NASA Mars Rover: मंगल पर NASA Rover के स्वागत के लिए तैयार बड़ा भाई 'इंसाइट', जानिए क्या है Mars InSight की भूमिका
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NASA Mars Rover: मंगल पर NASA Rover के स्वागत के लिए तैयार बड़ा भाई 'इंसाइट', जानिए क्या है Mars InSight की भूमिका

मंगल ग्रह पर नासा के पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Rover) का बड़ा भाई पहले से मौजूद है. ये मार्स रोवर को मंगल ग्रह की सबसे बड़ी समस्या से बचाएगा. आइए जानते हैं कि पर्सिवरेंस की दिक्कतें और बड़े भाई मार्स इंसाइट (Mars Insight) की भूमिका. 

Mars InSight

नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) का अंतरिक्षयान मंगल ग्रह (Mars) की सतह पर आज यानी 18 फरवरी की देर रात लैंड करेगा. मंगल ग्रह तक पहुंचने में नासा के पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Rover) को बहुत सी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है. ये दिक्कतें ऐसी हैं, जिनसे पर्सिवरेंस रोवर को खुद ही निपटना होगा, लेकिन आपको बता दें कि मंगल ग्रह पर उसका बड़ा भाई पहले से मौजूद है. ये मार्स रोवर को मंगल ग्रह की सबसे बड़ी समस्या से बचाएगा. आइए जानते हैं कि पर्सिवरेंस की दिक्कतें और बड़े भाई इंसाइट (Know The Role On Mars Insight) की भूमिका. 

  1. NASA का रोवर मंगल की सतह पर 18 फरवरी की देर रात लैंड करेगा
  2. रोवर को बहुत सी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है
  3. मंगल ग्रह पर उसका बड़ा भाई पहले से मौजूद है
  4.  

रोवर की गति को कंट्रोल करना 

मार्स पर उतरने से आधे घंटे पहले तक पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) की गति करीब 80 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. 30 मिनट में इसकी गति को कम करके इस स्तर पर लाना होगा जिससे वह तेजी से मंगल ग्रह पर न गिरे.

लाल ग्रह पर है बहुत गर्मी 

मार्स के वायुमंडल में प्रवेश करते ही पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) को घर्षण की वजह से 1000 डिग्री सेल्सियस के तापमान को बर्दाश्त करना होगा. 

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जेजेरो क्रेटर एक बड़ी चुनौती

जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समुद्र है. ऐसे में पर्सिवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग कितनी सफल होगी इस पर दुनिया भर के साइंटिस्ट्स की निगाहें टिकी हुई हैं. 

लाल ग्रह पर मौजूद है बड़ा भाई

लाल ग्रह यानी मंगल पर पहले से ही बड़ा भाई मार्स इनसाइट (Mars Insight), पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) का इंतजार कर रहा है. यह नासा का एक रोवर है, जिसे अमेरिका ने नवंबर 2018 में मंगल की सतह पर पहुंचाया था.

क्या है मार्स इंसाइट 

मार्स इंसाइट (Mars Insight) का काम है मंगल की सतह और गर्भ में आने वाले भूकंपों की जानकारी देना. नवबंर 2018 से ये लगातार सिर्फ मंगल ग्रह पर आ रहे भूकंपों की जानकारी जमा करके नासा को भेज रहा है.

क्या है इंसाइट की भूमिका 

जब पर्सिवरेंस मार्स रोवर मंगल की सतह पर उतरेगा, उस समय इनसाइट नासा और पर्सिवरेंस दोनों को ये बताएगा कि उसकी लैंडिंग साइट पर कोई भूकंप तो नहीं आने वाला.

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धरती के भूकंप को अर्थक्वेक (Earthquake) कहते हैं, वैसे ही मंगल पर आने वाले भूकंप को मार्सक्वेक (Marsquake) कहते हैं. साल 2019 में मार्स इंसाइट की टीम ने पहली बार दुनिया को बताया था कि मंगल ग्रह पर भी भूकंप आते हैं. हालांकि ये भूकंप धरती के भूकंप से थोड़े अलग होते हैं, ये किस प्रकार के होते हैं ये अब भी रहस्य ही है.

इंसाइट ने मनाया जन्मदिन 

मंगल ग्रह पर भूकंप को मापने के लिए एक ही केंद्र हैं जिसे मार्स इंसाइट कहते हैं. इसलिए वहां पर भूकंप का पता करना मुश्किल है. हाल ही में इंसाइट ने मंगल पर अपना पहला जन्मदिन मनाया है. वह भी पूरे दो साल बाद क्योंकि मंगल का एक दिन धरती के दो दिन के बराबर होता है. यानी करीब 687 धरती के दिन. 

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छोटे भाई का अपडेट देगा इंसाइट

लेकिन पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग के दौरान इंसाइट अपना काम करेगा. जैसे ही पर्सिवरेंस मंगल की सतह पर उतरेगा, इनसाइट की जमीन में हुए कंपन से पता चल जाएगा कि छोटा भाई सुरक्षित लैंड कर गया है.

तीन तरह की भूकंपीय गतिविधियां

जब भी कोई यान किसी सतह पर लैंड करता है तो तीन तरह की भूकंपीय गतिविधियां होती हैं. पहली- अचानक से अगर यान की गति धीमी की जाए तो उससे सोनिक बूम होगा. इससे निकलने वाली शॉकवेव से भूकंपीय गतिविधि होगी. दूसरी- यही सोनिक बूम को अगर वायुमंडल अपने में सोख ले तो भी काफी दूरी तक कंपन पैदा कर देगा. तीसरी- जो सबसे प्रमुख है. तीसरी- भूकंपीय गतिविधि लैंडिंग सिक्वेंस के दौरान तब हो सकती है, जब पर्सिवरेंस दो भारी रोवर को नीचे उतारेगा. 

वैज्ञानिकों की निगाहें मिशन पर 

इन गतिविधियों को वह क्रूज मास बैलेंस डिवाइस (CMBDs) के जरिए नियंत्रित करेगा. इस समय इसकी गति करीब 1000 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसके जेट इंजन की वजह से मंगल ग्रह की सतह पर गड्ढा भी बन सकता है. इससे भी भूंकपीय गतिविधि होगी. दुनिया भर के वैज्ञानिकों की निगाहें इस वक्त इन मिशन पर टिकी है. 

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