अगर मैंने मैच जिता दिया होता तो यही सोशल मीडिया मेरा गुणगान कर रहा होता : विजय शंकर
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अगर मैंने मैच जिता दिया होता तो यही सोशल मीडिया मेरा गुणगान कर रहा होता : विजय शंकर

शंकर ने कहा कि मेरे माता-पिता और करीबी मित्रों ने कुछ नहीं कहा क्योंकि वे जानते हैं कि मैं किस स्थिति से गुजर रहा हूं. 

भारतीय टीम में जगह बनाने के मौके बहुत कम मिलते हैं लेकिन शंकर इसको लेकर चिंतित नहीं हैं...(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सहानुभूति कभी कभी आपका दुख बढ़ा भी सकती है और विजय शंकर अभी इसी दौर से गुजर रहे हैं. यह ऑलराउंडर बांग्लादेश के खिलाफ निडास ट्रॉफी फाइनल के ‘निराशाजनक’ दिन से उबरने की कोशिश में लगा है जब उनके प्रदर्शन के कारण भारत एक समय मैच गंवाने की स्थिति में पहुंच गया था. दिनेश कार्तिक जहां अंतिम गेंद पर छक्का जड़कर देश के क्रिकेट प्रेमियों का सितारा बना हुआ है, वहीं 27 वर्षीय शंकर को 19 गेंदों पर 17 रन की पारी के लिए कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है. इनमें 18वें ओवर में लगातार चार गेंदों पर रन नहीं बना पाना भी शामिल है. 

  1. शंकर ने स्वीकार किया कि मैच में उन्होंने नायक बनने का मौका गंवा दिया
  2. फाइनल के बाद जब सभी खुश थे तो तब मुझे निराशा हो रही थी
  3. अब मेरा ध्यान दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से अच्छा प्रदर्शन करने पर है

शंकर ने कहा, "मेरे माता-पिता और करीबी मित्रों ने कुछ नहीं कहा क्योंकि वे जानते हैं कि मैं किस स्थिति से गुजर रहा हूं. लेकिन जब मैं वास्तव में आगे बढ़ना चाहता हूं. मुझे इस तरह के संदेश मिले हैं कि सोशल मीडिया पर जो कुछ कहा जा रहा है उससे चिंता नहीं करो. शायद उन्हें लगता है कि यह सहानुभूति जताने का तरीका है लेकिन इससे काम नहीं चलने वाला."

उनका मानना है कि वह दिन उनका नहीं था जिसके कारण उनके लिए एक अच्छा टूर्नामेंट निराशा में बदल गया. उन्होंने टूर्नामेंट में गेंदबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया था. मितभाषी शंकर ने कहा, ‘‘वह मेरा दिन नहीं था लेकिन मैं उसे नहीं भुला पा रहा हूं. मैं जानता हूं कि मुझे उसे भूलना चाहिए. उस अंतिम दिन को छोड़कर मेरे लिए टूर्नामेंट अच्छा रहा था.’’

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चेन्नई के इस खिलाड़ी से जब सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणियों के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि जब आप भारत के लिए खेलते हो तो ऐसा हो सकता है. अगर मैंने अपने दम पर मैच जिता दिया होता तो यही सोशल मीडिया मेरा गुणगान कर रहा होता." शंकर ने कहा, ‘‘यह इसके उलट हुआ और मुझे आलोचनाओं को स्वीकार करना होगा. यह आगे बढ़ने का भी हिस्सा है.’’  

उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं दूसरी या तीसरी गेंद पर शून्य पर आउट हो जाता तो किसी को भी मेरे प्रदर्शन की चिंता नहीं रहती. लेकिन क्या मैं ऐसा पसंद करता. निश्चित तौर पर नहीं. मैं उसके बजाय ऐसी स्थिति स्वीकार करता.’’ लेकिन शंकर ने स्वीकार किया कि इस रोमांचक मैच में उन्होंने नायक बनने का मौका गंवा दिया. 

उन्होंने कहा, ‘‘फाइनल के बाद जब सभी खुश थे तो तब मुझे निराशा हो रही थी कि मुझसे कैसे गलती हो गई. मुझे नायक बनने का मौका मिला था. मुझे मैच का अंत करना चाहिए था.’’ शंकर ने कहा, ‘‘टीम में हर किसी यहां तक कि कप्तान (रोहित शर्मा) और कोच (रवि शास्त्री) ने मुझसे कहा कि सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के साथ भी ऐसा हो सकता है और मुझे बुरा नहीं मानना चाहिए.’’

भारतीय टीम में जगह बनाने के मौके बहुत कम मिलते हैं लेकिन शंकर इसको लेकर चिंतित नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘चयन मेरे चिंता नहीं है. सकारात्मक बात यह है कि दो सप्ताह में आईपीएल में शुरू हो रहा है और मेरा ध्यान दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से अच्छा प्रदर्शन करने पर है.’’ 

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