अब आप उत्तराखंड में वाटर स्पोर्ट्स का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे, HC ने लगाया बैन
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अब आप उत्तराखंड में वाटर स्पोर्ट्स का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे, HC ने लगाया बैन

उत्तराखंड के हाईकोर्ट ने राज्य में सभी वाटर स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है

उत्तराखंड में बढ़ता अनियंत्रित वाटर स्पोर्ट्स वहां के लिए पर्यावरण के लिए खतरनाक होता जा रहा है. (फाइल फोटो)

नैनीताल : उत्तराखंड के पर्यटन का सबसे बड़ा आकर्षण वहां के वाटर स्पोर्ट्स जैसे रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे खेल हैं. अगर आप ऐसे खेलों का लुत्फ उठाने के लिए उत्तराखंड राज्य में जाने की योजना बना रहे हैं तो आपको अपनी योजना बदलना पड़ सकती है क्योंकि राज्य के इस पर्यटन क्षेत्र को यहां के हाईकोर्ट ने झटका देते हुए सभी वाटर स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. कोर्ट ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि अभी तक राज्य सरकार ने इस गतिविधियों के लिए कोई भी नियामक नीति नहीं बनाई है.

  1. हाई कोर्ट ने लगाया सभी वाटरस्पोर्ट्स पर बैन 
  2. रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे खेलों पर लगा बैन
  3. राज्य सरकार को ठोस नियामक नीति बनाने को कहा

 कोर्ट ने ऐसी नीति बनने तक वाटर स्पोर्ट्स संबंधी सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सोमवार को जारी किए अपने आदेश में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किया है कि वह दो सप्ताह के भीतर इस संबंध में पारदर्शी नीति तैयार करे. कोर्ट ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि हर साल राफ्टिंग खेलों के दौरान नौका पलटने की वजह से मौत होती हैं. 

कोर्ट ने कहा कि इन खेलों में केवल उच्च प्रशिक्षित खिलाड़ियों को ही भाग लेने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने कहा कि बिना वाजिब शुल्क लिए और  पारदर्शी प्रक्रिया के अनुसार निविदाएं बुलाए राज्य सरकार नदियों के उपयोग की अनुमति नहीं दे सकती. कोर्ट ने टिप्पणी की, “आनंद के लिए खेले जाने खेलों को हादसों में खत्म होने के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती.” पर्यटन को प्रोत्साहित जरूर करना चाहिए लेकिन उसे नियंत्रित भी करना जरूरी है. 

नदी का पर्यावरण है खतरे में
जस्टिस राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की डिविजन बेंच  ने कहा, “यह जानकर हम हैरान हैं कि राज्य सरकार नदियों के पास कैंपिंग की इजाजत दे रही है. यह नदी की साथ साथ उसके आसपास के पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है. बेंच ने कहा कि ‘रिवर राफ्टिंग’ के शुरुआती बिंदु पर वाहनों का ट्रैफिक से नदी के बहाव अवरुद्ध हो जाता है. बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि ऐसे स्थानों पर नदी के पानी तक वाहनों को ले जाने की अनुमति नहीं दी जाए.  

कोर्ट ने पाया कि छोटे वाहनों में बहुत बड़े राफ्ट (रबर की नौकाएं, आदि) रख दिए जाते हैं और उन्हें सीदे नदी में पानी के पास ले जाया जाता है. कोर्ट ने यह निर्देश ऋषिकेश निवासी हरिओम कश्यप की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिए जिसमें आरोप लगाया गया था कि नियमों को ताक पर रखकर गंगा नदी के किनारे निजी व्यवसायी की ओर से अस्थाई निर्माण करके राफ्टिंग करवाई जा रही है. 

fallback

बेंच ने कहा कि राज्य में जिम्मेदारों द्वारा गंगा नदी के तल को लीज पर देकर उसकी पवित्रता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. नालियों का पानी सीधे ही नदी में प्रवाहित करने दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने आज की तारीख तक कोई भी ऐसा कानून नहीं लागू किया है जो पैराग्लाइडिंग, वारटरस्पोर्टस इत्यादि को नियंत्रित कर सके. यदि नियंत्रित नहीं रखा गया तो पैराग्लाइडिंग भी उतना ही खतरनाक खेल है. टेहरी बांध जैसे बड़े जलाशय के लिए भी ये वाटर स्पोर्ट्स घातक हैं जिन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है. 

कोर्ट ने कहा कि रिवर राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग को बिना कोई न्यूनतम शुल्क तय किए और आयोजकों द्वारा बिना उनकी जानकारी दर्शाए अनुमति दी गई . राज्य सरकार ने ऐसे खेलों के लिए नदी के हिस्सों को लीज पर दिए जाने की अनुमति संबंधी दिशानिर्देश और मानदंड तय नहीं किए. 

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