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फ्रांस की राजधानी पेरिस में कई वर्षों से छप रही मैगजीन चार्ली हेब्डो के ऑफिस में आतंकी हमले से 12 लोगों की जान चली गई। इस आतंकी हमले का सबसे दुखद पहलू यह रहा कि इसमें इस मैगजीन के संपादक के अलावा 9 पत्रकारों को भी जान से हाथ धोना पड़ा। यह मैगजीन बेखौफ होकर किसी के बारे में कुछ भी लिखने, कार्टून बनाने, चुटकुले सुनाने और व्यंग करने के लिए जानी जाती थी। कई बार हमले हुए। धमकियां मिली लेकिन इस मैगजीन के सभी पत्रकार हमेशा अपने मन की करते रहे। शायद इसी बेखौफ अंदाज की वजह से यह फ्रांस ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे विवादित मैगजीन में शुमार होती है। लगभग हर धर्म यहां के कार्टून के निशाने पर होता था।
विवादों से इस मैगजीन का चोली-दामन का साथ रहा है। जो कार्टून विवाद का कारण बने उनमें पैगंबर हजरत मोहम्मद का भी कार्टून शामिल रहा। मैगजीन चार्ली हेब्डो हमेशा से ही राजनीति के अलावा दक्षिणपंथी लोगों, कैथॉलिक, मुस्लिम और यहूदी धर्म को लेकर कार्टून छापती और आर्टिकल लिखती रही है। इससे इसका दामन हमेशा विवादों से घिरा रहा है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि बगदादी का कार्टून छापना ही नहीं, बल्कि और भी अन्य विवादित कार्टून हो सकते हैं जो हमले की वजह बने हो और जिसकी वजह से 10 पत्रकारों को जान से हाथ धोना पड़ा। इसका हर संस्करण खलबली मचाता और कई विवादों की सुर्खियां बनाता था।
वर्ष 2011 में पैगंबर हजरत मोहम्मद का मजाकिया कार्टून छापने के बाद मैगजीन सुर्खियों में आई थी। मैगजीन ने 2013 में अपने कवर पेज पर इस्लामिक स्टेट के चीफ अल-बगदादी का मजाकिया कार्टून भी छापा था। बताया जा रहा है कि इस कार्टून को छापने के बाद से यह संगठन गुस्से में था और बदला लेने की फिराक में था। चश्मदीदों के मुताबिक हमले के बाद आतंकियों ने कहा कि उन्होंने पैगंबर के अपमान का बदला ले लिया है।
2007 में इस पत्रिका ने पैगम्बर मोहम्मद पर कार्टून छापे थे जिसके खिलाफफ्रांस के दो बड़े मुस्लिम संगठनों ने पत्रिका पर मुकदमा दर्ज कराया था। 7 जनवरी के हमले से पहले नवंबर 2011 में मैगजीन के कार्यालय पर बम धमाका हुआ था, उस समय मैगजीन ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून 'शरिया हेब्डो' शीर्षक से छापा था। इसके साथ ही मैगजीन के फ्रंट पेज पर पैगंबर मोहम्मद की तस्वीर लगाई गई थी। बैक पेज पर मोहम्मद पैगाम्बर को यह कहते हुए दिखाया गया था कि हां, इस्लाम और हास्य साथ-साथ चल सकते हैं।
चार्ली हेब्डो के संपादक स्टीफन शारबोनीयर को विवादित सामग्री प्रकाशित करने को लेकर अक्सर मौत की धमकियां मिलती रही हैं। लेकिन उन्होंने कभी भी इसकी परवाह नहीं की। पैगम्बर हों या पोप या कोई बड़ा राजनेता, इस पत्रिका में सभी के विवादित कार्टून प्रकाशित होते रहे हैं। खुद स्टीफन यह कहते रहे कि हम छापने से परहेज क्यों करे।
मैगजीन चार्ली एब्दो के ऑफिस पर ये पहला हमला नहीं था। 2 नवंबर 2011 को भी मैगजीन के कार्यालय बम फेंके गए थे और आग लगा दी गई थी। हमले की वजह पैगंबर हज़रत मोहम्मद पर प्रकाशित एक विवादित संस्करण था जिसमें मोहम्मद साहब के कार्टून भी प्रकाशित किए गए थे। उस दौरान हालात इतने बिगड़े कि फ्रांस सरकार को 20 इस्लामी देशों में फ्रांसीसी दूतावासों, वाणिज्य दूतावासों, सांस्कृतिक केन्द्रों, और अंतरराष्ट्रीय स्कूलों को अस्थाई रूप से बंद करना पड़ गया।
पत्रिका के संपादक स्टीफेन चार्बोनियर थे। इस हमले में संपादक चार्ब को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। स्टीफन मैगजीन में छपने वाले लेख, कार्टून, रिपोर्ट, बहस और चुटकुले के जरिए जोरदार तरीके से धर्मों की खिलाफत करते रहे। हाल ही में उनके संस्करण में प्रकाशित इस्लामिक स्टेट के आतंकी अल-बगदादी का एक कार्टून उनके लिए मुसीबत का सबब बना ।
मैगजीन हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देती रही। इसने कभी भी अपनी शैली से कभी समझौता नहीं किया। हर बुधवार को छपने वाली यह मैगजीन साल 1969 से 1981 तक चलने के बाद बंद हो गई थी 1992 में इसका फिर से प्रकाशन शुरू हुआ। अब हालात अलग है। अब संपादक के साथ इसके 9 पत्रकारों को अपनी कार्टून की बोली की वजह से आतंक की गोली का शिकार होना पड़ा। क्या आतंक की गोली कार्टून की बोली पर हमेशा के लिए भारी पड़ गई? शायद इस सवाल के जवाब के लिए हमें कुछ वक्त तक इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन आतंक ने कार्टून को खून से लहूलुहान जरूर कर दिया है जिसका हर छींटा इंसानियत से जवाब मांग रहा है।