नासा (NASA) ने अपने पहले शक्तिशाली स्पेस लॉन्च सिस्टम (Space Launch System) के रॉकेट को तैयार कर लिया है. ये रॉकेट जल्दी ही चांद पर इंसानों को ले जाएगा. फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Center of Florida) में इंजीनियरों ने रॉकेट के 65 मीटर ऊंचे मूल हिस्से को दो छोटे बूस्टर रॉकेटों के बीच फिट किया. ये पहली बार है जब इस विशाल रॉकेट के तीनों हिस्सों को लॉन्च कंफिग्रेशन में स्थापित किया गया है.
नासा (NASA) इस साल एसएलएस (SLS) को पहली उड़ान पर भेजेगा. इस मिशन को आर्टेमिस-1 (Artemis-1) नाम दिया गया है. इसके तहत एसएलएस अमेरिका की अगली पीढ़ी के क्रू व्हीकल ओरियन को चांद की तरफ लेकर जाएगा. हालांकि पहली उड़ान में इंसानों को नहीं भेजा जाएगा. इंजीनियर 2023 में इंसानों को भेजने से पहले रॉकेट और स्पेसशिप को पूरी तरह परखना चाहते हैं.
एसएलएस में एक विशाल कोर स्टेज है जिसमें प्रोपेलेंट टैंक और चार शक्तिशाली इंजन हैं. इसके दोनों तरफ़ दो 54 मीटर लंबे सॉलिड रॉकेट बूस्टर हैं.उड़ान के पहले दो मिनट के दौरान ये दोनों बूस्टर रॉकेट ही एसएलएस को ज़मीन से ऊपर उठने के लिए पर्याप्त शक्ति देते हैं. इस रॉकेट की कोर स्टेज और दोनों ही सॉलिड रॉकेट बूस्टर स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी (Statue of Liberty) की बिना पायदान के ऊंचाई से ऊंचे हैं.
मोबाइल लॉन्चर के ज़रिए एसएलएस का परीक्षण और मरम्मत की जा सकती है. इसी के ज़रिए इस विशाल रॉकेट को लॉन्च पैड पर पहुंचाया जाएगा. चांद पर आशियाना बसाने की दिशा में ये बड़ा कदम होगा.
इंजीनियरों ने पिछले साल नवंबर में एसएलएस को मोबाइल लॉन्चर पर रखने का काम शुरू किया था. अर्टेमिस-3 1972 में चांद पर अपोलो-17 की लैंडिंग के बाद पहला मिशन होगा जिसमें इंसान फिर से चांद पर क़दम रखेगा. ये अगले कुछ सालों में लॉन्च किया जाएगा. (साभार बीबीसी)
मार्च में कोर स्टेज के इंजनों को आठ मिनट के लिए चालू किया गया था. ये परीक्षण कामयाब रहा था. एसएलएस इतने समय के भीतर ही ज़मीन से अंतरिक्ष में पहुंच जाएगा. ये ग्रीन रन का अंतिम और सबसे ज़रूरी परीक्षण था.
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