जब दो साल यूरोप में रही तो अपने साथियों से इस चैंपियन के बारे में इतना सुना कि लगा कि उन्हें और जानना चाहिए, बस वही आपसे साझा कर रही हूं, ये वो समय था जब कोबी ब्रायंट रिटायरमेंट की तैयारी में थे.
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सोमवार (27 जनवरी) को जब बॉस्केटबॉल के लिजेंड्स में से एक कोबी ब्रायंट (Kobe Bryant) की प्लेन क्रैश में मौत की खबर आई तब से कुछ लिखने की इच्छा रही लेकिन फिर ये सवाल भी आया कि हिंदुस्तान में उन्हें लेकर कितनी जिज्ञासा होगी? खुद अपनी ही बात करूं तो कुछ साल पहले तक कोबी ब्रायंट के बारे में मेरा ज्ञान उनके बास्केटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में से एक होने तक ही था. जानती थी कि 5 एनबीए चैंपियनशिप खिताब और 2 ओलंपिक गोल्ड उनके नाम हैं, जानती थी कि वो बास्केटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में से एक है लेकिन क्यों हैं ये नहीं पता था.
जब दो साल यूरोप में रही तो अपने साथियों से इस चैंपियन के बारे में इतना सुना कि लगा कि उन्हें और जानना चाहिए, बस वही आपसे साझा कर रही हूं, ये वो समय था जब कोबी ब्रायंट रिटायरमेंट की तैयारी में थे.
मेरे लिए खेल सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, मेरे लिए खेल एक जीवनशैली है जिसमें आम ज़िंदगी की चुनौतियों, उसमें छिपी अपार संभावनाओं और उतार-चढ़ाव को महसूस किया जा सकता है. ना कोई हार फाइनल है और ना कोई जीत. इसलिए महान खिलाड़ी कभी भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधे रहते. उनके असर को भौगोलिक सीमाओं के बाहर महसूस किया जाता है. कॉबि ब्रायंट ऐसे ही महान खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने खेल पर तो अमिट छाप छोड़ी ही, मेरे जैसे ज़िंदगी के छात्रों को भी अपनी फिलॉसफी से इंप्रेस किया और काफी कुछ सिखाया.
वो कहानी जिसने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, वो ब्रायंट के प्रतिद्वंदी जे विलियम्स की थी, जो शिकागो बुल्स की तरफ से खेलते थे. एक बार उनकी टीम का एलए लेकर्स यानी कोबी ब्रायंट की टीम के खिलाफ मैच था. विलियम्स मैच से घंटों पहले ट्रेनिंग करने पहुंच गए और फिर वहां उन्होंने जो देखा वो चौंकाने वाला था. कोबी ब्रायंट पसीने से लथपथ पहले से ही ट्रेनिंग कर रहे थे. विलियम्स बताते हैं कि उन्होंने खुद करीब डेढ घंटा अभ्यास किया और जब वो बाहर आकर बैठे तब भी ब्रायंट ट्रेनिंग कर रहे थी जो कि करीब आधे घंटे बाद पूरी हुई.
कोबी ब्रायंट ने मैच में 40 प्वाइंट्स स्कोर किए और मैच उनकी टीम ने जीता, जब मैच के बाद विलियम्स ने उनसे पूछा कि वो इतनी कड़ी ट्रेनिंग कैसे कर लेते हैं तो कोबी ब्रायंट ने कहा, "मैंने आपको आते हुए देख लिया था और मैं आपको ये बताना चाहता था कि आप जितनी मेहनत करेंगे, मैं आपसे ज़्यादा मेहनत करने के लिए तैयार हूं."
हम और आप अक्सर अवॉर्ड और इनाम के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन कोबी ब्रायंट मेहनत के मामले में भी अपने विरोधियों के पसीने छुड़ा देते थे. कोबि सुबह 4 बजे उठते थे ताकि एक एक्स्ट्रा ट्रेनिंग सेशन के लिए जगह बना सके. ट्रेनिंग के मामले में वो आगे रहे तभी तो नतीजों के लिहाज़ से भी वो विरोधियों पर बीस साबित हुए. ये बताता है कि ज़िंदगी में कुछ असाधारण करना है तो कोशिश भी असाधारण ही होनी चाहिए.
कोबी ब्रायंट की कामयाबी की लिस्ट तो सबको पता है लेकिन कम ही लोग जानते है कि कोबि मिस्ड शॉट्स के मामले में भी सबसे आगे थे. ये बताने के लिए काफी है कि कामयाबी का रास्ता नाकामी से ही होकर गुज़रता है, जिससे हम जैसों को बहुत डर लगता है. कोबि की कहानी बयां करती है कि कामयाब वही होते है जो रिस्क लेना जानते है. जो खुद पर भरोसा करना जानते हैं.
कोबी ब्रायंट जानते थे कि कामयाबी के लिए बहुत कुछ त्याग देना पड़ता है, दोस्त, रिश्तेदार, साथी, सबसे दूरी आ जाती है. लेकिन ब्रायंट कामयाबी के लिए भूखे थे और उसके लिए वो कोई भी त्याग करने को तैयार थे. वो अकसर 'मम्बा मेंटैलिटी' की बात करते थे मतलब एकाग्रता, अनुशासन और कभी ना हारने वाला जज्बे का जोड़.
कितने खिलाड़ियों को आपने ऑस्कर जीतते हुए देखा और सुना है, कोबी ब्रायंट ने साल 2018 में बेस्ट एनिमिटेड शॉर्ट फिल्म "डियर बास्केटबॉल" के लिए ऑस्कर जीता था, ब्रांयट ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं चाहते थे इसलिए जो भी किया, उसमें बेस्ट दिया, सुना है ज़िंदगी को उसकी लंबाई नहीं उसके असर से आंकना चाहिए, कोबी ब्रायंट महज़ 41 साल की उम्र में इसकी सबसे बड़ी मिसाल रहे, असरदार भी और दमदार भी...
(लेखिका ज़ी न्यूज़ में एसोसिएट एडिटर हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)