Silica nanoparticle coated cotton fabric: आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने एक ऐसा तंतु विकसित किया है, जो पानी से तेल को अलग कर सकता है.
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Innovation: आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने एक ऐसा तंतु विकसित किया है, जो पानी से तेल को अलग कर सकता है. इससे तेल रिसाव के कारण होने वाले समुद्री प्रदूषण से निपटने में मदद मिलेगी. आईआईटी गुवाहाटी के रासायनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर वैभव गौड़ ने बताया कि चावल की भूसी का इस्तेमाल कर सिलिका नैनो पार्टिकल्स आवरण वाला कपास तंतु विकसित किया गया है. उन्होंने कहा कि इसका मकसद समुद्री तेल प्रदूषण के उपशमन के लिए कृषि अपशिष्ट को उपयोगी मूल्यवर्धित उत्पाद में बदलना था.
तटीय इलाकों में नहीं होगा पर्यावरण को कोई नुकसान
सुतापा दास के साथ यह रिसर्च पेपर लिखने वाले गौड़ ने कहा कि औद्योगिक अपशिष्ट या हादसे के कारण होने वाले तेल रिसाव से जलीय पारितंत्र को अपूरणीय क्षति होती है तथा स्कीमिंग या वहां पर आग लगाने की प्रविधियां निष्प्रभावी, महंगी साबित होती हैं तथा उनसे और प्रदूषण फैलता है.
गौड़ ने कहा, ‘हमारी प्रौद्योगिकी के पर्यावरण के लिए कई फायदे हैं. धान की भूसी कृषि सह उत्पाद है और उसमें सिलिका होता है. उसमें आमतौर पर गैरवैज्ञानिक ढंग से चलाया जाता है, फलस्वरूप वायु प्रदषण होता है. लेकिन हमारी तकनीक से इस भूंसी को थ्रेड सॉबरेंट में बदला जा सकता है, जो तेल संदूषण को कम कर सकता है.’
तटों की सफाई में होगी आसानी
समुद्र तट में तेल का रिसाव एक बड़ी समस्या है. इस खोज से तटों को सुरक्षित करने के साथ समुद्री जीवों की रक्षा भी की जा सकेगी. क्योंकि किसी भी हादसे की वजह से समुद्री जलपोतों का नष्ट होना या समुद्र में तेल का रिसाव होना, भौतिक संपत्ति और मानव जीवन का भी एक बड़ा नुकसान है. UN की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया के कई समुद्री इलाकों में हुए हादसों में पर्यावरण को बहुत भारी नुकसान पहुंचा है.
कुछ दिन पहले मुंबई में उरण के पास कुछ तेल फैलने से दहशत फैल गई थी. तब ओएनजीसी ने अपने बयान में कहा था कि आठ सितंबर, 2023 की सुबह ओएनजीसी के उरण संयंत्र में कच्चे तेल के भंडारण टैंकों में से मामूली मात्रा में तेल रिस गया था. लीक हुआ तेल भारी बारिश के कारण तूफानी जल निकासी माध्यम में पहुंच गया था. घटना वाले दिन भारी बारिश होने और समुद्र तट चट्टानी इलाका होने के कारण सफाई में काफी मेहनत करनी पड़ी थी. ऐसे में आईआईटी गुवाहाटी की ये खोज किसी वरदान से कम नहीं है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)