ब्रिटेन में नस्लवाल पर बोले भारतीय मूल के मोंटी पनेसर-क्रिकेट के जरिए इसे खत्म करें
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ब्रिटेन में नस्लवाल पर बोले भारतीय मूल के मोंटी पनेसर-क्रिकेट के जरिए इसे खत्म करें

भारतीय मूल के ब्रिटिश क्रिकेटर मोंटी पनेसर का मानना है कि ब्रिटेन में दक्षिण एशियाई प्रवासियों के मुकाबले अश्वेतों को ज्यादा नस्लवाद का सामना करना पड़ता है.

मोंटी पनेसर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारतीय मूल के इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर (Monty Panesar) का मानना है कि ब्रिटेन में दक्षिण एशियाई प्रवासियों को यदा कदा ही नस्लवाद का सामना करना पड़ता है लेकिन इसकी तुलना अश्वेत समुदाय के साथ रोजमर्रा की जिंदगी में हो रहे बर्ताव से नहीं की जा सकती. पनेसर ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि उनके देश में अश्वेत समुदाय के साथ नस्लवाद खत्म होना चाहिए और अधिकारियों को 5 साल की योजना बनाकर इसे खत्म करना चाहिए.

  1. ब्रिटेन में नस्लवाल पर बोले भारतीय मूल के मोंटी पनेसर
  2. क्रिकेट के जरिए भेदभाव खत्म करने की वकालत की
  3. दक्षिण एशियाई के मुकाबले अश्वेत ज्यादा नस्लवाद के शिकार

उन्होंने कहा,‘अगर कोई यहां काला रंग चढी खिड़कियों वाली कार चलाता है और वो अश्वेत है तो पुलिस उसकी कार जरूर रोकेगी. यहां अश्वेत लोग रोज पुलिस के खौफ के साए में जीते हैं’ इंग्लैंड के लिये 50 टेस्ट में 167 विकेट ले चुके पनेसर ने कहा, ‘ये मेरे अश्वेत दोस्त बताते हैं. वो सुपरमार्केट जाते हैं तो लोगों को उन पर चोरी का शक होता है. अगर मैं जेब में कुछ रख लूं तो कोई ध्यान नहीं देगा लेकिन वे कुछ नहीं करते हैं तो भी उन पर शक रहता है.’

समूचे क्रिकेट जगत की तरह उन्हें भी वेस्टइंडीज के महान क्रिकेटर माइकल होल्डिंग के नस्लवाद पर दिए गए भाषण ने झकझोर दिया है. उन्होंने कहा, ‘5 साल की योजना बनाकर इसे खत्म किया जाना चाहिए. भाषणों के बाद भी कुछ किया नहीं जाता तो फिर क्या फायदा. मैने माइकल होल्डिंग जैसा दमदार भाषण किसी का नहीं देखा, और क्रिकेट के जरिए ही नस्लवाद को खत्म करने से बेहतर क्या हो सकता है.’

पनेसर ने कहा, ‘दक्षिण एशियाई समुदाय को यदा कदा ही सुनना पड़ता है लेकिन अश्वेतों को नियमित आधार पर यह सब सहना पड़ता है. सिख समुदाय दशकों से समाज सेवा कर रहा है और प्यार का संदेश फैला रहा है. लोग उसकी सराहना करके हमें वह प्यार लौटाते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन अश्वेत समुदाय की कोई गलती नहीं होने पर भी पुलिस उन्हें दंडित करती है. अब उन पर से यह कलंक हटाना होगा. उन्हें शिक्षित करके दूसरों की तरह सफेदपोश नौकरियां दी जानी चाहिए.’
(इनपुट-भाषा)

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