मंगल ग्रह के पास भी होगी शनि जैसी रिंग
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मंगल ग्रह के पास भी होगी शनि जैसी रिंग

संभावना है कि या तो फोबोस मंगल से टकरा जाने या टूटकर बिखर जाने की है." सौर मंडल में इसके अलावा केवल नेप्च्यून ही ऐसा दूसरा ग्रह है जिसका सबसे बड़ा उपग्रह ट्राइटन भी अपने ग्रह की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

फोबोस निकट समय में नष्ट नहीं होने वाला. उम्मीद है कि उसका रिंग लाखों वर्षो तक कायम रह सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो)

न्यूयार्क: मंगल ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह फोबोस धीरे-धीरे ग्रह की ओर बढ़ रहा है और 10 से 20 लाख वर्षो में यह ग्रह के काफी करीब पहुंच जाएगा. ग्रह के करीब पहुंचने पर यह शनि, बृहस्पति, यूरेनस और नेप्च्यून की तरह मंगल के चारों एक छल्ले का रूप अख्तियार कर लेगा. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के भारतीय मूल के वैज्ञानिक तुषार मित्तल और बेंजामिन ब्लैक के अनुसार इस अध्ययन का मकसद यह जानना था कि कोई चंद्रमा जब अपने ग्रह के करीब जाता है तो क्या होता है.

फोबोस बढ़ रहा है मंगल की ओर 

ब्लैक ने बताया, "पृथ्वी का उपग्रह (चंद्रमा) हर साल कुछ सेंटीमीटर पृथ्वी से दूर जा रहा है, वहीं फोबोस हर साल मंगल की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में संभावना है कि या तो फोबोस मंगल से टकरा जाने या टूटकर बिखर जाने की है." सौर मंडल में इसके अलावा केवल नेप्च्यून ही ऐसा दूसरा ग्रह है जिसका सबसे बड़ा उपग्रह ट्राइटन भी अपने ग्रह की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

(इनपुट एजेंसी से भी)

 रिंग लाखों वर्षो तक कायम

हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि फोबोस निकट समय में नष्ट नहीं होने वाला. उम्मीद है कि उसका रिंग लाखों वर्षो तक कायम रह सकता है. लेकिन बावजूद इसके यह अपने अंत की ओर बढ़ रहा है. फोबोस के ससंजक बल का आकलन करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि यह अपनी ओर खींचने वाली ज्वार की ताकतों (टाइडल फोर्स) का विरोध करने में असक्षम है. ब्लैक और मित्तल ने फोबोस की शक्ति का आनुमान लगाने के लिए पृथ्वी पर इसी प्रक्रिया के तहत बिखरे चट्टानों और पृथ्वी पर गिरे ऐसे उल्कापिंडों जिनका घनत्व और संघटन फोबोस के समान था, से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल किया. 

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