सुप्रीम कोर्ट से CJI पर महाभियोग से जुड़ी याचिका भले खारिज हो गई, लेकिन उलझन बाकी है...
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सुप्रीम कोर्ट से CJI पर महाभियोग से जुड़ी याचिका भले खारिज हो गई, लेकिन उलझन बाकी है...

आजादी के बाद महाभियोग के तहत आज तक कोई भी जज नहीं हटाया गया, तो फिर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के विरुद्ध कमजोर विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव कैसे सफल हो सकता है?

सुप्रीम कोर्ट से CJI पर महाभियोग से जुड़ी याचिका भले खारिज हो गई, लेकिन उलझन बाकी है...

चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति द्वारा रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका भी अब खारिज हो गई. पंच-परमेश्वर जैसी संविधान पीठ पर जब सवाल खड़े होने लगे, तो फिर अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर आम जनता का भरोसा कैसे रहेगा?

महत्वपूर्ण मामलों पर संविधान पीठ द्वारा सुनवाई की परंपरा- जजों के बीच संवैधानिक मतभेद की स्थिति या महत्वपूर्ण मामलों पर संविधान पीठ द्वारा विचार का नियम है. केशवानन्द भारती मामले में 13 जजों की संविधान पीठ अभी तक की सबसे बड़ी बेंच मानी गई है, जिसने 1973 में दिए गए ऐतिहासिक फैसले में संसद और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों की संवैधानिक व्याख्या की. इसके बाद 9 जजों की संविधान पीठ ने 1993 में कॉलेजियम व्यवस्था के तहत जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के विशेषाधिकार को मान्यता दी थी. आधार और अयोध्या विवाद जैसे मामलों की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ द्वारा की जा रही है. तो फिर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग मामले की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ द्वारा सुनना लाजमी है, परन्तु इसके गठन की प्रक्रिया और फैसले पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं?

चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग मामले पर संविधान पीठ का गठन- कपिल सिब्बल द्वारा मामले पर अर्जेंट सुनवाई के लिए कोर्ट नंबर-2 के जज चेलमेश्वर के सम्मुख मांग के बाद उन्हें अगले दिन बुलाया गया. इसके बावजूद रहस्यमय तरीके से शाम को ही 5 जजों की संविधान पीठ के सम्मुख सुनवाई के लिए याचिका की लिस्टिंग का आदेश जारी हो गया. आदेश के अनुसार मंगलवार को 5 जजों की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई की, जिसमें जस्टिस एके सीकरी, एसए बोबड़े, एनवी रमन्ना, अरुण मिश्रा और एके गोयल शामिल थे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम 5 जज कॉलेजियम के तहत जजों की नियुक्ति का फैसला करते हैं जबकि महाभियोग मामले में संविधान पीठ के सभी जज सीनियरिटी में नंबर 6 से नंबर 10 तक के शामिल हुए.

संविधान पीठ के गठन का आदेश किसने दिया- सुनवाई शुरू होने पर कपिल सिब्बल ने उस प्रशासनिक आदेश को दिखाने की मांग की जिसके तहत इस मामले में संविधान पीठ का गठन हुआ. संविधान पीठ के जज महाभियोग मामले में मेरिट पर सुनवाई करना चाह रहे थे, जबकि सिब्बल प्रशासनिक आदेश की वैधता को ही चुनौती दे रहे थे. संविधान पीठ द्वारा आदेश दिखाने से इनकार के बाद सिब्बल द्वारा याचिका वापस लेने का अनुरोध बेंच ने मानते हुए मामले को निरस्त कर दिया. सवाल यह है कि संविधान पीठ का गठन न्यायिक आदेश द्वारा ही किया जा सकता है, तो फिर सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने प्रशासनिक आदेश से इसका गठन कैसे किया? महाभियोग मामले में चीफ जस्टिस भी पक्षकार हैं, तो उनके तहत काम कर रहे रजिस्ट्रार द्वारा संविधान पीठ के गठन के आदेश पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं.

संविधान पीठ में कॉलेजियम के जज शामिल क्यों नहीं- विपक्ष के सांसदों द्वारा दिए गए महाभियोग के नोटिस में कॉलेजियम के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र है, तो फिर जस्टिस चेलमेश्वर द्वारा संविधान पीठ के गठन का आदेश का कैसे दिया जा सकता था? कॉलेजियम के बाद पांच वरिष्ठतम जजों को शामिल करने से, संविधान पीठ के जजों की वरिष्ठता के बारे में विवाद नहीं हो सकता. यद्यपि संविधान पीठ बनाए जाने के लिए जारी प्रशासनिक आदेश पर विवाद होना स्वाभाविक है.

सुप्रीम कोर्ट में महाभियोग पर कैसे हो फैसला- चीफ जस्टिस के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा कोई भी सुनवाई निष्पक्ष कैसे हो सकती है? राज्यसभा के सभापति द्वारा महाभियोग का नोटिस यदि स्वीकार भी हो गया, तो फिर सुप्रीम कोर्ट के जज और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मामले की जांच कैसे करेंगे? नैतिकता के आधार पर जांच के दौरान चीफ जस्टिस को न्यायिक कार्यों से विरत रखने की मांग की जा रही है, पर याचिका निरस्त होने के बाद अब इसका क्या औचित्य है?

राज्यसभा के सभापति का निर्णय सुप्रीम कोर्ट कैसे बदले- वेंकैया नायडू द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के विरुद्ध महाभियोग नोटिस अस्वीकार करने के लिए पुरानी नजीर भी है. सन् 1971 में 199 लोकसभा सांसदों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज जेसी शाह को पद से हटाने के लिए दिए गए महाभियोग के नोटिस को तत्कालीन स्पीकर ढिल्लन ने अस्वीकार कर दिया था. बाद में जस्टिस शाह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी बने थे. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ निर्णय को निरस्त भी कर दे, तो भी वह राज्यसभा के सभापति से इस पर पुनर्विचार का आग्रह ही कर सकती है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर 2018 को रिटायर हो जाएंगे, तो फिर महाभियोग की पूरी कवायद से क्या हासिल होगा?

महाभियोग पर आगे क्या होगा- सुप्रीम कोर्ट में बहुत जल्द गर्मी की छुट्टियां हो रही हैं, जिस दौरान जस्टिस चेलमेश्वर के रिटायर होने से कॉलेजियम के भीतर नए जज एके सीकरी शामिल हो जाएंगे. कॉलेजियम को उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ समेत अन्य पेंडिंग नियुक्तियों पर फैसला लेना है. इसके अलावा महाभियोग प्रस्ताव पर विपक्षी सांसदों द्वारा मीडिया में हुई चर्चा से अवमानना मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच द्वारा सुनवाई हो रही है. लोया मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण की एनजीओ पर 25 लाख के जुर्माने का मामला भी अभी उलझा है. मेडिकल कॉलेज स्कैम में सीबीआई जांच शुरू होने के बाद उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जज गिरफ्तार हुए और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज से न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है. आजादी के बाद महाभियोग के तहत आज तक कोई भी जज नहीं हटाया गया, तो फिर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के विरुद्ध कमजोर विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव कैसे सफल हो सकता है? सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट की शतरंजी बिसात में राजनेताओं की चाल से न्यायपालिका की विश्वसीयनता को हो रही क्षति की भरपाई कैसे होगी?

(लेखक सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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