3 हजार पहले सिकुड़ गया था इंसानों का दिमाग, चींटियों की हेल्‍प से पता चली बात
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3 हजार पहले सिकुड़ गया था इंसानों का दिमाग, चींटियों की हेल्‍प से पता चली बात

क्या आप जानते हैं इंसान का ब्रेन इस समय जिस रूप में हैं, पहले इससे भी बड़ा हुआ करता था. जानें ये चौंकाने वाली रिसर्च क्या कहती है.

इंसानों के ब्रेन के साइज में प्लीस्टोसिन के बाद आई कमी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : ब्रेन इंसानी शरीर का सबसे जटिल अंग है. हाल ही में एक नई रिसर्च में ब्रेन के विकास को अधिक समझने की मदद मिल सकती है. जानें, क्या कहती है ये रिसर्च. 

  1. ब्रेन इंसानी शरीर का सबसे जटिल अंग है
  2. 3,000 साल पहले इंसानों के ब्रेन का आकार कम हो गया था
  3. इंसानों के ब्रेन के साइज में प्लीस्टोसिन के बाद आई कमी

प्लीस्टोसिन (एक युग) के बाद आई कमी

रिसर्च के मुताबिक, लगभग 3,000 साल पहले इंसानों के ब्रेन का आकार कम हो गया था. इस रिसर्च में चींटियों पर शोध करके ये जानने की कोशिश की गई कि कैसे ब्रेन के आकार में वृद्धि या कमी हो सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारे विकासवादी इतिहास के दौरान इंसानों के ब्रेन के आकार में वृद्धि हुई है. लेकिन प्लीस्टोसिन (Pleistocene) के बाद से इंसानों के ब्रेन के आकार में कमी आई है. ये परिवर्तन कब और क्यों हुए, यह अभी तक ज्ञात नहीं है. 

क्या कहते हैं शोधकर्ता

डार्टमाउथ कॉलेज के सह-लेखक डॉ. जेरेमी डिसिल्वा के मुताबिक, आज इंसानों के बारे में एक आश्चर्यजनक सच ये है कि हमारा दिमाग  प्लीस्टोसिन के समय के पूर्वजों के मुकाबले छोटा है. हालांकि ये तथ्य ह्यूमन साइंस के लिए एक रहस्य है. इस रहस्य को सुलझाने के लिए, विभिन्न अकेडमिक क्षेत्रों के शोधकर्ताओं की एक टीम बनाई गई जिसने ह्यूमन ब्रेन के विकास के ऐतिहासिक पैटर्न का शोध किया. 

हाल ही में आई आकार में कमी

शोधकर्ताओं ने 985 जीवों के अवशेष और आधुनिक ह्यूमन क्रैनिया के डेटासेट में परिवर्तन बिंदु के तहत विश्लेषण किया. उन्होंने पाया कि प्लीस्टोसिन के दौरान ह्यूमन ब्रेन का आकार 2.1 मिलियन साल पहले और 1.5 मिलियन साल पहले बढ़ रहा था, लेकिन लगभग 3,000 साल पहले ब्रेन के (Holocene) आकार में कमी आई, जो पिछले अनुमानों की तुलना में अधिक लेटेस्ट है.

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ह्यूमन ब्रेन के विकास के बारे में चींटियां हमें क्या सिखा सकती हैं?

ब्रेन के आकार में कमी के लिए, शोधकर्ताओं की टीम ने चींटियों के भीतर सुराग ढूंढते हुए एक नई परिकल्पना का प्रस्ताव रखा.

शोधकर्ता ट्रैनीलो का कहना है कि चींटियां यह समझने के लिए विविध मॉडल प्रदान कर सकती हैं कि सामाजिक जीवन के कारण दिमाग आकार में क्यों बढ़ या घट सकता है. उन पर शोध करके जान सकते हैं कि दिमाग क्यों बढ़ता या घटता है, केवल जीवाश्मों का उपयोग करके शोध करना मुश्किल है.

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अलग-अलग प्रकार की चीटियों के ब्रेन के आकार, संरचना और ऊर्जा उपयोग के कम्प्यूटेशनल मॉडल और पैटर्न का शोध करने से पता चला है कि जिस समूह में आप रहते हैं, मेहनत करते हैं. ब्रेन आकार उसी के मुताबिक, भिन्न हो सकता है. एक सामाजिक समूह के भीतर जहां ज्ञान साझा किया जाता है या व्यक्ति कुछ कार्यों में विशेषज्ञ होते हैं, दिमाग अधिक कुशल काम करता है या आप अपने फूड का खुद उत्पादन करने लगते हैं तो ये सभी फैक्टर ब्रेन के आकार में कमी का कारण बन सकते हैं.

चींटियां मनुष्यों के साथ सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा करती हैं जैसे कि ग्रुप में निर्णय लेना और काम का विभाजन, साथ ही साथ अपने स्वयं के भोजन (कृषि) का उत्पादन. ये समानताएं हमें उन कारकों के बारे में व्यापक रूप से सूचित कर सकती हैं जो मानव मस्तिष्क के आकार में परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं.

रिसर्च के नतीजे

शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे की ब्रेन के साइज के कम होने का अहम कारण सामूहिक बुद्धिमत्ता पर बढ़ती निर्भरता थी. हालांकि अभी इस पर और अधिक रिसर्च होना बाकी है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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