Komodo Dragon Teeth: दुनिया की सबसे बड़ी जीवित छिपकली, कोमोडो ड्रैगन के रेजर जैसे दांतों पर लोहे की एक परत होती है. यह उन्हें अपने शिकार को मारने में मदद करती है.
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Komodo Dragons' Iron Teeth: कोमोडो ड्रैगन के दांत रेजर जैसे होते हैं, एक नई स्टडी में इस तथ्य का पता चला है. उनके दांतों पर लोहे की एक परत चढ़ी होती है जो उन्हें शिकार को मारने में मदद करती है. कोमोडो ड्रैगन, दुनिया की सबसे बड़ी जीवित छिपकली हैं. उनके दांतों पर किंग्स कॉलेज (लंदन) की यह स्टडी 24 जुलाई को Nature Ecology & Evolution जर्नल में छपी है. मूल रूप से इंडोनेशिया में पाए जाने वाले कोमोडो ड्रैगन के बारे में यह बात अब तक नहीं पता चली थी. स्टडी के मुताबिक, कोमोडो ड्रैगन और डायनासोर का पूर्वज एक ही है.
रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में एडवांस्ड केमिकल और स्ट्रक्चरल इमेजिंग का इस्तेमाल किया. रिसर्चर्स ने कोमोडो ड्रैगन के विभिन्न नमूनों से दांत लिए. उन्होंने कई और जीवित और विलुप्त सरीसृपों के दांतों का भी अध्ययन किया. स्टडी में पता चला कि कोमोडो ड्रैगन के दांतों के अग्रभाग और दांतों में नारंगी रंग का प्रोटेक्टिव आयर्न कोट पाया जाता है. रिसर्चर्स ने कहा कि यह लोहा विशाल छिपकलियों के 'दांतों को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है', जिनका इस्तेमाल वे अपने शिकार को मारने के लिए करते हैं.
डायनासोर के दांत भी ऐसे रहे होंगे!
कोमोडो ड्रैगन, चूहों से लेकर भैंसों तक विभिन्न प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं. ये उन्हें अपने तीखे दांतों और विषैले दंश से मार डालते हैं. रिसर्चर्स का मानना है कि शायद मांसाहारी डायनासोरों के दांतों पर भी इसी तरह लोहे की परत मौजूद रही होगी जो समय के साथ गायब हो गई. वैज्ञानिकों को कोमोडो ड्रैगन के करीबी सरीसृपों और डायनासोरों के जीवाश्मों में इनके सबूत नहीं मिले.
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किंग्स कॉलेज में डेंटल बायोसाइंसेज के लेक्चरर, डॉ. आरोन लेब्लांक ने कहा कि 'कोमोडो ड्रैगन के दांत घुमावदार होते हैं, जो मांसाहारी डायनासोर की तरह अपने शिकार को चीरने और फाड़ने में सक्षम होते हैं.' लेब्लांक इस स्टडी के मुख्य लेखक भी हैं. उन्होंने कहा, 'हम इस समानता का इस्तेमाल मांसाहारी डायनासोरों के आहार के तरीके के बारे में और जानने के लिए करना चाहते हैं.'
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कोमोडो ड्रैगन की लंबाई तीन मीटर (10 फीट) तक हो सकती है और इनका वजन 90 किलोग्राम तक हो सकता है.