेट पर कार्बन डाई ऑक्साइड का पता लगाया था. इस बार नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है.
ऐसा क्या किया हबल स्पेस टेलीस्कोप ने?
हबल स्पेस टेलीस्कोप ने एक ऐसे स्माल मैगेलैनिक क्लाउड (Small Magellanic Cloud) की तस्वीर ली है जिसकी ओर वैज्ञानिकों ने इंटरेस्ट दिखाना शुरू किया है. इस मैगेलैनिक क्लाउड की संरचना हमारे मिल्की वे (Milky Way) से काफी मिलती जुलती है. आपको बता दें कि हमारा सौर मंडल मिल्की वे (Milky Way) आकाशगंगा का ही सदस्य है लेकिन वैज्ञानिकों को इसकी एक बात ज्यादा आनोखी लगी, वो ये है कि इस मैगेलैनिक क्लाउड में कुछ नए तारे यानी युवा तारे देखे गए हैं. ये युवा तारे NGC 346 नाम के विशाल तारों के समूह के बीच देखे गए. इन नए तारों के संबध वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों को समझने में मदद कर सकते हैं. यहां नए तारों के बनने की प्रक्रिया को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ हद तक बाकि आकाशीय पिंडों के बनने की क्रिया भी इनके समान ही होगी.
ब्रह्मांड कैसे बना अब चल जाएगा पता!
ब्रह्मांड के बनने का प्रोसेस क्या है? ये शोधकर्ताओं के बीच में एक बेहद लोकप्रिय विषय है. ये स्माल मैगेलैनिक क्लाउड (Small Magellanic Cloud) वैज्ञानिकों की मल्की वे (Milky Way) से तुलना करने में मदद करेगा. हबल स्पेस टेलीस्कोप ने एक सर्पिलिंग स्ट्रक्चर को देखा और पाया कि तारों का निर्माण इसके पिछले हिस्से पर हो रहा था. किसी तारे बनने को लेकर वैज्ञानिकों के पास कई प्रीडक्शन्स हैं लेकिन अब वैज्ञानिक उन प्रीडक्शन्स की सच्चाई जानना चाहते हैं.
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