ब्रह्मांड का छोर कैसा दिखता है? वैज्ञानिकों ने कड़ी दर कड़ी जोड़कर दिखाई 'लार्जर देन लाइफ' तस्वीर
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ब्रह्मांड का छोर कैसा दिखता है? वैज्ञानिकों ने कड़ी दर कड़ी जोड़कर दिखाई 'लार्जर देन लाइफ' तस्वीर

सात वर्ष की नन्हीं लिली का प्रश्न है कि ब्रह्मांड का छोर कैसा दिखाई देता है. यह बेहद दिलचस्प प्रश्न है.

सांकेतिक तस्वीर

Universe news : सात वर्ष की नन्हीं लिली का प्रश्न है कि ब्रह्मांड का छोर कैसा दिखाई देता है. यह बेहद दिलचस्प प्रश्न है. दरअसल यह उन सवालों में से एक है जो इंसान अंत तक पूछता रहेगा क्योंकि हम इसका जवाब निश्चित रूप से नहीं जानते लेकिन हम कल्पना कर सकते हैं कि ब्रह्मांड का छोर क्या हो सकता है, अगर कुछ है तो.

अतीत में झांके

शुरू करने से पहले हमें थोड़ा अतीत में जाने की जरूरत है. रात के वक्त हमारा आकाश पूरे मानव इतिहास में एक जैसा ही दिखता रहा है. यह इतना विश्वसनीय रहा है कि दुनिया भर में लोग नौवहन और अन्वेषण के लिए तारों के ‘पैटर्न’ को आधार बनाने लगे.

हमारी आंखों को आकाश अंतहीन लगता है. लगभग 400 साल पहले दूरबीनों के आविष्कार के साथ इंसान कहीं ज़्यादा दूर तक देखने में सक्षम हुए और वहां तक देख पाए जहां सिर्फ आंखों से देख पाना संभव नहीं था. वे आकाश में नई चीजों की खोज करते रहे. उन्हें और भी तारे मिले और फिर अंततः उन्होंने पाया कि वहां अजीब से दिखने वाले बहुत सारे ब्रह्मांडीय बादल थे.

खगोलविदों ने इन्हें ‘नेबुला’ नाम दिया जो लैटिन शब्द ‘धुंध’ या ‘बादल’ से लिया गया है.

हमने करीब 100 वर्ष पूर्व, पहली बार पुष्टि की थी कि ये ब्रह्मांडीय बादल या नेबुला वास्तव में आकाश गंगाएं हैं. वे ‘मिल्की वे’ की तरह ही हैं, जिस आकाशगंगा में हमारा अपना ग्रह है लेकिन वे बहुत दूर हैं.

हैरानी की बात यह है कि ब्रह्मांड में हम जिस भी दिशा में देखते हैं हमें और अधिक आकाश गंगाएं दिखाई देती हैं. ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ की इस तस्वीर में आप हजारों आकाश गंगाएं देख सकते हैं. ऐसी कल्पना मुश्किल है कि इसका कोई छोर भी होगा और जहां यह समाप्त होता होगा.

ब्रह्मांड का छोर

हालांकि तकनीकी रूप से हमारे ब्रह्मांड का एक छोर है. हम इसे अपना ‘अवलोकनीय’ ब्रह्मांड कहते हैं.

ऐसा इसलिए है क्योंकि हम वास्तव में नहीं जानते कि हमारा ब्रह्मांड अनंत है या नहीं. दुर्भाग्यवश हम प्रकाश की गति के कारण कभी भी यह नहीं जान पाएंगे.

हम केवल वही प्रकाश देख सकते हैं जो हमारे पास आने के लिए पर्याप्त समय ले चुका हो. प्रकाश ठीक 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करता है. इतनी गति से भी हमारे ब्रह्मांड को पार करने में इसे काफी समय लगता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्रह्मांड का आकार कम से कम 96 अरब प्रकाश वर्ष है और संभवतः इससे भी बड़ा है.

अगर कोई छोर होता तो हम क्या देख पाते?

यदि हम ब्रह्माण्ड के उस छोर तक जाएं जिसके बारे में हम सोचते हैं कि वह मौजूद है तो वहां वास्तव में क्या होगा? कई सिद्धांत हैं. अगर हमारे ब्रह्मांड का कोई छोर है और आप उसे पार कर जाते हैं, तो आप पूरी तरह से अलग ब्रह्मांड में पहुंच सकते हैं.

भले ही आपके सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है लेकिन ये ऐसे सवाल ही हैं जो हमें ब्रह्मांड की खोज और अन्वेषण जारी रखने में मदद करते हैं और हमें इसे समझने में मदद करते हैं. आप एक सच्चे वैज्ञानिक की तरह सोच रहे हैं.

(इनपुट: पीटीआई भाषा)

 

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