परिवर्तन संसार का नियम है, नववर्ष खुशियों का संसार समेटे आ जाता है. यही अहसास होता है बीते वर्ष के अन्तिम दिनों में कि आने वाला साल जिन्दगी को नया तोहपफा देकर जाने वाला है. नये वर्ष का स्वागत एक नयी सोच व एक मधुर मुस्कान के साथ किया जाता है.
Trending Photos
बहुत कुछ टूटता है, जब पीछे कुछ छूटता है, गुजरा वर्ष जाता है.. तो आने वाला नया वर्ष बाहे फैलाए इन्तजार करता है. वक्त को थाम लें, समेट लें, आगोश मे आने वाली हर खुशी को और बीते लम्हों की अच्छी यादों को सरकने न दें, मुट्ठी से रेत की तरह. इन्द्रधनुषी सपनों के संसार में खो जाएं और बीती यादों के झरोखों से एक-एक पन्ने की खुशियों को परत दर परत खोलते जाएं और स्वागत करें नववर्ष का. खामोशियां रही हों या गुनगुनाहट, उदासियां रही हों या खिलखिलाहट, गुजरना था वक्त गुजर गया और दे गया जिन्दगी को फिर से नववर्ष के रूप में एक नजराना.
परिवर्तन संसार का नियम है, नववर्ष खुशियों का संसार समेटे आ जाता है. यही अहसास होता है बीते वर्ष के अन्तिम दिनों में कि आने वाला साल जिन्दगी को नया तोहपफा देकर जाने वाला है. नये वर्ष का स्वागत एक नयी सोच व एक मधुर मुस्कान के साथ किया जाता है.
नववर्ष मंगलमय हो यह कथन कानों में पडते ही उस दिन के अहसास अलग ही हो जाते है, बच्चे हो, युवा हो, वृद्ध हो, या महिलाएं सबका अंदाज नववर्ष के लिए अनूठा होता है, बच्चे भी नववर्ष में कार्ड देकर शुभकामना देते है उनमें इस दिन विशेष उत्साह होता है. वृद्ध कहते है जिन्दगी का एक साल और कम हो गया, फिर भी नववर्ष मनाने की उनकी एक दबी सी चाह होती है. समय के पन्नो को पलटे तो नववर्ष मनाने के मायने भी बदले है, नववर्ष का नवीनतम् रूप काफी अलग भी है, कभी नववर्ष की नई सुबह मुंह मीठा करने से होती है, आज नया साल है हलवा बनाया है मां का यह कथन घर के सभी सदस्यों को खुशी का अहसास कराता था, खुशियां मनाने को शाम से ही टी.वी. के सामने चिपक कर बैठ जाते थे, टी.वी. प्रोग्राम रग-रग में नई उमंग व उत्साह को दुगुना कर देते थे.
बड़े -बुजुर्ग रात में ईश भजन से नये साल की शुरूआत करते थें. मन-मस्तिष्क में यही भाव रहता था कि नये साल की शुरूआत एक नयी सोच व अच्छे कर्म से हो. आज के युवाओं का जोश तो नये साल के आगमन पर देखते ही बनता है, व्यस्तताओं से भरे समय में भी वे नये वर्ष, का जश्न मनाने को कुछ न कुछ अलग योजनाएं बनाते है. और उनके अंदाज अलग होते है. गीत, संगीत, नृत्य ही सीमित नही उनका जश्न, विभिन्न पार्टियों, होटलो में घूमना और दर्शनीय स्थलो पर जाना उनके नये साल मनाने की नई सोच को दर्शाता है. वे मानते है खुशियो के क्षणो को व्यर्थ नही गंवाना है जीने की जैसी ललक, उमंगो का जैसा समा, उत्साह का जैसा रंग वे अपने आस- पास उत्पन्न कर लेते हैै वो स्वर्गिक आनंद से कम नही. खुशियों को कल्पना के पंखो से उड़ान देने में और वास्तविकता के ध्रातल पर उतार देने में युवा वर्ग का उत्साह नववर्ष में देखते ही बनता है.
नववर्ष में अपनी महत्वाकांक्षाओ को साकार रूप देने में वे हर सम्भव प्रयत्न करते है. आने वाले नये साल मे वादा करे स्वयं से अपने आस-पास कमजोर निरीह दुःखी लोगो के जीवन में भी किंचित हंसी को बांटने का प्रयत्न करेंगें जिससे नया साल अपनी गरिमा के साथ हर किसी की खुशी का हिस्सा बन सके. नये साल में कमजोर होते रिश्तो को सहज कर रखे, अमूल्य रिश्तो का अहसास स्वयं को कराये और अपनो के साथ भी नये साल का जश्न मनाएं थे. आपके परिवार के लिए एक अमूल्य तोहपफा होगा.
बीते हुए वर्ष में अहसासों को जिन्दा रखकर जो भी पाया है, उसे अच्छाई की तह मे लपेट कर, अपने इरादो को मजबूत करके, नये साल मे जीवन लक्ष्यों को पूर्ण करे. मन की कटुता को भुलाकर समभाव से जीवन जीये आनन्द मय क्षणों को खुलकर जीए. मरूभूमि में वर्षा की रिमझिम फुहारों की तरह व शीत में सूर्य की गुनगुनाती धूप के समान ही जीवन में नव वर्ष आता है. नववर्ष में सपनो को साकार करे. केवल मनोरंजन ही नही बल्कि नई सुबह से वादा करे कि बीते समय के उन अघ्यायो को बन्द कर देंगें जिन्होने आपको पीड़ा या कष्ट का अनुभव कराया हैं.
नये साल में असपफलताओं को सपफलता के मायने दीजिए, अपने उत्तरदायित्वो को निभाइए-मूवी देखिए, चाहें देर तक सोइए, संगीत की लय पर नृत्य कीजिए सैर सपाटे को निकल जाइए, आतिशबाजियां कीजिए या समुद्र तट पर देर तक सैर को निकल जाइए, पर याद रखिए खुशियां बांटने से और भी बढ़ती है किन्ही नन्हे हाथो को थाम कर सहारा दीजिए किन्ही वृद्धों को अपनापन दीजिए दीन दुखियों के मर्म को जानिये और अपनो के साथ रंगीन नये साल के जश्न मे खो जाइए.
(रेखा गर्ग सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)