Opinion: मुझे गंगा के प्रति न प्यार है, न श्रद्धा बल्कि नफरत है
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Opinion: मुझे गंगा के प्रति न प्यार है, न श्रद्धा बल्कि नफरत है

बलिया में मौजूद है हरिहरपुर गांव. इस गांव में रहने वाली रूपकली देवी गंगा से नफरत करती हैं क्योंकि वो अपने उजड़े हुए घर और परिवार की वजह गंगा को मानती है.

Opinion: मुझे गंगा के प्रति न प्यार है, न श्रद्धा बल्कि नफरत है

भारत में गंगा नदी की तरह नहीं, विचारों की तरह बहती है, संस्कारों की तरह बहती है. इस नदी के किनारे जो भी बसा, उसे इस नदी ने भरपूर दिया. भारत के बाशिंदों के लिए यह नदी एक बहता हुआ पानी न होकर ‘मां’ बन गई जिसे लेकर श्रद्धा हमारे ज़हन में इस कदर बैठी हुई है कि हम इसे आंखों से देखते हुए भी गंदा नहीं मान पाते. लेकिन - इसी गंगा के किनारे सोना उगलने वाली दोआब की जमीन पर एक गांव हरिहरपुर भी है. यहां रहने वाली रुपकली देवी को गंगा के प्रति न प्यार है, न श्रद्धा बल्कि यूं कहा जाए कि वह कहीं न कहीं गंगा से नफरत करती है तो ये अतिश्योक्ति नहीं होगी.


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