यूपी का श्रावस्ती जिला बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में दुनियाभर में मशहूर है. भगवान बुद्ध के जीवन काल में यह क्षेत्र कोशल देश की राजधानी था. इसे बुद्धकालीन भारत के छह महानगरों चम्पा, राजगृह, श्रावस्ती, साकेत, कौशाम्बी ओर वाराणसी में से एक माना जाता है. यहां बौद्ध और जैन दोनों तीर्थस्थल है. यह जिला 1997 में बना था. 2004 में कुछ महीनों के लिए जनपद का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया था. श्रावस्ती लोकसभा सीट से भाजपा ने साकेत मिश्रा को टिकट दिया है. साकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी, पूर्व IAS अधिकारी और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं. वह अभी यूपी विधान परिषद के मनोनीत सदस्य हैं. श्रावस्ती लोकसभा सीट पर इस जिले के दो और बलरामपुर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं. नए परिसीमन के बाद यह लोकसभा सीट बनी. 2009 में पहली बार चुनाव हुए और कांग्रेस के विनय कुमार पांडे जीते. 2014 में दद्दन मिश्रा ने कमल खिलाया और पिछली बार यहां राम शिरोमणि वर्मा ने हाथी की सवारी की. श्रावस्ती में करीब 20 प्रतिशत मुसलमान और 15 प्रतिशत के करीब यादव हैं. इसके अलावा 20 प्रतिशत कुर्मी और 10 प्रतिशत से ज्यादा दलित वोटर हैं. सबसे ज्यादा ब्राह्मण 30 प्रतिशत के करीब हैं. श्रावस्ती सीट पर क्षत्रिय 5 प्रतिशत के करीब हैं.
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