ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे में डेब्यू करने के वाले टी नटराजन (T. Natarajan) ने चटकाए दो विकेट, पूरा किया अपना सपना
थंगारासू नटराजन के लिए चिन्नप्पमपट्टी जैसे छोटे से गांव में जीवन आसान नहीं था. उनके पिता साड़ी की फैट्री में काम करने वाले छोटे से कर्मचारी है और मां सड़क के किनारे एक छोटी सी दुकान लगाती थीं.
20 साल की उम्र तक नटराजन ने सिर्फ टेनिस बॉल से क्रिकेट खेला था. उन्होंने कभी क्रिकेट ग्राउंड नहीं देखा था. ना ही कभी अपने स्कूल या कॉलेज का क्रिकेट में प्रतिनिधित्व नहीं किया. नटराजन के गांव में रहने वाले ए.जयप्रकाश ने उन्हें पेशेवर क्रिकेट खेलने की सलाह दी और इस तरह वो चैन्नई आ गए. चैन्नई आकर 2010-11 में नटराजन ने पहली बार टीएनसीए लीग के लिए खेला.
उनके लिए सबसे बड़ा बदलाव पिछले साल आया जब शुरुआती तमिलनाडु प्रीमियर लीग में डिंडीगुल ड्रैगन्स के लिए उनका प्रदर्शन शानदार रहा जिससे वह आईपीएल अधिकारियों की निगाह में आए.
चेन्नई क्लब में दो साल के लगातार प्रदर्शन ने उन्हें रणजी ट्रॉफी 2015-2016 में जगह दिलाई. उनके गेंदबाजी वैरिएशन और इच्छानुरूप यॉर्कर फेंकने की क्षमता से उन्हें तमिलनाडु का 'मुस्तफिजुर रहमान' बुलाया जाता है.
पिछले साल पंजाब सुपरकिंग्स ने नटराजन को 3 करोड़ की भारी भरकम कीमत पर खरीदा था. लेकिन इस साल पंजाब ने उन्हें रीलीज कर दिया. जिसके बाद हैदराबाद ने उन्हें 40 लाख की कीमत पर खरीदा. नटराजन हैदराबाद के लिए फायदे की डील साबित हुए. अपने प्रदर्शन से अपनी टीम को प्लेऑफ तक तो पहुंचाया ही साथ ही खुद भी टीम इंडिया के दरवाजे पर दस्तक दे दी.
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