29P Comet News: 29P/Schwassmann-Wachmann (29P) नामक धूमकेतु अचानक से जाग उठा है. वहां 48 घंटों के भीतर चार बड़े ज्वालामुखी विस्फोट दर्ज किए गए हैं.
Trending Photos
Science News: बर्फीले ज्वालामुखियों के अचानक फटने से एक विशालकाय धूमकेतु (Comet) दहल उठा है. 48 घंटों के भीतर चार जोरदार धमाके दर्ज किए गए. इनकी वजह से धूमकेतु के बर्फीले पेट से इतना पदार्थ निकला कि वह पहले से 300 गुना चमकदार नजर आने लगा है. रिसर्चर्स के मुताबिक, यह धमाके पिछले तीन साल में सबसे बड़े हैं. नई खोज से यह कन्फ्यूजन और बढ़ गई है कि यह धूमकेतु कब और क्यों फटता है.
60 किलोमीटर में फैला है ठंडा ज्वालामुखी
इस कॉमेट का नाम 29P/Schwassmann-Wachmann (29P) है. यह करीब 37 मील (60 किलोमीटर) में फैला है. तुलना के लिए, यह मैनहटन से लगभग तीन गुना बड़ा है. 29P उन करीब 500 धूमकेतुओं में से एक है जो पूरी जिंदगी सौरमंडल के अंदरूनी भाग में बिताते हैं. यह धूमकेतु एक और दुर्लभ समूह का हिस्सा है, जिन्हें क्रायोवोल्कैनिक या ठंडा ज्वालामुखी धूमकेतु कहते हैं.
यह भी पढ़ें: 2023 में अंतरिक्ष से आया था एलियन जैसा सिग्नल, बाप-बेटी ने मिलकर डिकोड कर डाला मैसेज
क्रायोवोल्कैनिक धूमकेतु में क्यों होते हैं विस्फोट
क्रायोवोल्कैनिक धूमकेतु एक तरह के बर्फीले खोल या नाभिक से बने होते हैं, जो बर्फ, धूल और गैस से भरा होता है. जब धूमकेतु सूर्य के रेडिएशन को पर्याप्त मात्रा में सोख लेता है, तो उसके बर्फीले अंदरूनी हिस्से अत्यधिक गर्म हो जाते हैं. नाभिक के भीतर दबाव तब तक बढ़ता रहता है जब तक कि खोल टूट नहीं जाता और धूमकेतु के बर्फीले अंदरूनी हिस्से या क्रायोमैग्मा अंतरिक्ष में फैल जाते हैं.
विस्फोट के बाद धूमकेतु का कोमा - क्रायोमेग्मा का एक धुंधला, परावर्तक बादल - फैल जाता है. इससे धूमकेतु अधिक चमकीला दिखाई देता है क्योंकि यह सूर्य की किरणों को अधिक परावर्तित करता है. 29P के साथ अभी यही हो रहा है.
यह भी देखें: सिर्फ 31000 KM दूर... आज भयानक स्पीड से धरती की ओर आ रहा 'तबाही का देवता' एस्टेरॉयड
29P क्यों इतना खास है?
अधिकतर क्रायोवोल्कैनिक धूमकेतु बेहद अण्डाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इससे वह दशकों, शताब्दियों या यहां तक कि हजारों साल तक सौरमंडल के बाहरी क्षेत्रों में रहते हैं. जब वे आंतरिक सौर मंडल में दौड़ लगाते हैं, तब वे बाहरी सौर मंडल में वापस जाने से पहले नियमित रूप से विस्फोट करना शुरू करते हैं.
हालांकि, 29P हर 15 साल में एक बार सूर्य की परिक्रमा करता है. इसकी बृहस्पति के समान दूरी पर सूर्य के चारों ओर एक गोलाकार कक्षा है. इसका मतलब है कि इसके द्वारा अवशोषित सौर विकिरण की मात्रा ज्यादातर स्थिर रहती है. यही वजह है कि यह नियमित रूप से फटता है. चूंकि यह सूर्य के बेहद करीब नहीं जाता इसलिए इस धूमकेतु की पूछ भी नहीं बनती.