BCCI का नया संविधान: राज्य क्रिकेट संघ कोर्ट के फैसले के इंतजार में, CoA सख्त
Advertisement
trendingNow1562766

BCCI का नया संविधान: राज्य क्रिकेट संघ कोर्ट के फैसले के इंतजार में, CoA सख्त

बीसीसीआई संविधान पर निर्णय से पहले 10 राज्यों को कोर्ट के फैसले का इंतजार है. 

नए संविधान के मुताबिक बीसीसीआई में राज्य संघो को मतदान कराना है.  (फोटो : फाइल)

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के शीर्ष संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के नए संविंधान के मुताबिक राज्यों के क्रिकेट संघों के संविधान में परिवर्तन को लेकर एक ओर जहां संबंधित बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में है, वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (CoA) ने दावा किया है कि जो राज्य नए पंजीकृत बीसीसीआई के संविधान के अनुसार अपने संविधान में संशोधन नहीं करेंगे उन्हें बोर्ड चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद संशोधन की प्रक्रिया के आगे बढ़ने से पहले लगभग 10 राज्य संघ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं.

22 अक्टूबर को होने हैं चुनाव
बीसीसीआई में चुनाव के 22 अक्टूबर को होने की उम्मीद है. सीओए ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश क्रिकेट संघ, छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ, बंगाल क्रिकेट संघ, गोवा क्रिकेट संघ, हरियाणा क्रिकेट संघ, झारखंड राज्य क्रिकेट संघ, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ, मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ, राजस्थान क्रिकेट संघ और तमिलनाडु क्रिकेट संघ को अभी भी नए बीसीसीआई संविधान के अनुसार अपने संविधान में संशोधन करना है.

यह भी पढ़ें: IND vs WI: जानिए, आखिरी वनडे में होगी दोनों टीमों के किन खिलाड़ियों पर नजर

14 राज्य संघ हैं ऐसे
सीओए के दस्तावेजों में कहा गया है कि 14 राज्य संघ हैं जिन्होंने अब तक निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की है. इन 14 में से सौराष्ट्र क्रिकेट संघ, बड़ौदा क्रिकेट संघ, जम्मू और कश्मीर क्रिकेट संघ, ओडिशा क्रिकेट संघ भी शामिल है.उत्तराखंड के क्रिकेट एसोसिएशन को पूर्ण सदस्य के रूप में सदस्य संघ में शामिल किया गया है और तदनुसार, सीओए उनके संविधान में आवश्यक संशोधनों का संचार करेगा.

नहीं मिलेगा वोट देने का अधिकार
सीओए ने दावा किया है कि जो संघ संशोधन नहीं करेंगे उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं दिया जाएगा जबकि बीसीसीआई के वकील और राज्य संघों का मानना है कि यह शीर्ष अदालत को तय करना है. उन्हें लगता है कि जब तक शीर्ष अदालत राज्य संघों और उनके मुद्दों की सुनवाई नहीं करती, तब तक सीओए इस पर फैसला नहीं ले सकता है.

क्या कहा संघों के वकील ने
राज्य संघ के वकील अमोल चिताले ने कहा, "बीसीसीआई के नए संविधान को सुप्रीम कोर्ट ने पास किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य संघों को अपने संविधान को बीसीसीआई के संविधान के आधार पर ही बनाना होगा. सभी राज्य संघों ने या तो अपने संविधान में संशोधन किया और उसे पंजीकृत कराया या फिर उसे भंग करते हुए बीसीसीआई के संविधान को लागू किया. यही संविधान सीओए को भेजे गए हैं ताकि वह इस बात की जांच कर सके कि वे सही तरीके से तैयार किए गए हैं या नहीं. इस पर सीओए ने कुछ ऐसे प्वाइंट्स का जिक्र करते हुए उन्हें राज्य संघों को भेज दिया कि कुछ मामलों में उनका संविधान बीसीसीआई के संविधान से मेल नहीं खाता है."

क्या कहा बीसीसीआई के वकील ने
बीसीसीआई वकील गुंजन ऋषि ने कहा कि यह हालात इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि 'सिमिलर लाइंस' का राज्य संघों ने अपने हिसाब से अलग-अलग अर्थ लगाया. सीओए ने बाद में साफ किया कि इसका मतलब जस का तस है लेकिन इसके बावजूद राज्य संघ इसे लेकर स्थिति साफ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पास गए. इसी बीच, सीओए ने तमाम शंकाओं के बीच यह अर्थ लगा लिया कि राज्य संघ सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास किए गए संविधान के आधार पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं.
(इनपुट आईएएनएस)

Trending news