कोरोना में ऐसे लक्षण हैं जो धरती में पहले कभी नहीं देखे गए
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कोरोना में ऐसे लक्षण हैं जो धरती में पहले कभी नहीं देखे गए

कोरोना के स्ट्रक्चर, इसके काम करने के तरीके और इसकी उत्पत्ति का निष्पक्ष विश्लेषण किए बिना एक असरदार वैक्सीन का विकास नहीं किया जा सकता है.

कोरोना में ऐसे लक्षण हैं जो धरती में पहले कभी नहीं देखे गए

नॉर्वेजियन और ब्रिटिश वैक्सीन वैज्ञानिकों ने साफ तौर पर ये प्रमाण प्रकाशित किए हैं कि COVID-19 महामारी के लिए जिम्मेदार कोरोनोवायरस SARS-CoV-2 को इंसान ने ही बनाया है. लेखकों ने दो आधारों पर ये निष्‍कर्ष निकाले हैं: पहला, वे उत्परिवर्तन जो आम तौर पर पशु से इंसान तक ट्रांसमिशन के दौरान देखे जा सकते हैं, जो कि SARS-CoV-2 में नहीं नजर आए, इससे पता चलता है कि ये पूरी तरह पहले से ही मानव संक्रमण के लिए तैयार था. दूसरा, SARS-CoV-2 के प्रोटीन सिक्वेंस में इन्सर्शन्स होते हैं जो प्रकृति में कभी भी नहीं पाए गए हैं और इसकी संक्रामकता और रोगजनन में योगदान करते हैं.

इसका मतलब ये है कि SARS-CoV-2 में एक रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन है जो विशेष रूप से ह्यूमन एंजियोटेंसिन परिवर्तित करने वाले एंजाइम-2 रिसेप्टर (ACE2) के लिए डिजाइन किया गया है जो फेफड़ों, गुर्दे, आंतों और रक्त वाहिकाओं में पाया जाता है. इसके अलावा, SARS-CoV-2 में एक फ्यूरिन पॉलीबेसिक क्लीवेज साइट है जो किसी भी करीबी बैट कोरोना वायरस के साथ ही दूसरे कृत्रिम रूप से बने अमीनो एसिड में नहीं पाई जाती है जो कि वायरस और कोशिका की सतह के बीच "सॉल्ट ब्रिजिज" बनाकर मानव कोशिकाओं से जुड़ने और उनमें प्रवेश करने की वायरस की क्षमता को बढ़ाती है. ये वो रूप परिवर्तन हैं जो SARS-CoV-2 की अनोखी पारगमन क्षमता और शक्ति को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

Coronavirus: कोरोना वायरस को आखिर किस तरह बनाया गया?

लेखकों के मुताबिक COVID-19 महामारी न्यूरोलॉजिकल, हेमैटोलॉजिकल और इम्यूनोलॉजिकल रोगजनकता का खुलासा कर रही है, जिसे अकेले ACE2 रिसेप्टर के जरिए संक्रामकता से समझाया नहीं जा सकता. स्वाद और गंध की कमी, गले में खराश, सूखी खांसी, सिरदर्द और दस्त के साथ आंत में गंभीर दर्द जैसे व्यापक रोग लक्षण होते हैं. ऊपरी सांस नली में बिटर/स्वीट रिसेप्टर्स से जकड़कर SARS-CoV-2 को खांसी के जरिए ट्रांसमिशन के लिए एकदम सही जगह मिल जाती है. लेखकों के अनुसार, ओरल और अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और जलन और सूजन पैदा करने वाले इम्युनोलॉजिकल रिस्पॉन्स तक ट्रांसमिशन हो सकता है. 

चीन की चाल
लेखकों ने सही ढंग से नोट किया है कि SARS-CoV-2 के स्ट्रक्चर, इसके काम करने के तरीके और इसकी उत्पत्ति का निष्पक्ष विश्लेषण किए बिना एक असरदार वैक्सीन का विकास नहीं किया जा सकता है. ये कोशिश नाकाम रही है क्योंकि चीन ने अपने पास मौजूद पूरी जानकारी को देने से इनकार कर दिया, साथ ही चीन ने जिम्मेदारी से बचने के लिए राजनीति से प्रेरित भ्रामक जानकारी देने वाला अभियान चलाया, वहीं पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों ने नतीजों में निहित स्वार्थ दिखाया और अज्ञानी और चाटुकार मीडिया भी इसका जिम्मेदार रहा है.

इसमें साइंटिफिक और मेडिकल जर्नल्स के संपादकीय फैसले भी शामिल हैं, जो इतने जबरदस्त तरीके से इस थ्योरी का समर्थन करते दिखते हैं कि COVID-19 महामारी कुदरती तौर पर फैला एक और प्रकोप है, यहां तक कि इस बात का विरोध करने वाले विचारों को सेंसर तक कर दिया जाता है. अब तक, COVID-19 महामारी की वास्तविक उत्पत्ति को छिपाने का प्रयास सफल रहा है.

चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से प्रमोट किए गए साइंटिफिक कन्वेंशनल विजडम को अमेरिका में नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के ऑफिस ने आंख मूंदकर मान लिया है, जिसने 30 अप्रैल 2020 को अपने बयान में ये बात कही: "इंटेलिजेंस कम्युनिटी भी इस साइंटिफिक सर्वसम्मति से सहमत है कि COVID-19 वायरस को ना तो इंसान ने बनाया है और ना ही ये जेनेटिकली मोडिफाइड है."

गौरतलब है कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कभी भी कोई पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है, फिर भी कई लोग इसके प्राकृतिक तौर पर पैदा होने की थ्योरी का समर्थन करते दिखते हैं, इनमें से ज्यादातर अज्ञानता की वजह से ऐसा करते हैं या फिर उनमें सच्चाई को स्वीकार करने की इच्छाशक्ति नहीं है. 

घिनौना सच ये है कि चीन ने कोरोना वायरस को बनाया और, फिर हेकड़ी, अयोग्यता और लापरवाही के घालमेल से इसे दुनिया के ऊपर छोड़ दिया.

(लॉरेंस सेलिन रिटायर्ड यूएस आर्मी कर्नल हैं)

(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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