आइंस्टीन क्रॉस: ब्रह्मांड में मिला ऐसा चमत्कारी लेंस, जिससे झांकने पर डीप स्पेस बड़ा नजर आता है
Advertisement
trendingNow12444270

आइंस्टीन क्रॉस: ब्रह्मांड में मिला ऐसा चमत्कारी लेंस, जिससे झांकने पर डीप स्पेस बड़ा नजर आता है

Einstein Cross Discovery: वैज्ञानिकों ने अभी तक का सबसे बड़ा आइंस्टीन क्रॉस खोजा है. यह आकाशगंगाओं के एक दुर्लभ 'हिंडोला' के बीच स्थित है और गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के साथ डीप स्पेस को बड़ा दिखाता है.

आइंस्टीन क्रॉस: ब्रह्मांड में मिला ऐसा चमत्कारी लेंस, जिससे झांकने पर डीप स्पेस बड़ा नजर आता है

Science News in Hindi: एक हैरान करने वाली खोज में, एस्ट्रोनॉमर्स ने एक गैलेक्सी क्लस्टर के साथ अलाइन्ड सात आकाशगंगाओं की खोज की है. साथ मिलकर, वे अब तक देखी गई आकाशगंगाओं की सबसे अनोखी संरचनाओं में से एक- गुरुत्वाकर्षण लेंस - को बनाती हैं. विकृत और फैली हुई आकाशगंगाओं की इस व्यवस्था में सबसे बड़ा 'आइंस्टीन क्रॉस' शामिल है. यह जनरल रिलेटिविटी से पैदा हुई गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग का नतीजा है, जिसकी वजह से एक ही फोटो में एक ही आकाशगंगा बार-बार दिखाई देती है. 'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में छपी स्टडी में, वैज्ञानिकों ने इस संरचना को 'कैरोसेल लेंस' नाम दिया है.

यह लेंस जिन आकाशगंगाओं के क्लस्टर से बना है, वह पृथ्‍वी से लगभग 5 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर है. यह खोज खगोल विज्ञान के कई रहस्यों से पर्दा उठाने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकती है. इनमें डार्क एनर्जी (ब्रह्मांड के विस्तार को बढ़ाने वाली अदृश्‍य ताकत) और डार्क मैटर (वह अदृश्‍य पदार्थ जिससे 80% ब्रह्मांड बना है) शामिल हैं.

109 साल पहले आइंस्टीन ने की थी भविष्‍यवाणी

गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग (Gravitational lensing) की भविष्‍यवाणी सबसे पहले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी. उनके 109 साल पुराने 'सामान्य आपेक्ष‍िकता' सिद्धांत (General Theory of Relativity) में इसका प्रस्ताव किया गया था. आइंस्टीन का सिद्धांत कहता है कि विशालकाय पिंड - जैसे तारे, ब्लैक होल और आकाशगंगाएं - स्पेस टाइम के ताने-बाने को विकृत कर देते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि ऐसे पिंड दूर स्थित पिंडों से आ रहे प्रकाश को 'मोड़' सकती हैं.

यह भी पढ़ें: पृथ्‍वी से टकराने आ रहा हर एस्टेरॉयड तबाह हो जाएगा! वैज्ञानिकों ने खोजी गजब की तकनीक

जब कोई गुरुत्वाकर्षण लेंस दूर की वस्तुओं और पृथ्वी पर मौजूद ऑब्जर्वर्स के बीच होता है, तो दूर की वस्तुएं बड़ी दिखाई देती हैं. 'कैरोसेल लेंस' के पीछे जो सात अलग-अलग आकाशगंगाएं हैं, वे पृथ्‍वी से 7.6 बिलियन से लेकर 12 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर स्थित हैं. यानी ये आकाशगंगाएं लगभग ज्ञात ब्रह्मांड के किनारे पर मौजूद हैं. हम अपने सबसे बेहतरीन टेलीस्कोप से भी इसके आगे नहीं झांक सकते क्योंकि यह बेहद तेजी से हमसे दूर जा रहा है.

fallback
हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा लिया गया कैरोसेल लेंस का फोटो. आकाशगंगाओं की नंबरिंग 1 से 7 तक है और उनकी मिरर रिफ्लेक्शन को हर संख्‍या के लेटर इंडेक्स (a,b,c,d...) से दिखाया गया है. बीच में La, Lb, Lc और Ld लेंसिंग क्लस्टर की सबसे बड़ी आकाशगंगाओं को दिखाती हैं. (क्रेडिट: William Sheu (UCLA))

कैरोसेल लेंस में, कई आकाशगंगाएं एक से ज्यादा जगहों पर दिखाई देती हैं. दिलचस्प बात यह है कि कैरोसेल लेंस में एक आइंस्टीन क्रॉस है जो आकाशगंगा संख्या 4 (ऊपर की इमेज में 4a, 4b, 4c, और 4d) की चार बार दोहराई गई घटनाओं से बना है.

पृथ्‍वी की तरह चंद्रमा पर भी ढेर सारा पानी मौजूद है! नई रिसर्च से वैज्ञानिकों ने चौंकाया

क्यों इतना अहम है यह खोज?

स्टडी के को-ऑथर और अमेरिका की लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी में सीनियर साइंटिस्ट, डेविड श्लेगल इसे 'कमाल की खोज' करार देते हैं. उन्होंने कहा कि 'ऐसा एक अलाइनमेंट ढूंढना घास के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है. इन सभी की खोज घास के ढेर में आठ कतारबद्ध सुइयों जैसा है.' डेविड की टीम ने इस संरचना की खोज DESI  (Dark Energy Spectroscopic Instrument) सर्वे, हबल स्पेस टेलीस्कोप के डेटा और NERSC (नेशनल एनर्जी रिसर्च साइंटिफिक कंप्यूटिंग सेंटर) के पर्लमटर सुपरकंप्यूटर की मदद से की.

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news