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हमारे देश के ज्यादातर अविकसित गांव कब संवरेंगे, उनकी तकदीर कब बदलेगी, इसकी तो उम्मीद नजर नहीं आती लेकिन देश के 13 शहरों का स्मार्ट होना अब तय हो गया है। इन 13 शहरों के स्मार्ट होने की उम्मीदों को पंख लग गए हैं।
केंद्र सरकार ने इन शहरों को स्मार्ट बनाकर खूबसूरत और विकसित बनाने की हुंकार भरी है। स्मार्ट सिटी परियोजना में सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। इस योजना के तहत राज्य में सबसे ज्यादा, यानी 13 स्मार्ट सिटी विकसित की जाएंगी। इसके बाद तमिलनाडु का नंबर है। तमिलनाडु में 12 और महाराष्ट्र में 10 स्मार्ट सिटी बनाई जाएगी। सरकार के मानदंड के मुताबिक बिहार में 3 स्मार्ट सिटी बनेंगे।
अब जान लेते हैं कि आखिर वो कौन से राज्य के कौन-कौन से शहर है जो स्मार्ट सिटी के सांचे में ढलेंगे। यूपी के शहर है- लखनऊ, इलाहाबाद, लखनऊ और वाराणसी। तमिलनाडु में चेन्नई, कोयंबटूर, मदुरै को इस सूची में शामिल किया गया है। गुजरात राज्य से अहमदाबाद, गांधी नगर ,सूरत और राजकोट को चुना गया है। अमृतसर , लुधियाना, जालंधर पंजाब के तीन शहर है जो स्मार्ट बनकर निखरेंगे। हरियाणा से गुड़गांव और फरीदाबाद, हिमाचल प्रदेश से शिमला और उत्तराखंड से हरिद्वार और रूड़की को स्मार्ट सिटी के लिस्ट में शामिल किया गया है।
100 स्मार्ट सिटी का विकास, 500 नगरों के लिए अटल शहरी पुनर्जीवन एवं परिवर्तन मिशन (एएमआरयूटी) और 2022 तक शहरी क्षेत्रों में सभी के लिए आवास योजना शामिल हैं। तीन परियोजनाओं के परिचालन दिशानिर्देश, नियमों, लागू करने के ढांचे को केंद्र द्वारा राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्थानीय शहरी निकायों के साथ पिछले एक साल के दौरान की गई चर्चा के आधार पर तैयार की गई हैं। इन तीन बड़े शहरी परियोजनाओं को तैयार करने में प्रधानमंत्री खुद भी जुड़े रहे हैं। इसके लिए करीब 4 लाख करोड़ रुपये का केंद्रीय अनुदान तय किया गया है। पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि स्मार्ट सिटी परियोजना किसी भी राज्य पर थोपी नहीं जाएगी। उस शहर के लोगों को खुद फैसला करना होगा।
इनके अलावा दिल्ली को एक स्मार्ट सिटी मिली है। मोदी सरकार ने जो मानदंड तय किया है उसके मुताबिक पश्चिम बंगाल और राजस्थान में चार-चार, बिहार, आंध्र प्रदेश और पंजाब में तीन-तीन, ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में दो-दो तथा जम्मू-कश्मीर, केरल, झारखंड, असम, हिमाचल, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में एक-एक स्मार्ट सिटी विकसित की जाएंगी।
साथ ही जहां दो बड़े शहरों के बीच में जगह खाली है उन इलाकों को भी स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा सकता है। शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू के मुताबिक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा और किसी भी इलाके को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने में 10 से 15 साल का वक्त लग सकता है। इन इलाकों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जिन शहरी इलाकों को शामिल किया जाएगा वहां 24 घंटे बिजली और पानी की व्यवस्था होगी, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं होंगी। साइबर−कनेक्टिवीटी और ई-गवर्नेन्स की सुविधा होगी, हाईटेक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बहाल किया जाएगा और नालियों और कचरा निबटान का 100 फीसदी इंतजम होगा।
आईए अब जरा ग्लोबल चश्मे से यह देखने की कोशिश करते है कि स्मार्ट सिटी का आखिर मतलब है क्या। स्मार्ट सिटी यानी वो शहर है जहां हर बुनियादी सुविधाएं मौजूद हो। जो विकास के सांचे में हर पैमाने पर ढला हो। जहां शहर बसाने के लिए पर्यावरण के नाम पर अनावश्यक छेड़छाड़ ना किया गया हो। शहरी आबोहवा के लिए हर सुविधा आसानी से मौजूद हो जो एक आम जिंदगी की रोजमर्रा की जरूरत हो। स्मार्ट सिटी की लिस्ट में पहले पायदान पर है बार्सिलोना। यह स्पेन का शहर जिसकी आबादी 16 लाख से ज्यादा है। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी वाला शहर न्यूयॉर्क स्मार्ट सिटी की लिस्ट में दूसरे पायदान पर है। यूरोपियन शैली की शानदार इमारतों का शहर और यूरोप का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर लंदन इस लिस्ट में तीसरे पायदान पर आता है।
तकनीक, बिल्डिंग, सार्वजनिक सुविधाएं, बुनियादी सुविधाएं, सड़क और परिवहन, रोजगार जैसे कुछ अहम मसले होते है जो एक स्मार्ट सिटी की बुनियाद रखते है। इन तमाम कसौटियों पर परखे जाने के बाद ही एक शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलता है। निवासियों के रहन-सहन का स्तर, उन्हें मिलने वाली सुविधाएं, टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल जैसी कई चीजें मिलकर एक शहर को स्मार्ट बनाती हैं। जिसमें उसकी आर्थिक विकास और तकनीकी तरक्की का भी भरपूर योगदान होता है। यह भी तय है कि अगर नरेंद्र मोदी सरकार दुनिया की इन स्मार्ट सिटी को आधार बनाकर स्मार्ट सिटी बनाएगी तो हमारे शहर भी दुनिया के बेहतरीन शहरों को टक्कर देंगे।
जाहिर है इन तमाम कसौटियों पर परखे जाने के बाद ही एक शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलता है। स्मार्ट का मतलब किसी शहर की आर्थिक तरक्की या तकनीकी तरक्की कतई नहीं है। बल्कि निवासियों के रहन-सहन का स्तर, उन्हें मिलने वाली सुविधाएं, टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल जैसी कई चीजें मिलकर एक शहर को स्मार्ट बनाती हैं। ऐसे में सवाल ये कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में शामिल शहरों को इन कसौटियों पर कसा जाएगा। अगर मोदी सरकार दुनिया की इन स्मार्ट सिटी को आधार बनाते हुए स्मार्ट सिटी बनाएगी तो हमारी शहर भी दुनिया के बेहतरीन शहरों को टक्कर देंगे।
सबसे बड़ी अहम बात तो यह भी है कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर नहीं बनाई जा सकती। रुपरेखा और बेसिक ड्राफ्ट तो कागजों पर ही होता है। लेकिन उसके बाद जमीनी पहल सबसे अहम होता है। योजनाओं के लिए बनाई गई रूपरेखा पर किस प्रकार तय सीमा के अंदर उसपर अमल होता है। जमीनी कामयाबी के लिए कई चीजें जरूरी होती है और इस योजना में यह साफ दिख रहा है कि केंद्र सरकार की यह खूबसूरत पहल राज्य सरकार की भागीदारी के बगैर रंग नहीं ला पाएगी। ऐसे में सरकारी एजेंसियों का तालमेल जरूरी है और उससे भी बड़ी जरूरत है योजना के तहत आनेवाली हर बाधा का त्वरित निराकरण, तभी देश में स्मार्ट सिटी का सपना सच हो पाएगा।