राहुल गांधी की नागरिकता- आर्थिक अपराध का गंभीर पहलू
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राहुल गांधी की नागरिकता- आर्थिक अपराध का गंभीर पहलू

प्रियंका गांधी वाड्रा ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी हिन्दुस्तानी हैं. कांग्रेस पार्टी के अनुसार इस तरह के मुद्दे उछालकर चुनावों से जनता का ध्यान बांटने की कोशिश की जा रही है. 

राहुल गांधी की नागरिकता- आर्थिक अपराध का गंभीर पहलू

भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी को नोटिस जारी करके 15 दिन में जवाब मांगा है. डॉ. स्वामी ने शिकायती पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि, ब्रिटिश नागरिक होने के कारण राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. राहुल गांधी ने अपने सहयोगी के साथ बैकऑप्स लिमिटेड नामक कंपनी का सन् 2003 में ब्रिटेन में रजिस्ट्रेशन कराया था. दस्तावेजों में राहुल गांधी को कंपनी का डायरेक्टर और सचिव दर्शाने के साथ उनकी जन्मतिथि भी दर्ज थी. इस कंपनी द्वारा ब्रिटेन में दाखिल वार्षिक रिटर्न में राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया. इस कंपनी को राहुल गांधी ने सन् 2009 में बंद कर दिया, लेकिन विवादों से अभी तक पीछा नहीं छूट रहा-

सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल खारिज होने से एनओसी नहीं 
एक वकील ने नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके राहुल गांधी की नागरिकता की जांच कराने की मांग की थी. तत्कालीन चीफ जस्टिस दत्तू ने रिटायरमेंट के दो दिन पहले इस याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा था कि पीआईएल को व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करने की बजाए, व्यवस्था सुधारने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिकायत या दस्तावेजों के गुण-दोष पर कोई विचार नहीं किया था, इसलिए याचिका खारिज होने को एनओसी नहीं माना जाना चाहिए.

संसद की आचार समिति द्वारा इस मामले पर जांच
भाजपा सांसद महेश गिरी ने राहुल गांधी के खिलाफ सन् 2016 में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से शिकायत की थी. महाजन ने शिकायत को संसद की आचार समिति के पास जांच के लिए भेज दिया था. उस समिति के अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी थे. इस मामले पर फिर से विवाद बढ़ने के बाद अब यह कहा जा रहा है कि, पिछले दो वर्षों से संसद की आचार समिति की बैठक ही नहीं हुई. राहुल गांधी पिछले कई वर्षों से लोकसभा के सदस्य और वर्तमान में विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. उनके खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बावजूद, संसदीय समिति ने समयबद्ध जांच और कार्रवाई की जाती तो विवाद इतना लंबा नहीं खिंचता.

डॉ. स्वामी ने आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज कराया
डॉ. स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के बड़े नेताओं के खिलाफ दिल्ली की अदालत में मामला दर्ज कराया था. उस मामले में राहुल गांधी बेल लेनी पड़ी, जिस पर भाजपा नेताओं द्वारा चुनावी तंज भी कजे जा रहे हैं. भारत के संविधान और चुनावी कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति दूसरे देश का नागरिक नहीं हो सकता. अगर राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं तो उनकी पिछली संसद सदस्यता और उससे जुड़े लाभों को लेने पर नये सवाल खड़े हो जायेंगे. डॉ. स्वामी इस बारे में कई वर्षों से आरोप लगा रहे हैं और उनके पास आवश्यक दस्तावेज और प्रमाण भी हैं. चुनावों के दौरान गृह मंत्रालय से शिकायत करने की बजाय, अदालती कार्रवाई करने से मामला जल्दी साफ हो जाता.

राहुल गांधी की सफाई
प्रियंका गांधी वाड्रा ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी हिन्दुस्तानी हैं. कांग्रेस पार्टी के अनुसार इस तरह के मुद्दे उछालकर चुनावों से जनता का ध्यान बांटने की कोशिश की जा रही है. संसद की आचार समिति के सामने राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ब्रिटेन की नागरिकता नहीं मांगी है और उनकी पहचान भारतीय नागरिक की है. राहुल गांधी के अनुसार इस कंपनी के बारे में उन्होंने 2004 के चुनावी शपथ-पत्र में सारी जानकारी दी थी, जिसे डॉ. स्वामी गलत मोड़ दे रहे हैं. राहुल गांधी ने चुनौती देते हुए कहा था, कि स्वामी उनका ब्रिटिश पासपोर्ट का विवरण सार्वजनिक क्यों नहीं करते? ऐसा लगता है कि इस मामले में भारत के कानूनों की बजाए, ब्रिटेन के कानूनों का उल्लंघन हुआ है. इसलिए इस मामले में सफलता के लिए डॉ. स्वामी को ब्रिटेन में ही मुकदमा दायर करना होगा. ब्रिटेन में रजिस्टर की गई कंपनी 2009 में ही बंद हो चुकी है, तो विलंब की वजह से अब इस मामले में ठोस कारवाई मुश्किल ही दिखती है.

आर्थिक अपराध और कालेधन का व्यापक मुद्दा
पिछले 15 सालों में यह मामला सरकार, संसद और सुप्रीम कोर्ट के सामने अनेक तरीके से आ चुका है. गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस भी चुनावी सीजन के बाद ठण्डी पड़ जायेगी. इस विवाद में कालेधन और विदेशी निवेश से जुड़ा बड़ा मामला है, जिसकी व्यापक जांच होनी चाहिए. राहुल गांधी के स्वामित्व वाली ब्रिटिश कंपनी से हुई आमदनी पर भारत में टैक्स मिला या नहीं, इस बारे में आयकर विभाग द्वारा स्पष्टीकरण देना उचित होगा. अनेक बड़े नेता, अभिनेता और उद्योगपति भारत में रहने के बावजूद, बाहरी मुल्कों के नागरिक बन गये हैं. विजय माल्या जैसे मामलों में भारतीय बैंकों का पैसा फंसा है, लेकिन उनके जैसे विदेशी नागरिकों के खिलाफ कारवाई करना मुश्किल हो रहा है. विदेशों मे जमा कालाधन वापस लाने के लिए मोदी सरकार ने रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्षता में SIT का गठन किया था. राहुल गांधी के इस विवाद के बहाने विदेशी निवेश और कालेधन की व्यापक जांच हो, तभी यह मामला तार्किक परिणाम तक पहुंचेगा.

(लेखक विराग गुप्‍ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं. Election on the Roads पुस्‍तक के लेखक हैं.)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)      

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