'छपाक' की रिलीज़ से पहले दीपिका पादुकोण का हृदय परिवर्तन क्‍यों हुआ?
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'छपाक' की रिलीज़ से पहले दीपिका पादुकोण का हृदय परिवर्तन क्‍यों हुआ?

दीपिका सिर्फ़ 10 मिनट जेएनयू कैंपस में रुकीं, इस दौरान उनके होंठ सिले हुए थे लेकिन चेहरे पर भावनाओं की बहार थी. दीपिका के जेएनयू जाने की टाइमिंग को लेकर सवाल उठने लाजिमी हैं. 

'छपाक' की रिलीज़ से पहले दीपिका पादुकोण का हृदय परिवर्तन क्‍यों हुआ?

दीपिका पादुकोण यूं तो बॉलीवुड की सबसे बड़ी स्टार्स में से एक हैं लेकिन पिछले दो साल से उनकी कोई फिल्म रिलीज़ नहीं हुई. इसकी दो वजहें रहीं. पहली वजह ये कि संजय लीला भंसाली के साथ तीन ऐतिहासिक फिल्में करने के बाद सिल्वर स्क्रीन पर सिर्फ दीपिका वही किरदार निभाना चाहती हैं जो उन्हें दमदार लगे और दूसरी वजह बनी रणवीर सिंह के साथ उनकी शादी जिसके लिए उन्होंने अपनी मर्ज़ी से एक ब्रेक लिया. 

मेघना गुलज़ार की फिल्म 'छपाक' को दीपिका की पोस्ट-ब्रेक रिलीज़ कह सकते हैं. मेघना की फिल्म में दीपिका लीड रोल में तो हैं ही, फिल्म की को-प्रोड्यूसर बनकर उन्होंने इस प्रोजेक्ट में पैसा भी लगाया है. छपाक में दीपिका लक्ष्मी अग्रवाल का किरदार निभा रही हैं. वो लक्ष्मी, जिसे हिंदुस्तान एसिड विक्टिम नहीं, बल्कि एसिड सर्वाइवर के तौर पर जानता है. 

फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर दीपिका का चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था. बॉलीवुड की टॉप हीरोइन होने के साथ-साथ दीपिका एक भावुक इंसान होने की छवि तो तब से ही बना चुकी हैं, जब साल 2015 में उन्होंने दुनिया के सामने ये कुबूला कि वो डिप्रेशन की शिकार हैं और मेडिकल हेल्प के ज़रिए उन्होंने अपनी मानसिक स्थिति को संभाला. 'छपाक' में मालती पर तेज़ाब फेंका गया और उसके छींटे दीपिका ने अपने चेहरे पर ले लिए. इस उम्मीद के साथ कि अपनी ख़ूबसूरती को तिलांजली देकर वो ये साबित कर देंगी कि चेहरे की चमक से ज़्यादा उनकी एक्टिंग में दम है लेकिन लगता है कि फिल्म पूरी होने के बाद उन्हें ये एहसास हो गया कि 24 महीने के बाद बॉक्स ऑफ़िस पर उनकी वापसी शायद उतना बड़ा धमाका ना कर पाए जितना जेएनयू जाने से हो सकता है. 

दीपिका की पीआर टीम को भी ये समझ आ गया कि दिल्ली में हर चैनल, अख़बार और वेबसाइट के दफ्तर जाकर फिल्म की बात करने से कहीं बेहतर है जेएनयू कैंपस पहुंचकर दस मिनट का मौन रखना और हुआ भी एकदम प्लान के मुताबिक. दीपिका अपनी पीआर टीम के साथ जेएनयू कैंपस पहुंचीं, सिर झुकाकर कन्हैया एंड कंपनी के आज़ादी नारों को सुनती रहीं. वो दीपिका पादुकोण जिनके पिता प्रकाश पादुकोण ने 80 के दशक में बैडमिंटन खिलाड़ी के तौर पर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया, आज कन्हैया जैसे राजनीति में करियर तलाश रहे युवाओं का साथ दे रही हैं. दीपिका को अचानक कैंपस में अपने बीच देख विरोध कर रहे छात्रों को भी एक पल को यक़ीन नहीं हुआ. कन्हैया तो शायद देश की तस्वीर बदलने या यूं कहें कि अपनी तकदीर चमकाने की कोशिश में इतने मसरूफ़ थे कि उन्हें ये पता ही नहीं चला कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की नंबर वन एक्ट्रेस उनके पीछे खड़ी है. 

दीपिका सिर्फ़ 10 मिनट जेएनयू कैंपस में रुकीं, इस दौरान उनके होंठ सिले हुए थे लेकिन चेहरे पर भावनाओं की बहार थी. दीपिका का उदास चेहरा देश के भविष्य के लिए चिंतिंत था या अपनी आनेवाली फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को लेकर ये तो दीपिका ही बेहतर जानती हैं, लेकिन दीपिका के जेएनयू जाने की टाइमिंग को लेकर सवाल उठने लाज़मी हैं. अगर दीपिका की कोई फिल्म रिलीज़ के करीब ना होती और तब वो छात्रों के समर्थन में जेएनयू पहुंची होती तो शायद ये मानना आसान होता कि दीपिका को वाक़ई इस बात की चिंता है कि देश की युवा पीढ़ी की आवाज़ और अधिकार को दबाया जा रहा है लेकिन एसिड सर्वाइवर मालती की कहानी को रील लाइफ में जीने वाली दीपिका का रियल लाइफ में जेएनयू जाना एक टॉप क्लास एक्ट से ज़्यादा कुछ नहीं लगता. 

यहां ये बात भी याद रखना ज़रूरी है कि दीपिका ने अपनी पिछली रिलीज़ 'पद्मावत' के वक़्त ही ये समझ लिया था कि नो पब्लिसिटी इज बैड पब्लिसिटी (NO PUBLICITY IS BAD PUBLICITY). इसलिए दीपिका को न तो अब बैड पब्लिसिटी से डर लगता है, न ही उन्हें आलोचना की परवाह है. संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को लेकर पूरे देश में खूब प्रर्दशन हुए. जगह-जगह दीपिका के पोस्टर जलाए गए. भंसाली को अपशब्द कहे गए. नतीजा क्या हुआ, फिल्म ने 500 करोड़ की कुल कमाई की. वैसे दीपिका में देश के बड़े मुद्दों के प्रति जो ये जागरूकता आई है, वो ज़्यादा पुरानी नहीं है. 27 नवंबर 2019 को हैदराबाद की दिशा के साथ हुई दरंदगी के सवाल पर वो दीपिका ही थीं जिन्होंने चुप्पी साध ली थी और मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया था. नागरिकता कानून को लेकर देशभर में हुए हंगामे के सवाल पर भी दीपिका ने मौन धारण कर लिया लेकिन छपाक की रिलीज़ से पहले दीपिका का हृदय परिवर्तन हो गया. 

ये बात और है कि जेएनयू में ठिठुरती सर्दी में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के बीच उदास खड़ी दीपिका अगले ही दिन मुंबई में एक शानदार शाम को पति रणवीर सिंह और फैमिली के साथ छपाक की स्पेशल स्क्रीनिंग में झिलमिलाती साड़ी और चेहरे पर उसी दिलकश मुस्कान के साथ नज़र आईं जिसे देखकर करोड़ों फैंस की धड़कनें बढ़ जाती हैं. जो लोग छपाक देख चुके हैं, उनका मानना है कि मेघना गुलज़ार की ये फिल्म उनकी पिछली दो रिलीज़ तलवार और राज़ी से कमज़ोर है लेकिन दीपिका ने फिल्म की रिलीज़ से पहले ही ऐसी दमदार परफॉर्मेंस दी कि फिल्म को मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में टैक्स फ्री कर दिया गया है. 

(लेखिका अदिति अवस्थी ज़ी न्यूज़ की एंटरटेनमेंट डेस्क की हेड हैं)

(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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