कटक में क्रिकेट की 'कलंक' कथा
Advertisement
trendingNow1272224

कटक में क्रिकेट की 'कलंक' कथा

कटक में क्रिकेट की 'कलंक' कथा

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए दूसरे टी-20 मैच के दौरान कटक में बदसलूकी का जो नजारा दिखा उसकी जितनी भी आलोचना की जाए वो कम है। यूं तो क्रिकेट हार और जीत का खेल माना जाता रहा है। हालांकि किसी भी खेल में हार और जीत ही होती है। तीसरा कुछ तो होता नहीं। क्रिकेट को जेंटलमैंस गेम भी कहा जाता है। इसलिए इस गेम में हारने के बाद वह टीम संयम के साथ मैदान में दिखती है। उसके चेहरे पर मायूसी तो होती है लेकिन विजेता टीम के लिए वो मुस्कुराहट भी होती है जो उसे क्रिकेट की दुनिया का 'जेंटलमैन; बनाता है।  

fallbackक्रिकेट की दुनिया में सोमवार को जो कटक में हुआ उससे सच में क्रिकेट एक बार फिर कलंकित हुआ है। भारत को क्रिकेट लविंग कंट्री माना जाता है जहां क्रिकेट के सभी दीवाने है। यहां देश के गली-गली और नुक्कड़ चौराहों में भी क्रिकेट का खेल खेला जाता है। भारत में क्रिकेट का बड़ा बाजार है और उसके प्रशंसक की तादाद भी करोड़ों में है। क्रिकेट भारत में खूब बिकता है क्योंकि उसके दीवानों की तादाद बहुत बड़ी है। इस स्थिति में ऐसी शर्मनक स्थिति भारत में होती हुई दिखती है तो यकीनन बहुत दुख होता है।

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू कहा करते थे- हारने के बाद भी आपकी भाव-भंगिमा इस तरह की होनी चाहिए कि ऐसा लगे ही नहीं कि आप हारे हो और जीत दूसरे को मिली है। यकीनन ऐसा क्रिकेट और टेनिस जैसे खेल के दौरान देखने में आता है। जब एक टीम जीत जाती है और दूसरी हार जाती है तब दोनों टीम के सदस्य एक दूसरे से हाथ मिलाते है। हारी हुई टीम के सदस्यों के दिल में मायूसी होती है लेकिन फिर भी वह मुस्कुरा कर जीती हुई टीम के सदस्यों को मुबारकबाद देते है। ऐसा ही टेनिस में भी होता है। यही वजह है को दोनों खेल जेंटलमैंस यानी भद्रजनों के खेलों में शुमार किया जाता है।

कटक से पहले भी टीम इंडिया काफी बुरी तरह हारी है। यह टीम इंडिया का कोई पहला शर्मनाक प्रदर्शन नहीं था। लेकिन टीम इंडिया के फैंस ने अपना धैर्य खो दिया। जीत की खुशी होता है और हारने का गम होता है। लेकिन हार की ऐसी प्रतिक्रिया इतनी शर्मनाक और निंदनीय होगी, यह कटक के दर्शकों से उम्मीद नहीं थी।

जीतने की स्थिति में जीतनेवाली टीम खुश होती है और हारनेवाली दुखी। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि जीतनेवाली टीम इस प्रकार का जश्न मनाए या फिर ऐसा बर्ताव करे जिससे हारनेवाली टीम को दुख पहुंचे । साथ ही हारनेवाली टीम के प्रशंसकों को दुखी होकर कोई ऐसा काम नहीं कर गुजरना चाहिए जिससे चौतरफा आलोचना के साथ देश की साख पर भी सवालिया निशान उठने लगे।  

कटक में यही सब-कुछ हुआ जहां दर्शकों ने अपनी बदसलूकी से देश को शर्मसार कर दिया। टीम इंडिया हारी उससे तो खैर सिर्फ टीम की ही साख गिरी। लेकिन दर्शकों ने कटक के मैदान पर जो उत्पात मचाया, उससे पूरी दुनिया में भारतीय क्रिकेट शर्मसार हो गया। दर्शकों के इस व्यवहार की दुनियाभर में आलोचना की जा रही है। भारत की हार को दर्शक बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होंने जमकर उत्पात मचाया। गुस्साए दर्शकों ने मैदान पर बोतलें फेंककर मैच में बाधा पहुंचाई, जिससे खेल तीन बार बाधित हुआ। इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों के अलावा भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर गुस्से के भाव देखे जा सकते थे।

कटक के मैदान पर दर्शकों की शर्मनाक और निंदनीय हरकत की वजह से भारतीय क्रिकेटर ही नहीं बल्कि मेहमान अफ्रीकी खिलाड़ी भी डरे और सहमे हुए हैं। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मैच के बाद प्रेस ब्रीफिंग में यहां तक कह दिया ‍कि सुरक्षा के लिहाज से यह गंभीर खतरा है। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और क्रिकेट कमेंटेटर सुनील गावसकर भी दर्शकों के व्यवहार से काफी नाराज नजर दिखे । गावस्कर ने तो यहां तक कह दिया कि दर्शकों की इस हरकत के बाद कटक क्रिकेट सेंटर पर कम से कम पांच साल का बैन लगना चाहिए। कटक के दर्शकों की इस हरकत के कारण भारत का नाम पूरी दुनिया में खराब हुआ है।
 
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा कि भारत में अन्य भी बहुत सारे क्रिकेट सेंटर हैं। अगले कुछ सालों तक कटक में कोई मैच मत कराओ, यही सबसे आसान सजा है। पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने खिलाड़ियों और खेल के प्रति सम्मान दिखाने की बात रखते हुए कहा कि जब हम जीतते हैं तो सबको अच्छा लगता है लेकिन हारने पर दर्शक क्यों अपना आपा खो देते हैं। प्रज्ञान ओझा, मोहम्मद कैफ, अजित आगरकर, समेत कई नामचीन क्रिकेटरों ने कटक मैच में दर्शकों के शर्मनाक व्यवहार की आलोचना की है और कहा कि इससे ओडिशा का नाम भी बदनाम हुआ है और भारत में क्रिकेट की साख पर बट्टा लगा है।

भारत में ज्यादातर स्थानों पर पानी की बोतलों पर पाबंदी है और पानी के पाउच ले जाने की अनुमति है लेकिन ओड़िशा क्रिकेट संघ के अधिकारी ने कहा कि बाराबती स्टेडियम में स्थिति थोड़ी अलग  है। ओसीए अधिकारी ने कहा कि हमने पानी की छोटी बोतलों और पाउच पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन यहां बड़ी बोतलों पर प्रतिबंध नहीं है। लेकिन इन बातों का हवाला देकर अब कुछ भी नहीं किया जा सकता है। क्योंकि क्रिकेट का खेल शर्मसार हो चुका है। भारत की साख पर बट्टा लग चुका है। यह ओडिशा पुलिस और संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी बनती थी कि वह सभी दर्शकों के अभद्र व्यवहार को रोक पाते। लेकिन बड़ी बोतलों पर पाबंदी नहीं होने की बात कहकर जिम्मेदारी से नहीं बचा जा सकता है। ओड़िशा के क्रिकेट संघ के अधिकारी का यह बयान शर्मनाक है जिसमें उनके लापरवाही भरे रवैये की बू आती है। यह इतनी शर्मनाक स्थिति है जो किया तो कुछ उत्पाती दर्शकों ने लेकिन बदनाम क्रिकेट के साथ पूरा देश हो गया।

Trending news