रिव्यू-रेटिंग के आधार पर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले संभल जाएं
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रिव्यू-रेटिंग के आधार पर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले संभल जाएं

किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले हम अमूमन रिव्यू पढ़ते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसी उत्पाद या सेवा के बारे में लोगों का क्या सोचना है और इसमें कुछ गलत भी नहीं है. 

रिव्यू-रेटिंग के आधार पर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले संभल जाएं

रिव्यू और रेटिंग आज हमारी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गए हैं. चाहे बात किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने की हो, होटल बुक करने या कुछ ऑनलाइन खरीदने की, हम सबसे पहले रिव्यू और रेटिंग ही चेक करते हैं और उन्हीं के आधार पर फैसला लेते हैं, यानी जिसके बारे में काफी पॉजिटिव रिव्यू हैं, जिसकी रेटिंग सबसे अच्छी है, वही हमारी पहली पसंद होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सब एक धोखा है? अच्छे रिव्यू और रेटिंग के जरिये घटिया प्रोडक्ट बेचने की साजिश है?

किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले हम अमूमन रिव्यू पढ़ते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसी उत्पाद या सेवा के बारे में लोगों का क्या सोचना है और इसमें कुछ गलत भी नहीं है. मगर ऐसे 40 प्रतिशत रिव्यू फर्जी होते हैं, जो आम ग्राहकों को छलने के लिए पोस्ट किये जाते हैं. 

फेक रिव्यू ऐसे रिव्यू होते हैं, जिन्हें किसी असली ग्राहक द्वारा नहीं लिखा जाता. इस तरह के रिव्यू लिखने वालों को या तो इसके लिए भुगतान किया जाता है या फिर उन्हें प्रोडक्ट आदि के रूप में इंसेंटिव मिलता है. इंटरनेट पर तमाम ऐसे ग्रुप और प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जो मनचाहे रिव्यू-रेटिंग दिलवाने का दावा करते हैं. आपको बस गूगल पर सर्च मात्र करना है और आपके सामने पूरी एक लिस्ट आ जाएगी.

कौन लेता है इनकी सेवा?
अपनी रिसर्च के दौरान मेरी नजर फीवर डॉट कॉम नामक एक वेबसाइट पर गई. जब मैंने रिव्यू के लिए उसे खंगालना शुरू किया तो एक यूजर के प्रोफाइल ने मेरा ध्यान आकर्षित किया. जिसमें अच्छे 5 स्टार रिव्यू, पॉजिटिव कमेंट उपलब्ध करवाने का दावा किया गया था. यह देखने के बाद मेरे मन में सवाल उठा कि आखिर ऐसी सेवाओं का इस्तेमाल कौन करता है? तो इसका जवाब था, कंपनियों से लेकर सामान्य विक्रेता तक इस तरह की सेवाओं से अपने उत्पादों के लिए सकारात्मक माहौल निर्मित करते हैं. अच्छे रिव्यू और रेटिंग से उन्हें लिस्टिंग में सबसे आगे बने रहने में मदद मिलती है. हालांकि, सभी इसमें शामिल नहीं हैं, लेकिन फिर भी बड़े पैमाने पर ऐसा हो रहा है.

लिस्टिंग का खेल
उदाहरण के तौर पर अमेजन की बात करें, मैं अमेजन की बात इसलिए कर रही हूं कि क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन सेलिंग प्लेटफॉर्म है. अमेजन पर 1.8 मिलियन विक्रेता रजिस्टर्ड हैं, और यहां करीब 600 मिलियन उत्पाद हैं. तो जैसे ही मैं अमेजन पर एक पेन सर्च करती हूं, तो कई रिजल्ट आ जाते हैं, पहले पेज पर जो रिजल्ट दिए गए हैं उनमें से ज्यादातर की रेटिंग 4 से ऊपर है. दो या उससे कम रेटिंग वाले पेन आपको 50 या 60वें पेज पर मिलेंगे. हममें से अधिकांश लोगों के पास इतना समय नहीं होता कि वो एक या दो पेजों से ज्यादा ब्राउज करें. इसी बात का फायदा विक्रेता उठाते हैं, वे अपने प्रोडक्ट को लिस्टिंग में सबसे ऊपर रखने के लिए फेक रिव्यू और रेटिंग का सहारा लेते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेजन पर 99.6 फेक रिव्यू की रेटिंग 5 स्टार है. 5-स्टार का मतलब है कि लिस्ट में सबसे ऊपर आना यानी उत्पाद के बेचे जाने की संभावना का ज्यादा होना.

एक कारण यह भी है
इसके अलावा, फेक रिव्यू और रेटिंग का दूसरा बड़ा कारण है औसत दर्जे या कभी -कभी फर्जी उत्पादों को बेचना. पिछले कुछ समय में यह कारोबार काफी फल-फूल गया है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि रिव्यू लिखने वाले अधिकांश लोगों ने कभी वह उत्पाद इस्तेमाल किया ही नहीं होता, जिसकी तारीफों के वह पुल बांध रहे होते हैं. बात केवल पॉजिटिव रिव्यू की ही नहीं है, विरोधी विक्रेता या कंपनी को नुकसान पहुंचाने के लिए नेगेटिव रिव्यू और रेटिंग का भी सहारा लिया जाता है. यानी यदि एक सेलर अमेजन पर रजिस्टर्ड किसी दूसरे सेलर को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाना चाहता है, तो वह बाकायदा फेक रिव्यू-रेटिंग प्रदान करने वाली कंपनियों की सेवा लेता है. किसी उत्पाद के बारे में खराब रिव्यू लिखने के लिए भुगतान किया जाता है, ताकि उसकी लिस्टिंग खराब हो जाए और ग्राहक उसे खरीदने के बारे में न सोचे. होता भी अक्सर ऐसा ही है, कितनी बार आप केवल इसलिए कोई प्रोडक्ट खरीदने से रुक गए होंगे, क्योंकि उसकी रेटिंग खराब थी या लोगों ने नेगेटिव रिव्यू दिए थे.

क्या इस कारोबार की जानकारी नहीं है?
अब सवाल उठता है कि क्या ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टलों को इस फेक कारोबार की जानकारी नहीं है? बिल्कुल है और वह समय-समय पर कार्रवाई भी करते हैं. अमेजन आपको भ्रामक रिव्यू की रिपोर्ट करने का भी विकल्प देता है. 2015 में कंपनी ने 1,114 रिव्यूर के खिलाफ गलत, भ्रामक और गैर-प्रमाणित रिव्यू के लिए कार्रवाई की थी. हाल ही में अमेजन ने फेक रिव्यू के खिलाफ कदम उठाते हुए करीब 20,000 रिव्यू डिलीट किये, ये रिव्यू उसके टॉप 10 रिव्यूर द्वारा लिखे गए थे. इसी तरह, फ्लिपकार्ट भी कार्रवाई कर चुकी है. इन कंपनियों में फेक रिव्यू को लेकर बाकायदा नीतियां हैं और मैं उस पर कोई सवाल नहीं उठा रही. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि नीतियां होने के बावजूद भी आखिरकार फेक रिव्यू-रेटिंग का यह कारोबार इतना फल-फूल कैसे रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेजन पर 250 मिलियन रिव्यू हैं और मार्च 2019 तक 2 मिलियन से ज्यादा रिव्यू असत्यापित थे यानी जिन्हें वेरीफाई नहीं किया गया था. जबकि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के 61% रिव्यू फेक पाए गए थे. ऐसा इसलिए होता है कि केवल तीन से चार फीसदी असली उपभोक्ता ही रिव्यू लिखते हैं, क्या आपको याद है कि आपने आखिरी बार किसी उत्पाद का रिव्यू कब लिखा था?

कमाई जानकर चौंक जाएंगे
फेक रिव्यू लिखने वालों की कमाई का आंकड़ा भी कम चौंकाने वाला नहीं है. ऐसे लोग हर महीने 10 हजार डॉलर तक कमा लेते हैं. रिसर्च के दौरान मुझे एक लेख मिला, जिसका शीर्षक था ‘confessions of paid amazon review writer’. इसमें एक महिला ने दावा किया है कि उसे फेक रिव्यू लिखने के लिए 50 डॉलर मूल्य का ब्लूटूथ स्पीकर मिला था. ऐसे लोग हमारे फैसलों को प्रभावित करने के लिए काम करते हैं और उन्हें इसके लिए भुगतान किया जाता है.

आइये मैं आपको कुछ और आंकड़े बताती हूं. अमेरिका में 82 फीसदी वयस्क ऑनलाइन कुछ खरीदने से पहले रिव्यू जरूर पढ़ते हैं. 16.2 ग्राहकों का कहना है कि वह रेटिंग के आधार पर उत्पाद का चुनाव करते हैं. क्या उन्हें फेक रिव्यू-रेटिंग की जानकारी है? तो उसका जवाब है, हां. अधिकांश लोग इस कारोबार से परिचित हैं. 20.8% वयस्क अमेरिकियों का कहना है कि वे केवल सत्यापित विक्रेताओं के रिव्यू पर ही भरोसा करते हैं, जबकि 4.1 का कहना है कि उन्हें रिव्यू पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. भारत के बारे में बात करें तो एक सर्वे के अनुसार, 62 प्रतिशत लोग मानते हैं कि ऑनलाइन प्रोडक्ट रिव्यू को जानबूझकर पॉजिटिव बनाया जाता है. इसका मतलब है कि लोगों में जागरूकता है, लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता कि असली और फेक रिव्यू में पहचान कैसे की जाए.

इस तरह से करें पहचानें
तो चलिए यह भी समझ लेते हैं कि आखिर असली और नकली की पहचान कैसे करें? इसका पहला तरीका है, रिव्‍यू करने वाले के प्रोफाइल को जांचना. यदि रिव्‍यू करने वाले ने केवल एक दो उत्पादों का ही रिव्यू किया है, तो उस पर संदेह किया जा सकता है. दूसरा है रिव्यू के समय पर नजर डालना. उदाहरण के लिए यदि जुलाई से सितंबर तक किसी प्रोडक्ट को काफी खराब रिव्यू-रेटिंग मिल रहे थे और फिर अचानक उसे 5-स्टार रेटिंग और पॉजिटिव रिव्यू मिलने लगे तो निश्चित तौर पर कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है. तीसरा, यदि किसी उत्पाद को केवल 5-स्टार रेटिंग ही मिली है, तो मैं कहूंगी कि यह रेड फ्लैग है. चौथा है, ज्यादातर रिव्यू की एक जैसी भाषा. जैसे किसी उत्पाद के अगर 50 रिव्यू हैं और उनमें से 25 नॉन-वेरीफाई रिव्यूर से हैं, जिनमें ‘शानदार, खरीदने लायक, दमदार प्रोडक्ट, मस्ट बाय जैसे एक-दो शब्द के कमेंट हैं, तो मैं कहूंगी की ऐसे उत्पाद को कभी भी न खरीदें. पांचवां, कई ऐसी वेबसाइट हैं, जो यह पहचानने में आपकी मदद कर सकती हैं. मैं किसी वेबसाइट का नाम यहां नहीं लेना चाहती, लेकिन आप आसानी से उन्हें खोज सकते हैं.

हमेशा याद रखें...
वुहान महामारी के चलते ऑनलाइन शॉपिंग पर निर्भरता काफी बढ़ गई है. भारत की बात करें तो अगले कुछ महीनों में ऑनलाइन शॉपिंग में 64% की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है. ऐसे में फेक रिव्यू और रेटिंग के कारोबार में भी इजाफा होगा, इसलिए हमें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. अगली बार जब आप शॉपिंग करें तो याद रखें कि ब्यूटी प्रोडक्ट के 63% रिव्यू फर्जी हैं, स्नीकर के 59% और सप्लीमेंट के 64% रिव्यू पर विश्वास नहीं किया जा सकता. आखिरी में मैं यही कहना चाहूंगी कि ऑनलाइन रिव्यू पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इसलिए या तो सत्यापित विक्रेता को चुनें या फिर जिस प्रोडक्ट को आप खरीद रहे हैं उसके बारे में थोड़ा रिसर्च कर लें. हमेशा याद रखें कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जहां ओपिनियन खरीदे या बेचे जा सकते हैं.

(ये ब्लॉग पलकी शर्मा के वीकेंड शो #GravitasPlus पर आधारित है, जिसे आप हर शनिवार और रविवार को शाम 8 बजे WION के FacebookTwitterInstagram और  YouTube पेज पर लाइव देख सकते हैं.)

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(पलकी शर्मा WION (वर्ल्ड इज वन) चैनल की एग्जिक्यूटिव एडिटर हैं. पलकी वीकेंड में #GravitasPlus को भी होस्‍ट करती हैं.)

(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखिका के निजी विचार हैं.)

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