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नई दिल्ली: खगोलविदों (Astronomers) ने आकाशगंगा (Galaxy) में एक 'रीकॉइलिंग' ब्लैक होल (Recoiling Black Hole) की खोज की है. गैलेक्सी क्लस्टर एबेल 2261 (Abell 2261) के केंद्र में पाया गया यह ब्लैक होल दो ब्लैक होल्स के विलय का परिणाम है. इसे रिकॉइलिंग ब्लैक होल (Recoiling Black Hole) नाम दिया गया है.
हाल ही में चमकीले क्लस्टर आकाशगंगा (Galaxy) में एक बहुत बड़े पैमाने पर ब्लैक होल देखा गया, जो दो ब्लैक होल के मिलने से बना है. एक लाख से अधिक प्रकाश साल में फैला आकाशगंगा, हमारी आकाशगंगा (Galaxy) के व्यास का लगभग 10 गुना ज्यादा है.
पता चला है कि यह सुपरमैसिव ब्लैक होल (Supermassive Black Hole) सूरज से लाखों या अरबों गुना बड़ा है. यह आकाशगंगा (Galaxy) के एक चमकीले समूह के केंद्र पर रहता है और मध्य क्षेत्रों को आकार देने में अहम भूमिका निभा सकता है. नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (National Aeronautics and Space Administration') का हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) और सुबारु स्पेस टेलीस्कोप (Subaru Space Telescope) से पता चला है कि इस आकाशगंगा का आकार एक सामान्य आकाशगंगा के आकार की अपेक्षा बहुत बड़ा है.
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इन विशेषताओं को सबसे पहले स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के डॉ. मार्क पोस्टमैन ने पहचाना था. उन्होंने कहा कि आकाशगंगा हबल छवि में देखा गया था. उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्होंने पहली बार इस आकाशगंगा की छवि देखी थी तो उन्हें समझ में आ गया था कि यह असाधारण है.
इसे समझना बहुत बड़ी चुनौती थी. उन्होंने बताया कि पिछले जितने भी ब्लैक होल के बारे में पता किया गया है, यह उनसे काफी ज्यादा पेचीदा और मुश्किल रहा है. यह सुपरमैसिव ब्लैक होल सितारे के संपर्क में आते ही केंद्र से बाहर निकल सकता है. इसके साथ ही यह बाइनरी से कुछ ऊर्जा ले सकत है और बाइनरी की कक्षा (Orbit) को सिकोड़ भी सकता है.
'रीकॉइलिंग' ब्लैक होल को एक शक्तिशाली बल द्वारा आकाशगंगा के केंद्र से बाहर निकाला गया है, जो एक रहस्यमयी जगह में स्पेस में घूम रहा है. इसकी दूरी धरती से लगभग 2,000 प्रकाश वर्ष दूर (2,000 Light Years) है.