जब भी महेंद्र सिंह धोनी के दोस्तों की बात होगी तो सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा और आरपी सिंह का नाम सबसे आगे आएगा.
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नई दिल्ली: जब भी महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) के दोस्तों की बात होगी तो सुरेश रैना (Suresh Raina), रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) और आरपी सिंह (RP Singh) का नाम सबसे आगे आएगा. इन तीनों में भी आरपी सिंह का धोनी की जिंदगी में एक अलग ही स्थान है, फिर चाहे वो धोनी की शादी हो या एक दूसरे के साथ वेकेशन पर जाना, आरपी सिंह लगभग हर फोटो में धोनी के साथ नजर आयेंगे.
धोनी के साथ अच्छी दोस्ती होने के बावजूद आरपी सिंह का करियर कुछ खास लंबा नहीं चल सका. इसकी दो मुख्य वजह हैं, पहली आरपी सिंह अपने करियर के दौरान कई बार चोटिल हुए और दूसरी जब भी वे किसी चोट से उबरकर मैदान में वापस लौटे तो उनका प्रर्दशन पहले जैसा नहीं रहा. आरपी ज्यादातर अपनी लय खो देते थे और विपक्षी बल्लेबाज उन पर हावी हो जाते थे.
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आरपी सिंह ने आकाश चोपड़ा के साथ हाल में ही हुई अपनी बातचीत में धोनी के साथ अपनी दोस्ती के कुछ किस्से बताए. आरपी ने बताया कि माही से उनकी पहली मुलाकात तब हुई थी जब दोनों में से कोई भी टीम इंडिया के लिए नहीं खेला करता था. जहां एक तरफ टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने के बाद धोनी का करियर ऊपर चढ़ता गया वहीं आरपी के करियर की शुरुआत तो ज़बरदस्त रही पर वे ज्यादा दिन तक अपने अच्छे प्रर्दशन को बरकरार नहीं रख सके. बावजूद इसके धोनी के साथ उनकी दोस्ती में कोई बदलाव नहीं आया और दोनों आज भी घंटों फोन पर बात करते हैं.
आरपी ने कहा, 'हम दोनों ने काफी समय साथ गुजारा है. धोनी टीम के कप्तान बन गए और उनका ग्राफ लगातार ऊपर जाता रहा और मेरा नीचे, लेकिन बावजूद इसके हमारी दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ा. हम अब भी बात करते हैं और एक साथ घूमते हैं.'
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अपने करियर के बारे में बात करते हुए आरपी ने एक बहुत ही रोचक किस्सा बताया. उन्होंने कहा, 'मैंने धोनी से पूछा था कि मैं एक बेहतर क्रिकेटर बनने के लिए क्या करूं. धोनी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. बाद में उन्होंने कहा कि मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं, लेकिन संभव है मेरा भाग्य मेरा साथ न दे रहा हो.'
जब आरपी से उनके करियर के अचानक खत्म हो जाने के बारे में प्रश्न किया गया तो जबाव में उन्होनें ये कहा, 'मैं उस समय टॉप पर था. लेकिन मैं टेस्ट या वनडे में भी अपनी जगह नहीं बचा पाया. मैंने आईपीएल भी खेला. 3-4 सीजन में सर्वाधिक विकेट लेने वाला गेंदबाज था, लेकिन मैं ज्यादा मैच नहीं खेल पाया क्योंकि कप्तान का मुझ पर भरोसा नहीं था. जब मैंने चयनकर्ताओं से पूछा तो उनका जवाब था, 'राजे तू मेहनत कर तेरा वक्त जरूर आएगा.'
आरपी सिंह ने 32 साल की उम्र में दो वर्ष पहले क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.
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