वर्ल्ड कप 1987: वॉल्श ने तब सेमीफाइनल में मांकडिंग करने की बजाय पाकिस्तान को जीत दे दी थी
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वर्ल्ड कप 1987: वॉल्श ने तब सेमीफाइनल में मांकडिंग करने की बजाय पाकिस्तान को जीत दे दी थी

वेस्टइंडीज के कर्टनी वॉल्श ने सेमीफाइनल के आखिरी ओवर में सलीम जाफर को दो बार मांकडिंग की चेतावनी दी, लेकिन आउट नहीं किया. 

वेस्टइंडीज के कर्टनी वॉल्श के नाम टेस्ट क्रिकेट में 519 विकेट और वनडे में 227 विकेट दर्ज हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: रविचंद्रन अश्विन ने सोमवार को जैसे ही जोस बटलर को मांकडिंग (Mankading) कर आउट किया, वैसे ही क्रिकेटजगत उन पर टूट पड़ा. ऐसा लगा कि अश्विन ने कोई गुनाह कर दिया है. आखिर जब क्रिकेट में मांकडिंग कर किसी बल्लेबाज को आउट करना वैध है. तो इस पर इतने सवाल क्यों उठ रहे हैं. और अगर यह गलत है तो फिर क्रिकेट में इसे आउट होने के जायज तरीकों में क्यों शामिल किया गया है. मांकडिंग को लेकर ऐसे कई सवाल हैं, जो बरसों से उठते रहे हैं. यह भी कह सकते हैं कि इस सवाल का 100% सटीक जवाब नहीं मिला है. 

दरअसल, क्रिकेट की छवि जेंटलमैन गेम की रही है. इसमें जीत से ऊपर खेल को रखने की परंपरा रही है. ऐसे कई मौके हैं, जब खिलाड़ियों ने जीत इसलिए छोड़ दी क्योंकि वे इससे ऊपर खेल को रखना चाहते थे. ऐसा ही एक उदाहरण 1987 के विश्व कप का है. इस विश्व कप के सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के कर्टनी वॉल्श ने खेलभावना की वह मिसाल पेश की थी, जिस पर आज भी सिर्फ वेस्टइंडीज ही नहीं दुनियाभर के क्रिकेटप्रेमी गर्व करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ इस खेलभावना के चलते ही विंडीज की टीम फाइनल खेलने से चूक गई थी. 

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कर्टनी वॉल्श की वो ऐतिहासिक आखिरी गेंद...
1987 के विश्व का सेमीफाइनल वेस्टइंडीज और मेजबान पाकिस्तान के बीच खेला गया. 49.5 ओवर का खेल हो चुका था और वेस्टइंडीज जीत से एक विकेट और पाकिस्तान दो रन दूर था. गेंदबाजी कर्टनी वॉल्श कर रहे थे और बैटिंग क्रीज पर अब्दुल कादिर थे. नॉनस्ट्राइकर एंड पर सलीम जाफर थे. जब वॉल्श गेंदबाजी के लिए विकेट के करीब पहुंचे तो देखा कि सलीम जाफर रन लेने के लिए पहले ही क्रीज के बाहर निकल चुके हैं. वॉल्श वहीं रुके. उन्होंने जाफर को क्रीज में लौटने के लिए कहा. वे इससे पहले भी एक बार जाफर को ऐसी ही चेतावनी दे चुके थे. इसके बाद वॉल्श ने जब आखिरी गेंद फेंकी तो कादिर ने छक्का लगाकर अपनी टीम को जीत दिला दी. 

विश्व कप-1987 का नाम लेते ही याद आते हैं वॉल्श 
1987 के विश्व कप को 32 साल हो चुके हैं. अब क्रिकेट बहुत आगे निकल चुका है. लेकिन जब भी इस विश्व कप की बात होती है तो सबसे पहले दो बातों का जिक्र होता है. पहला ऑस्ट्रेलिया ने एलन बॉर्डर की कप्तानी में यह विश्व कप जीता था और दूसरा वॉल्श की खेलभावना. सभी कहते हैं कि वॉल्श के लिए खेलभावना इतनी अहम थी कि उन्होंने इसके लिए सेमीफाइनल हारना कबूल कर लिया था. वॉल्श को इस खेलभावना के प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक ने विशेष पदक दिया था. वेस्टइंडीज के कर्टनी वॉल्श के नाम टेस्ट क्रिकेट में 519 विकेट और वनडे में 227 विकेट दर्ज हैं.

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