टॉस के बिना टेस्ट के प्रयोग में पाकिस्तान के इस दिग्गज को नहीं दिखी कोई बुराई
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टॉस के बिना टेस्ट के प्रयोग में पाकिस्तान के इस दिग्गज को नहीं दिखी कोई बुराई

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद ने टेस्ट क्रिकेट से टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. 

कई दिग्गजों का मानना है कि अब जल्द ही टेस्ट क्रिकेट से टॉस गायब हो जाएगा

कराची : पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद ने टेस्ट क्रिकेट से टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. मियांदाद ने कहा कि इससे मेजबान टीमें अपने को रास आने वाली पिचों की बजाय बेहतर पिचें बनाने पर जोर देंगी. एक अन्य पूर्व कप्तान सलीम मलिक ने कहा कि आईसीसी को खेल की परंपरा से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. मियांदाद ने कहा, ‘‘मुझे टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रयोग में कोई खामी नजर नहीं आती.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे मैच खासकर टेस्ट क्रिकेट अच्छी पिचों पर खेला जाएगा.’’

  1. आईसीसी विचार करेगी टॉस को टेस्ट से हटाने को
  2. इस महीने के अंत मे फैसला होगा आईसीसी की बैठक में
  3. कुछ खिलाड़ी इस प्रयोग से सहमत तो कुछ विरोध में

इस महीने मुंबई में आईसीसी की क्रिकेट समिति की बैठक में इस पर बात की जाएगी कि खेल से टॉस खत्म कर देना चाहिए या नहीं. मियांदाद ने कहा, ‘‘हमने हाल ही में देखा है कि पाकिस्तान ने यूएई में मैच जीते हैं जहां पिचें धीमी और कम उछाल वाली होती है लेकिन ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड में वह जूझती नजर आई है. इसके लिये जरूरी है कि अच्छी पिचों पर क्रिकेट खेला जाए.’’ 

वहीं मलिक ने कहा कि टॉस से खेल और रोचक हो जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘इससे कप्तान की चतुराई और उपयोगिता की परख हो जाती है.कई बार टॉस के समय लिये गए फैसलों से मैच के नतीजे पर असर पड़ता है.टॉस खत्म करने की बजाय मैच रैफरियों और अंपायरों की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यूरेटर भी होने चाहिए.’’ 

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की क्रिकेट समिति की मुंबई में 28 और 29 मई को होने वाली बैठक में टॉस की प्रांसगिकता और निष्पक्षता पर चर्चा की जाएगी और इस पर विचार किया जाएगा कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को टॉस को अलविदा कह देना चाहिए ताकि दोनों टीमों में से कोई फायदे में नहीं रहे? टॉस का क्रिकेट से शुरू से नाता रहा है  

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जावेद मिंयादाद को टॉस के बिना टेस्ट मैच खेले जाने में कोई आपत्ति नजर नहीं आती (फाइल फोटो)

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘टेस्ट क्रिकेट से मूल रूप से जुड़े टॉस को खत्म किया जा सकता है. आईसीसी क्रिकेट समिति इस पर चर्चा करने के लिये तैयार है कि क्या मैच से पहले सिक्का उछालने की परंपरा समाप्त की जाए जिससे कि टेस्ट चैंपियनशिप में घरेलू मैदानों से मिलने वाले फायदे को कम किया जा सके.’’ 

 काफी पुरानी है टॉस की परंपरा
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिक्का उछालने यानि टॉस की परंपरा इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1877 में खेले गये पहले टेस्ट मैच से ही चली आ रही है. इससे यह तय किया जाता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करेगी. सिक्का घरेलू टीम का कप्तान उछालता है और मेहमान टीम का कप्तान ‘हेड या टेल’ बोलता है. लेकिन हाल में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाये जाने लगे हैं. आलोचकों का कहना है कि इस परंपरा के कारण मेजबान टीमों को अनुचित लाभ मिलता है.

रिपोर्ट ने पैनल के सदस्यों को भेजे गये पत्र उद्धृत करते हुए लिखा है, ‘‘टेस्ट पिचों की तैयारियों में घरेलू टीमों के हस्तक्षेप के वर्तमान स्तर को लेकर गंभीर चिंता है और समिति के एक से अधिक सदस्यों का मानना है कि प्रत्येक मैच में मेहमान टीम को टॉस पर फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. हालांकि समिति में कुछ अन्य सदस्य भी हैं जिन्होंने अपने विचार व्यक्त नहीं किए.’’ 

काउंटी चैंपियनशिप में 2016 में टॉस नहीं किया गया और यहां तक कि भारत में भी घरेलू स्तर पर इसे हटाने का प्रस्ताव आया था लेकिन उसे नकार दिया गया था. इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने दावा किया कि इस कदम के बाद मैच लंबे चले तथा बल्ले और गेंद के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिली. 

आईसीसी क्रिकेट समिति में पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले, एंड्रयू स्ट्रास, माहेला जयवर्धने, राहुल द्रविड़, टिम मे, न्यूजीलैंड क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी डेविड वाइट, अंपायर रिचर्ड केटलबोरोग, आईसीसी मैच रेफरी प्रमुख रंजन मदुगले, शॉन पोलाक और क्लेरी कोनोर हैं. 

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