ऊनी मैमथ: जिनके कदमों से कभी धरती कांपती थी, वे क्यों विलुप्त हुए? नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
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ऊनी मैमथ: जिनके कदमों से कभी धरती कांपती थी, वे क्यों विलुप्त हुए? नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

Woolly Mammoth Extinction Cause: ऊनी मैमथ उन विशालकाय हाथियों को कहते थे जो आज से करीब 4,000 साल पहले अचानक विलुप्त हो गए थे. एक नई स्टडी उनकी विलुप्ति के कारण का पता लगाने का दावा करती है.

ऊनी मैमथ: जिनके कदमों से कभी धरती कांपती थी, वे क्यों विलुप्त हुए? नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

Woolly Mammoth News: मैमथ प्रजातियों के आखिरी वंशज ऊनी मैमथ धरती से अचानक कैसे विलुप्त हो गए? एक नई स्टडी इस सवाल का जवाब देने का दावा करती है. Cell जर्नल में गुरुवार को छपी स्टडी कहती है कि विशालकाय हाथियों की आबादी किसी रैंडम और अचानक रहस्यमय घटना के कारण नष्ट हो गई. दुनिया के आखिरी मैमथ रैंगल द्वीप पर 6,000 साल तक बाकी दुनिया से कटे रहे थे. यह जगह वर्तमान अब रूस के उत्तरी भाग में है. अभी तक यह माना जाता था कि ऊनी मैमथ की प्रजाति जेनेटिक इनब्रीडिाग के चलते धीरे-धीरे समाप्त हुई थी.

आखिर 4,000 साल पहले ऐसा क्या हुआ था कि एक साथ सारे ऊनी मैमथ विलुप्त हुए. नई स्टडी से गुत्थी और उलझ गई है. स्टॉकहोम में सेंटर फॉर पैलियोजेनेटिक्स के इवॉल्यूशनरी जेनेटिसिस्ट और स्टडी के सीनियर ऑथर लेखक लव डेलेन ने एक बयान में कहा, 'अब हम पूरे विश्वास के साथ इस विचार को खारिज कर सकते हैं कि (ऊनी मैमथ की)आबादी बहुत छोटी थी और आनुवंशिक कारणों से उनका विलुप्त होना तय था.' उन्होंने आगे कहा, 'इसका मतलब है कि शायद यह कोई रैंडम घटना थी जिसने उन्हें मार डाला, और अगर वह रैंडम घटना नहीं हुई होती, तो आज भी मैमथ जिंदा होते.'

कभी ऊनी मैमथ के कदमों से कांपती थी धरती

आज से करीब 10,000 साल पहले तक, ऊनी मैमथ यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका के ठंडे मैदानों में घूमा करते थे. उनके कदमों की धमक की धरती कांप उठती थी. जैसे-जैसे इन उत्तरी क्षेत्रों में बर्फ पिघलती गई, आर्कटिक टुंड्रा गायब हो गया. यह टुंड्रा ही इन ऊनी मैमथ का प्रमुख आहार था. इससे मैमथ का दायरा सिकुड़ता गया और आखिरकार वे गायब हो गए.

लेकिन इसी बीच में, ऊनी मैमथ का एक छोटा समूह साइबेरिया के उत्तर-पश्चिमी तट पर मौजूद बर्फ को पार कर गया और रैंगल द्वीप पर जा सका. यह द्वीप लगभग 10,000 साल पहले बर्फीले पुल के गायब हो जाने के बाद मुख्य भूमि से अलग हो गया था. जमे हुए द्वीप पर एकांत में, ऊनी मैमथ वहां 6,000 साल और जीवित रहे.

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कई टन वजनी होते थे ऊनी मैमथ

ऊनी मैमथ करीब तीन लाख साल तक पृथ्वी पर रहे. नर ऊनी मैमथ 4 मीटर तक लंबे होते थे और उनका वजन 4-8.2 मीट्रिक टन तक होता था. मादा ऊनी मैमथ की लंबाई और वजन नरों का लगभग आधा रहता था. नवजात ऊनी मैमथ का वजन करीब 90 किलोग्राम होता था.

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नई स्टडी ने हमें क्या बताया?

रैंगल द्वीप पर शुरू में आठ ऊनी मैमथ ही पहुंचे थे, धीरे-धीरे उनकी आबादी 300 तक पहुंच गई थी. आखिर रैंगल द्वीप पर क्या हुआ था, यह पता लगाने के लिए रिसर्चर्स ने 21 मैमथों के जीनोम का एनालिसिस किया. इनमें से 14 मैमथ रैंगल द्वीप से थे और सात मुख्य भूमि की आबादी से थे. उनके हड्डियों और दांतों से  निकाले गए DNA का इस्तेमाल किया गया.

वैज्ञानिकों ने द्वीप पर मौजूद रहे ऊनी मैमथों में इनब्रीडिंग (आपसी प्रजनन) और कम आनुवंशिक विविधता के लक्षण देखे. लेकिन म्यूटेशंस केवल मध्यम रूप से हानिकारक थे, और सबसे खतरनाक म्यूटेशन धीरे-धीरे उनके जीनोम से समाप्त हो रहे थे. इनब्रीडिंग को खारिज करने के बावजूद, इन ऊनी मैमथों के विनाश की असली वजह अभी भी अज्ञात है.

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