भारतीय क्रिकेट टीम में एक ऐसा खिलाड़ी रहा जिसने कंगारुओं को अपने इशारों पर जमकर नचाया, वो भी उस समय में जब ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट में दबदबा रहता था. शॉकिंग ये था कि इस धुरंधर ने सिर्फ भारत के लिए सिर्फ 7 ही मैच खेले.
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On This Day, 26 November: भारतीय क्रिकेट में एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं. कुछ ऐसे क्रिकटर्स हैं, जिनका नाम आज भी याद किया जाता है. वहीं, कुछ ऐसे भारतीय खिलाड़ी भी रहे हैं जो मैदान पर तो कमाल रहे, लेकिन अचानक से गायब हो गए. या ये कह लें कि गुमनामी वाला जीवन जीने लगे. इन्हीं खिलाड़ियों में से एक भारत के जसुभाई पटेल हैं. इस भारतीय स्पिन गेंदबाज का आज ही के दिन जन्म हुआ था. इस दिग्गज ने भारत के लिए भले ही 7 टेस्ट मैच खेले हों, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कानपुर में 1959 में हुआ टेस्ट मैच उनके नाम से ही जाना गया.
आज के दिन हुआ जन्म
जसुभाई पटेल का जन्म 26 नवंबर 1924 को अहमदाबाद के गुजरात में हुआ था. उन्होंने भारत के लिए सिर्फ 7 टेस्ट मैच ही खेले जिसमें कानपुर में हुआ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1959 में टेस्ट मैच यादगार बन गया. फर्स्ट क्लास करियर में उन्होंने काफी क्रिकेट खेला. उन्होंने 63 फर्स्ट क्लास मैच खेले. वहीं, 12 दिसंबर 1992 को 68 साल की उम्र में उन्होंने अहमदाबाद में आखिरी सांस ली. वह 1 मैच में 14 विकेट के लिए हमेश याद किए जाते हैं. भारत के लिए वह मैच एक तरह से ऐतिहासिक ही रहा.
अचानक खुली किस्मत
1959-60 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली गई, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से अपने नाम किया. इसका दूसरा टेस्ट मैच क्रिकेट इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. दिल्ली में हुए पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को पारी और 127 रन से हराया था. कानपुर में होने वाले टेस्ट से पहले चीफ सेलेक्टर लाला अमरनाथ ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसे देखकर आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी तक हैरान रह गए. उस समय के युवा ऑलराउंडर कृपाल सिंह के बजाय, उन्होंने 35 वर्षीय ऑफ स्पिनर जसुभाई पटेल को चुना, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में कोई टेस्ट मैथ नहीं खेला था. टेस्ट करियर ने उनके नाम 4 मैचों में 10 विकेट थे. बता दें कि 1955 में इन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट में डेब्यू किया था.
152 रनों पर सिमटी भारत की पहली पारी
कानपूर टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम 152 रनों पर ऑलआउट हो गई. एलन डेविडसन(5 विकेट) और रिची बेनॉड(4 विकेट) के नाम पहला दिन रहा. दोनों चैंपियनों ने 9 भारतीय बल्लेबाजों के विकेट लिए. ऑस्ट्रेलिया ने दिन का खेल खत्म होने तक बिना किसी नुकसान के 23 रन बना लिए थे. दूसरे दिन, जसुभाई पटेल ने टीम इंडिया को पहला विकेट दिलाया, जब उन्होंने गेविन स्टीवंस को कैच एंड बोल्ड आउट किया. लंच के समय तक ऑस्ट्रेलिया ने एक विकेट पर 128 रन बना लिए थे. कंगारू मजबूत स्थिति में थे, लेकिन असली रोमांच अभी बचा हुआ था.
लंच के बाद जो हुआ...
लंच के दौरान लाला अमरनाथ ने टीम इंडिया के तत्कालीन कप्तान जीएस रामचंद के साथ बातचीत की. उन्होंने रामचंद से पटेल को दूसरे छोर से गेंदबाजी करने के लिए कहा ताकि वह डेविडसन और इयान मैकिफ के फुटमार्क्स का फायदा ले सकें. रामचंद ने ऐसा ही किया और फिर जो हुआ वो जादू से कम नहीं था. पटेल की पहली गेंद घूमी और लंच के बाद पटेल ने कमाल ही कर दिया. एक समय विकेट ढूंढ रही भारतीय टीम अब आग उगल रही थी. 128 पर 1 विकेट के बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम मात्र 219 रन पर ऑलआउट हो गई. पटेल ने अपने इस स्पेल में 24 रन देकर 8 बल्लेबाजों का शिकार किया. उन्होंने इस पारी में 35.5 ओवर डालते हुए 69 रन देकर 9 विकेट झटके थे. यह भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा रिकॉर्ड रहा, जो 40 साल तक कायम रहा. अनिल कुंबले ने टेस्ट मैच की एक पारी में 10 विकेट लेकर तोड़ा था.
5 बल्लेबाजों को किया क्लीन बोल्ड
पटेल के इस स्पेल की खास बात यह रही कि उन्होंने 9 बल्लेबाजों को आउट करने में सिर्फ 1 बार फील्डर का सहारा लिया. उन्होंने 5 बल्लेबाजों को क्लीन बोल्ड किया. वहीं, 2 एलबीडब्लू आउट हुए जबकि 1 का कैच को अपनी ही गेंद पर लपका. दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाए और टीम 291 रन पर ऑलआउट हो गई. इसमें नारी कॉन्ट्रैक्टर (74 रन), चंदू बोर्डे (44 रन), रामनाथ केनी (51 रन) और बापू नाडकर्णी (46 रन) ने अहम योगदान दिया. ऑस्ट्रेलिया को मैच जीत के लिए 225 रन की दरकार थी.
फिर चला फिरकी का जादू
ऑस्ट्रेलिया के चौथे दिन का खेल खत्म होने तक 2 विकेट पर 59 रन बना लिए थे. उमरीगर ने अगली सुबह ओ'नील को लेग स्लिप पर नादकर्णी के हाथों कैच आउट कराया और इसके बाद केन मैके का विकेट लिया. पटेल ने एक बार फिर अपनी फिरकी का जादू दिखाना शुरू किया और डेविडसन-बेनॉड को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को लगातर दो झटके दिए. इसके बाद उन्होंने लिंडसे क्लाइन का भी विकेट झटका. मैकडॉनल्ड्स के रूप में उन्हें इस पारी का पांचवां विकेट मिला. वह स्टंप आउट होकर पवेलियन लौटे. पटेल 25.4 ओवर में 5 विकेट के साथ ही एक टेस्ट मैच में 14 विकेट लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने. एक टेस्ट मैच में 124 रन देकर 14 विकेट लेना रिकॉर्ड बन गया. हालांकि, बाद में नरेंद्र हिरवानी 136 रन देकर 16 विकेट झटकर उनसे आगे निकले थे.
भारत को मिली 10 मैचों में पहली जीत
भारत ने कानपुर टेस्ट 119 रन से जीता. यह एक शानदार और ऐतिहासिक जीत थी खासकर तब जब टीम को पहले टेस्ट मैच में पारी से हार का सामना करना पड़ा था. 10 मैचों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की यह पहली टेस्ट जीत थी. उस समय 64 टेस्ट में भारत की यह सिर्फ छठी जीत भी थी. क्राउड खुशी से मानो पागल हो गया हो.
2 मैच और करियर खत्म
कानपुर टेस्ट के हीरो रहे जसुभाई पटेल ने सीरीज में 2 और टेस्ट खेले. इसके बाद वह फिर कभी भारत के लिए खेलते हुए नजर नहीं आए. कोलकाता के ईडन गार्डन्स में उन्होंने सीरीज का और भारतीय क्रिकेट के लिए अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच खेला. इस मैच में उन्होंने 3 विकेट लिए थे. हालांकि, वह फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अगले दो सालों तक खेले, लेकिन इसके बाद उन्होंने क्रिकेट से पूरी तरह से किनारा कर लिया. कानपुर टेस्ट में जबरदस्त प्रदर्शन के लिए उन्हें पद्म श्री पुरस्कार (विजय हजारे के साथ) से नवाजा गया.