यदि नेता 70 साल की उम्र में रिटायर हो सकते हैं तो BCCI के अधिकारी क्यों नहीं: SC
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यदि नेता 70 साल की उम्र में रिटायर हो सकते हैं तो BCCI के अधिकारी क्यों नहीं: SC

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों की सेवानिवृति के लिए 70 साल की उम्र तय किए जाने संबंधी न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशों का प्रतिरोध करने पर शुक्रवार को सीसीआई को आड़े हाथ लिया। कोर्ट ने कहा, ‘इन दिनों जब नेता इस उम्र में रिटायर हो रहे हैं तो आप क्यों नहीं हो सकते?’ 

यदि नेता 70 साल की उम्र में रिटायर हो सकते हैं तो BCCI के अधिकारी क्यों नहीं: SC

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों की सेवानिवृति के लिए 70 साल की उम्र तय किए जाने संबंधी न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशों का प्रतिरोध करने पर शुक्रवार को सीसीआई को आड़े हाथ लिया। कोर्ट ने कहा, ‘इन दिनों जब नेता इस उम्र में रिटायर हो रहे हैं तो आप क्यों नहीं हो सकते?’ 
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ‘70 क्यों? आपको 60 में रिटायर होना चाहिए। इन दिनों नेताओं को भी 70 में रिटायर होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, तो बीसीसीआई के पदाधिकारी ऐसा क्यों नहीं कर सकते? 70 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे लोगों को सलाहकार की भूमिका में रखा जा सकता है जिनके पास समझदारी और अनुभव हो।  एक सीमा होनी चाहिए और आपको कहना चाहिए कि बस अब बहुत हुआ।’ न्यायमूर्ति एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया, जिनकी मृत्यु 75 साल की उम्र में हुई, का हवाला देते हुए कहा कि अपने आखिरी दिनों में वह बातचीत करने की हालत में भी नहीं थे। 

पीठ ने कहा, ‘बीसीसीआई के पिछले अध्यक्ष (जगमोहन डालमिया) संवाद भी नहीं कर पाते थे। उन्हें चुनने वाले लोग ये क्यों नहीं देख सके कि वे उन्हें चुन क्यों रहे हैं ? बीसीसीआई अध्यक्ष को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से पांच साल ज्यादा वक्त दिया गया है। क्या आप एक ऐसे हालात की कल्पना कर सकते हैं जब बीसीसीआई का अध्यक्ष संवाद ही न कर सके। क्रिकेट के मामलों का प्रबंधन करने वाले व्यक्ति को शारीरिक तौर पर चुस्त दुरूस्त होना चाहिए ।’
तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशें लागू नहीं की जा सकीं । उन्होंने कहा, ‘लोढ़ा समिति को स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिए गठित किया गया था, लेकिन यह ढांचागत सुधार की सिफारिश करने लगी, जो क्रिकेट असोसिएशनों के कानूनों और नियम-कायदों के कारण लागू करना संभव नहीं है ।’ 

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘सट्टेबाजी, मैच-फिक्सिंग गहरे तौर पर जड़ें जमाए बैठी बीमारियां हैं । समिति ने इसी जड़ को ढूंढ निकाला है । यह बीमारी (बीसीसीआई में) इतनी गहरी पैठी थी कि दवाओं से इसका इलाज नहीं किया जा सकता था । इसके उचित इलाज की जरूरत थी और ऐसे में सर्जरी करना अहम था । लिहाजा, समर्पित, प्रतिबद्ध और ईमानदार डॉक्टरों की एक सक्षम समिति ऐसा करने के लिए बनाई गई।’’ इस पर दत्तार ने कहा, ‘यह असल में कीमोथेरेपी है।’ मैचों के दौरान दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के मुद्दे पर भी बीसीसीआई की खिंचाई करते हुए पीठ ने कहा कि अपने घर में बैठकर मैच देख रहे लोगों की क्रिकेट में कोई हिस्सेदारी है कि नहीं ।

 

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