क्या रोहित.. क्या विराट, इमरजेंसी डेब्यू में ये खिलाड़ी बना क्रिकेट का 'दादा', उंगलियों पर नाचे थे फिरंगी
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क्या रोहित.. क्या विराट, इमरजेंसी डेब्यू में ये खिलाड़ी बना क्रिकेट का 'दादा', उंगलियों पर नाचे थे फिरंगी

Saurav Ganguly Debut: भारतीय क्रिकेट में टैलेंट की भरमार है, हर खिलाड़ी का सपना टीम इंडिया के लिए खेलने का होता है. मॉडर्न क्रिकेट में चर्चे रोहित-विराट जैसे दिग्गजों के हैं. लेकिन एक वो दौर था जब एक मासूम चेहरा फैंस ने देखा और फिर उसके खेल में ऐसे मंत्रमुग्ध हुए कि वो देखते-ही-देखते क्रिकेट का दादा बन गया. 

 

Saurav Ganguly

Saurav Ganguly Debut Story: भारतीय क्रिकेट में टैलेंट की भरमार है, हर खिलाड़ी का सपना टीम इंडिया के लिए खेलने का होता है. मॉडर्न क्रिकेट में चर्चे रोहित-विराट जैसे दिग्गजों के हैं. लेकिन एक वो दौर था जब एक मासूम चेहरा फैंस ने देखा और फिर उसके खेल में ऐसे मंत्रमुग्ध हुए कि वो देखते-ही-देखते क्रिकेट का दादा बन गया. 'दादा' पढ़ते ही आपको समझ आया होगा, हम बात कर रहे हैं दिग्गज सौरव गांगुली की. जिनके डेब्यू की कहानी बड़ी दिलचस्प है. 

इमरजेंसी में हुआ सौरव गांगुली का डेब्यू

टीम इंडिया के हर दिग्गज खिलाड़ी के डेब्यू के पीछे एक कहानी छिपी होती है. लेकिन सौरव गांगुली की कहानी थोड़ी दिलचस्प है. गांगुली के डेब्यू में नवजोत सिंह सिद्धू की भी अहम भूमिका रही, जो 1996 के इंग्लैंड दौरे में टीम इंडिया के एक सीनियर प्लेयर थे. लेकिन सिद्दू को विवाद के चलते दौरे से से बीच में ही दौरे से लौटना पड़ा. सिद्धू टीम प्रबंधन और आंतरिक मुद्दों पर टीम के तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ असहमत थे. यही वजह थी कि उन्होंने दौरे को बीच में छोड़ दिया. 

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गांगुली ने फिरंगियों में भर दिया खौफ

सिद्धू के जाने से जिससे बल्लेबाजी लाइनअप में अचानक एक स्थान खाली हुआ. टीम प्रबंधन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और टीम की संरचना में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा. गांगुली टीम का हिस्सा थे लेकिन उन्हें टीम में डेब्यू करने का मौका नहीं मिला था. सिद्धू के जाने के बाद गांगुली को टीम में शामिल किया गया और उन्होंने मौके पर चौका लगाया.

ऐतिहासिक साबित हुआ गांगुली का डेब्यू

गांगुली ने मौके का पूरा फायदा उठाते हुए फिरंगियों में खौफ पैदा कर दिया था. उन्होंने लॉर्ड्स में 131 रन की बेहतरीन पारी खेल डेब्यू को यादगार बनाया. इसके बाद उन्होंने ट्रेंट ब्रिज में अगले टेस्ट में एक और शतक ठोककर टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर ली. इसके बाद गांगुली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे. उन्हें क्रिकेट के 'दादा' का दर्जा भी मिल गया. 

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